अधिसूचना जारी होने के पांच साल बाद भी RVRES शिक्षकों का नहीं बदला पदनाम, प्रमोशन के लिए भी भटक रहे | ABRSM ने जताया आक्रोश

जयपुर 

अधिसूचना जारी होने के पांच साल बाद भी राजस्थान स्वेच्छया ग्रामीण शिक्षा सेवा (RVRES) में नियुक्त कॉलेज शिक्षकों का पदनाम नहीं बदला गया है। ये कॉलेज शिक्षक  सीएएस के तहत पदोन्नति के लिए भी भटक रहे हैं। इससे उनमे आक्रोश बढ़ रहा है।

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राज्य सरकार ने 2 फरवरी 2018 को एक अधिसूचना जारी कर कॉलेज शिक्षा विभाग में कार्यरत सभी शैक्षणिक संवर्ग के व्याख्याताओं का पदनाम आचार्य/सह आचार्य/सहायक आचार्य कर दिया था। लेकिन आज तक इसे लागू नहीं किया गया है। ABRSM राजस्थान (उच्च शिक्षा) ने इस बाबत सरकार को एक पत्र लिखा है और RVRES शिक्षकों में बढ़ रहे असंतोष से अवगत कराया है। संगठन के प्रदेश महामंत्री डॉ. सुशील कुमार बिस्सू ने पत्र में सरकार द्वारा जारी इस अधिसूचना का जिक्र करते हुए बताया है कि RVRES संवर्ग के महाविद्यालय शिक्षक भी कॉलेज शिक्षा विभाग के शैक्षणिक संवर्ग में ही आते हैं किन्तु इनका पदनाम व्याख्याता ही है जबकि अधिसूचना अनुसार स्वतः ये पदनाम सह आचार्य/सहायक आचार्य हो जाने चाहिए।

डा. बिस्सू ने बताया कि राजस्थान स्वेच्छया ग्रामीण शिक्षा सेवा नियम 2010 के उप नियम  में स्पष्ट उल्लेख है कि  राजकीय सेवा में नियुक्त कर्मचारियों पर पूर्व में नियुक्त राजकीय सेवा के समकक्ष कर्मचारियों के समान ही वेतनमान व सेवा नियम लागू होंगे। आरवीआरएस नियम 2010 के उप नियम 6 में उल्लेखित किया गया है कि इन नियमों के अधीन 1 जनवरी 2004 के बाद राजकीय सेवा में नियुक्त महाविद्यालय शिक्षकों पर राजस्थान शिक्षा सेवा (महाविद्यालय शाखा) नियम 1986 एवं उसके संशोधन लागू होते हैं। अतः आरवीआरईएस 2010 के तहत नियुक्त महाविद्यालय शिक्षकों पर राजस्थान शिक्षा सेवा (महाविद्यालय शाखा) नियम 1986 एवं इसके संशोधन स्वतः ही लागू होते हैं इसके लिए आरवीआरईएस महाविद्यालय शिक्षकों के पदनाम परिवर्तन हेतु नियमों में पृथक संशोधन की आवश्यकता नहीं है।

संगठन के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. दीपक शर्मा ने कहा है कि पूर्व में महाविद्यालय शिक्षा एवं स्कूल शिक्षा में कनिष्ठ लिपिक (आरवीआरईएस) कार्मिकों का पदनाम कनिष्ठ सहायक स्वतः हो गया था। राज्य सरकार द्वारा महाविद्यालय व्याख्याता (आरवीआरईएस) का पदनाम बदलने के लिए अलग से आदेश की आवश्यकता ही नहीं है। समान कार्य एवं समान वेतनमान होने के बाद भी महाविद्यालय शिक्षा में व्याख्याता पदनाम होने का कोई औचित्य नहीं रह जाता है।

सीएएस के तहत पदोन्नति का अवसर दिया जाए
डॉ. दीपक शर्मा ने बताया कि आरवीआरएस 2010 के नियम 5(vi) के तहत राजकीय सेवा में समायोजित शिक्षकों को राजकीय महाविद्यालय के समकक्ष सीएएस का लाभ देने का प्रावधान है। आरवीआरईएस केडर के महाविद्यालयी शिक्षकों को वरिष्ठ, चयनित वेतनमान एवं पे बैंड 4 का लाभ अनुदानित सेवा अवधि से ही दिया जा रहा है एवं स्वेच्छया ग्रामीण शिक्षा सेवा नियमों में भी इन्हें सीएएस का लाभ देने का प्रावधान है, अतः इन शिक्षकों  भी आचार्य पद पर सीएएस के तहत पदोन्नति का अवसर दिया जाना चाहिये।

डा. शर्मा ने कहा कि नियमों में स्पष्ट उल्लेख होने के बाद भी आयुक्तालय कॉलेज शिक्षा द्वारा आरवीआरईएस महाविद्यालय शिक्षकों को सहायक/ सह आचार्य के स्थान पर व्याख्याता आरवीआरईएस से संबोधित करना नैसर्गिक न्याय एवं नियमों के विरुद्ध है। नियमों में स्पष्ट प्रावधान होने के बावजूद इन्हें पदनाम और आचार्य पद पर पदोन्नति से दूर रखना अनुचित है। अतः उक्त पदनाम और पदोन्नति का लाभ देने की प्रक्रिया शीघ्र प्रारंभ की जाए।

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