भीलवाड़ा
एसोसिएशन ऑफ इंडियन यूनिवर्सिटीज (AIU) और संगम यूनिवर्सिटी, भीलवाड़ा द्वारा आयोजित पांच दिवसीय फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम के अंतिम दिन “इंटीग्रेटिंग नॉलेज सिस्टम्स इन मॉडर्न एजुकेशन: एन एनईपी-2020 परस्पेक्टिव” थीम पर राजकीय कला कन्या महाविद्यालय कोटा के पूर्व प्राचार्य और इंडियन अकाउंटिंग एसोसिएशन कोटा ब्रांच के चेयरमैन डॉ. अशोक कुमार गुप्ता ने “इंडियन नॉलेज सिस्टम: अनवेलिंग कंप्रीहेंसिव टर्मिनोलॉजीज़ एंड ब्रिजिंग ट्रेडिशनल एंड कंटेम्पररी नॉलेज सिस्टम्स” विषय पर व्याख्यान दिया।
भारतीय ज्ञान परंपरा: अनुभव और विज्ञान का संगम
डॉ. गुप्ता ने भारतीय ज्ञान परंपरा को परिभाषित करते हुए बताया कि प्राचीन भारत में ज्ञान व्यक्तिगत अनुभव, अवलोकन और गहन वैज्ञानिक विश्लेषण पर आधारित था। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति की विशिष्ट पहचान इसे संपूर्ण विश्व में अद्वितीय बनाती है। गुरुकुल शिक्षा प्रणाली के माध्यम से चार वेद, चार उपवेद और छह वेदांगों में स्वास्थ्य, गणित, योग, ध्यान, संस्कृति, लोक प्रशासन और जीवन जीने के सूत्रों को समाहित किया गया।
प्राचीन भारत की शिक्षा प्रणाली और साहित्य
डॉ. गुप्ता ने संस्कृत, प्राकृत और पाली भाषाओं में उपलब्ध साहित्य और उसके संरक्षक ऋषियों के योगदान पर प्रकाश डाला। उन्होंने श्रुति पद्धति (पद पाठ, क्रम पाठ, जटा पाठ) के माध्यम से ज्ञान के संरक्षण और पीढ़ियों तक हस्तांतरण की परंपरा का उल्लेख किया।
उपस्थित प्रतिभागियों को उन्होंने प्रमुख उपनिषद, अठारह पुराण, षड्दर्शन और उनके रचनाकारों के बारे में विस्तारपूर्वक बताया। उन्होंने प्राचीन भारत की शिक्षा प्रणाली की विशेषताएं जैसे कहानी कथन, संवाद, व्यावहारिक अनुभव, और छात्र-शिक्षक के संवेदनशील रिश्तों पर भी जोर दिया।
एनईपी 2020 में भारतीय ज्ञान परंपरा का महत्व
डॉ. गुप्ता ने नई शिक्षा नीति (NEP-2020) में भारतीय ज्ञान परंपरा को शामिल करने के प्रयासों पर चर्चा की। उन्होंने पाठ्यक्रम निर्माण में आने वाली चुनौतियों जैसे संसाधनों की कमी और शिक्षकों व नीति-निर्धारकों के समर्थन के अभाव का उल्लेख किया। उन्होंने जागरूकता अभियान, कार्यशालाओं और प्राचीन साहित्य को संरक्षित करने वाली संस्थाओं के साथ साझेदारी पर बल दिया।
भारतीय ग्रंथों का आधुनिक संदर्भ
डॉ. गुप्ता ने रामायण, महाभारत, श्रीमद्भगवद गीता, कौटिल्य अर्थशास्त्र और विदुर नीति जैसे प्राचीन ग्रंथों में वर्णित प्रबंधन, अर्थशास्त्र, और सामाजिक उत्तरदायित्व के सिद्धांतों को आधुनिक संदर्भ में व्याख्या की।
अपने व्याख्यान के अंत में उन्होंने कालिदास की कृति “मालविकाग्निमित्रम्” का उदाहरण देते हुए कहा कि न तो सभी पुरानी बातें सही हैं और न ही सभी नई बातें गलत। बुद्धिमान व्यक्ति परीक्षण के उपरांत ही किसी सिद्धांत को स्वीकार करता है।
निष्कर्ष
डॉ. गुप्ता ने आधुनिक शिक्षा प्रणाली में प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा को शामिल करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए इसे शिक्षा और शोध के क्षेत्र में नवाचार के लिए अनिवार्य बताया।
नई हवा की खबरें अपने मोबाइल पर नियमित और डायरेक्ट प्राप्त करने के लिए व्हाट्सएप नंबर 9460426838 सेव करें और ‘Hi’ और अपना नाम, स्टेट और सिटी लिखकर मैसेज करें। आप अपनी खबर या रचना भी इस नंबर पर भेज सकते हैं।
Income Tax Raid: जंगल में खड़ी कार से 52 KG गोल्ड और 15 करोड़ कैश बरामद
इस स्टेट में असिस्टेंट प्रोफेसर के 562 पदों पर होगी भर्ती | जानें; किस विषय के कितने हैं पद
नई हवा’ की खबरें नियमित और अपने मोबाइल पर डायरेक्ट प्राप्त करने के लिए व्हाट्सएप नंबर 9460426838 सेव करें और ‘Hi’ और अपना नाम, स्टेट और सिटी लिखकर मैसेज करें
