धौलपुर
धौलपुर की एससी-एसटी कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए 15 साल पुराने बहुचर्चित 4 नरेगा मजदूरों की हत्या के मामले में एक मुलजिम को फांसी की सजा सुनाई है। कोर्ट ने आरोपी पर 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया है।
एससी-एसटी कोर्ट के विशिष्ट लोक अभियोजक माहिर हसन रिजवी ने बताया कि 9 जुलाई, 2008 को पीड़ित जयपाल पुत्र रतन लाल जाटव निवासी धोंधे का पुरा ने बाड़ी थाने पर एक रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उसने बताया था कि उसके पिता रतनलाल, ताऊ नत्थीलाल, चाचा रामस्वरूप, भाई भंवर लाल और पप्पू नरेगा योजना से बन रही सड़क पर काम करने आए थे। इस दौरान कीर्तिराम पुत्र जालिम गुर्जर निवासी धौंधे का पुरा, सुरेश गुर्जर, विक्रम, चंद्रभान उर्फ अट्टा, पूरन, भगवान सिंह, राजू, गुड्डू, कल्ला, सुरेश ठाकुर और बच्चू सिंह सभी हथियारों से लैस होकर आए और झगड़ा शुरू किया और अवैध हथियारों से फायरिंग शुरू कर दी। फायरिंग में नत्थी लाल, रतनलाल, रामस्वरूप और रामवीर की मौके पर ही मौत हो गई। पुलिस ने मामला दर्ज कर 11 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था।
करीब 15 साल बाद बुधवार को इसका फैसला आया और एससी-एसटी कोर्ट के न्यायाधीश नरेंद्र मीणा ने हत्या के आरोपी कीर्तिराम पुत्र जालिम सिंह को दोषी करार देते हुए फांसी की सजा सुनाई और 10 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। जज ने मृतक मजदूरों की पत्नियों को आरोपी से मिलने वाले 10 लाख रुपए के जुर्माने में से 2-2 लाख रुपए देने का आदेश दिया। मामले में 3 आरोपी जेल में है, जिनका ट्रायल चल रहा है और 7 आरोपी जमानत के बाद से फरार चल रहे हैं।
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