राजस्थान में मत्स्य उत्पादन के अपार सम्भावनाएं

उदयपुर 

मात्स्यकी महाविद्यालय, एमपीयूएटी द्वारा आयोजित राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस के मौके पर  मुख्य अतिथि प्रो.वीएस दुर्वे, पूर्व प्रमुख लिम्नोलॉजी और मतस्यकी विभाग ने कहा कि राजस्थान में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, पश्चिम बंगाल जैसे अनेक राज्यों से अधिक जल राशि उपलब्ध है जबकि मत्स्य उत्पादन अपेक्षाकृत रूप से कम हैl इसे देखते हुए राज्य में  मत्स्य उत्पादन और उत्पादकता दोनों को बढ़ाने की आवश्यकता हैl

विशिष्ट अतिथि, प्रो. एलएल शर्मा, पूर्व डीन, सीओएफ एवं विभागाध्यक्ष एक्वावकल्चर विभाग ने बताया कि राष्ट्रीय मत्स्य कृषक दिवस भारत सरकार और मतस्यकी के पूर्व वैज्ञानिक डॉ.केएच अलीकुन्ही और डॉ. एचएल चौधरी की उस उल्लेखनीय उपलब्धि की याद मे मनाया जाता है जब 10 जुलाई 1957 में उन्होंने भारतीय मछलियों का सफलता पूर्वक प्रेरित प्रजनन करवाया थाl

प्रो. एलएल शर्मा ने कहा कि आज इसी तकनीक के कारण हमारे देश में विभिन्न प्रकार की प्रमुख भारतीय शफर मीन मछलियों का प्रेरित प्रजनन करवाया जाता है जिससे देश में विभिन्न जलाशयों में संचयन हेतु पर्याप्त मात्रा में उच्च गुणवत्ता का मत्स्य बीज उपलब्ध हो पाता हैl  यद्यपि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के विभिन्न अनुसंधान संस्थानों के वैज्ञानिकों के प्रयास द्वारा आधुनिक प्रजनन हारमोंस के द्वारा अब मछलियों में प्रेरित प्रजनन करवाया जाता है जिससे पर्याप्त मात्रा में मत्स्य बीज उपलब्ध हो पाता हैl

डॉ. एके जैन, पूर्व वरिष्ठ वैज्ञानिक, सीआईएफई और निदेशक, सजावटी मात्स्यिकी प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान, जयसमंद, उदयपुर ने रंगीन मछली पालन में रोजगार के अवसर  विषय पर विशिष्ट व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि मतस्यकी के क्षेत्र में रंगीन मछली पालन एवं उत्पादन का 550 करोड़ रुपए का व्यवसाय होता हैl

उन्होंने कहा कि इसे देखते हुए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना में 572 करोड़ रुपए एवं विश्व बैंक द्वारा अन्य 500 करोड़ रुपए का योगदान बहुरंगी मछली पालन व्यवसाय को बढ़ाने हेतु किया गया हैl उन्होंने कहा बेरोजगार युवा एवं किसान भारत सरकार द्वारा दी जा रही विभिन्न आर्थिक सहायता का लाभ उठाकर मत्स्य पालन एवं बहुरंगी मछली पालन व्यवसाय में स्वरोजगार को अपना सकते हैंl

कार्यक्रम की अध्यक्षता सीओएफ, एमपीयूएटी उदयपुर के डीन डॉ.बीके शर्मा ने कीl उन्होंने कहा कि राजस्थान में मछली पालन की व्यापक संभावनाएं हैंl उन्होंने बताया कि हाल ही में राज्य सरकार ने मात्स्यकी महाविद्यालय की महत्वपूर्ण परियोजनाओं को वित्तीय स्वीकृति प्रदान की है जिसके माध्यम से बेरोजगार युवाओं एवं मत्स्य कृषकों को प्रशिक्षण दिया जाएगाl

उन्होंने विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.नरेंद्र सिंह राठौड़ का आभार व्यक्त करते हुए बताया कि उनकी प्रेरणा एवं प्रयासों से मात्स्यकी महाविद्यालय उत्कृष्ट एवं प्रशिक्षित छात्र उपलब्ध करवा रहा है जो प्रदेश ही नहीं वरन अन्य राज्यों मे भी मत्स्यकी विकास में योगदान दे रहे हैंl

कार्यक्रम का संचालन डॉ. सुबोध शर्मा, पूर्व डीन सीओएफ और हेड एईएम एंड फीस, सीओएफ, उदयपुर ने कियाl डॉ.एमएल ओझा, वैज्ञानिक प्रभारी जलीय कृषि अनुसंधान और बीज उत्पादन केंद्र एमपीयूएटी, उदयपुर और एफआरएम और एएएम, सीओएफ उदयपुर विभाग द्वारा धन्यवाद प्रस्ताव दिया गयाl

कार्यक्रम में विभिन्न कृषि विज्ञान केन्द्र प्रभारी, मत्स्य वैज्ञानिक, सह निदेशक मत्स्य विभाग  जुयाल, पूर्व मत्स्य विकास अधिकारी एमएल अरोड़ा, राजस संघ के अधिकारी, पूर्व एवं वर्तमान विद्यार्थी और किसान बंधु जुड़े थेl परिचर्चा में पूर्व छात्र नरेंद्र पूनिया, रवि पटेल, विकास उज्जैनिय एवं सुश्री मोनिका ने भी विषय पर अपने विचार प्रकट किए l




 

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