जयपुर
गहलोत सरकार अपना अलग से ऐसा ट्रेजरी सिस्टम लाने जा रही है जिसमें किसी का दखल न हो। यही वजह है कि सरकार कई बार की डिमांड के बाद भी CAG को हिसाब-किताब देने में आनाकानी कर रही है। बताया जा रहा है कि CAG के दखल को रोकने के लिए ही गहलोत सरकार अपना खुद का ट्रेजरी सिस्टम पे एंड अकाउंटिंग (पीएंडए) लागू करने जा रही है। CAG ने गहलोत सरकार को इस मामले में आगे कोई भी कदम उठाने से बचने की सलाह भी दी है।
CAG ने राजस्थान सरकार की ऐसी कोशिशों पर ऐतराज जताया है और आरोप लगाया है कि सरकार अपना हिसाब-किताब नहीं बताना चाहती और ऐसा करके वह कैग की संवैधानिक बाध्यता को चुनौती देने का प्रयास कर रही है। कैग का मानना है कि सरकार उसको दरकिनार कर सरकार अपना ट्रेजरी सिस्टम बनाना चाहती है।
CAG का कहना है कि राजस्थान सरकार के इस रवैये के कारण राजस्थान में गंभीर संवैधानिक संकट की स्थिति पैदा हो सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार हाल में CAG (नियंत्रक और महालेखापरीक्षक) ने सरकार को एक संदेश भेजा है जिसमें कैग की संवैधानिक बाध्यता को चुनौती देने के प्रयास पर आपत्ति जताई है। संघीय लेखा परीक्षक की ओर से मुख्य सचिव उषा शर्मा को यह संदेश भेजा गया है। इसमें संविधान के अनुच्छेद 150 का हवाला देते हुए कहा गया है कि संघ और राज्यों के खातों को सीएजी की सलाह पर राष्ट्रपति द्वारा निर्धारित प्रपत्र के रूप में माना जाएगा।
आपको बता दें कि राजस्थान सरकार ट्रेजरी और सब ट्रेजरी सिस्टम को हटाकर विभागों को शक्तियां देने वाले अपने नए पे एंड अकाउंटिंग (पीएंडए) सिस्टम को लागू करने जा रही है। सरकार ने राजस्थान विधानसभा में भी कहा था कि ट्रेजरी और सब ट्रेजरी के स्थान पर विभागों में पीएंडए ऑफिस खोले जाएंगे और इससे संबंधित ट्रेजरी और सब ट्रेजरी कार्यालय को बंद करने और अन्य कार्य में लेने के लिए विचार करने के बारे में कहा था जबकि CAG ने सरकार की इन कोशिशों को संवैधानिक प्रावधानों के विपरीत बताया है।
हालांकि राजस्थान सरकार ने अपना पे एंड अकाउंटिंग (पीएंडए) सिस्टम को लागू करने की सूचना CAG को भेज दी थी जिसके जवाब में सीएजी ने जवाब देते हुए कहा था कि मौजूदा अकाउंटिंग सिस्टम की जगह नया पीएंडए सिस्टम संवैधानिक नियमों के खिलाफ है और यह डीपीसी एक्ट 1971 के प्रावधानों के विरुद्ध है। कैग ने राज्य सरकार को इस मामले में आगे कोई भी कदम उठाने से बचने के लिए भी कहा था।
CAG ने राजस्थान सरकार को पत्र में स्पष्ट किया है कि कैग राज्य कोषागार से प्रत्येक राज्य के खातों की ऑडिटिंग करने के लिए जिम्मेदार है। ट्रेजरी सिस्टम में कोई भी बदलाव करने से पहले राष्ट्रपति और कैग से अनुमति लेना जरूरी है। CAG ने कहा है कि नया पे एंड अकाउंटिंग सिस्टम डीपीसी एक्ट 1971 के प्रावधानों के खिलाफ है। लिहाजा इस मामले में आगे कोई भी कदम उठाने से बचें।
कैग ने बताया है कि डीपीसी अधिनियम धारा 10 के तहत सीएजी द्वारा संघ और राज्यों के खातों के संकलन के लिए प्रावधान किया गया है जो यह निर्देशित करता है कि CAG प्रत्येक राज्य के खातों की ऑडिटिंग करने के लिए जिम्मेदार होगा। ऑडिट ने कहा कि स्थापित ट्रेजरी सिस्टम में किसी भी बदलाव के लिए राष्ट्रपति की पूर्व स्वीकृति और कैग के साथ परामर्श की आवश्यकता होगी।
CAG ने आगाह किया कि किसी राज्य द्वारा पीएओ बनाने से राज्य की व्यवस्था भी गड़बड़ हो सकती है और मौजूदा व्यवस्था की जगह नया सिस्टम लाने से पूरा आईटी इन्फ्रास्ट्रक्चर और कर्मचारियों की जरूरत पड़ेगी जिससे भारत सरकार की सिंगल अकाऊंट और सिंगल नोडल एजेंसी सिस्टम प्रभावित हो सकता है।
राज्य में ट्रेजरी और सब ट्रेजरी सिस्टम को खत्म करने का प्रदेश के लेखाकर्मी भी विरोध कर रहे हैं। लेखाकर्मियों का कहना है कि वित्तीय व्यवस्था को खत्म करने की कोशिशों के तहत गहलोत सरकार ने ये कदम उठाया है। लेखाकर्मियों का आरोप है कि सोशल एंड परफारमेंस ऑडिट अथॉरिटी व राजस्थान फाइनेंशियल सर्विसेज डिलीवरी लिमिटेड का गठन कर वित्त विभाग को ठेके पर देने के कदम उठाए जा रहे हैं। आईटी का इस्तेमाल जरूरी है, पर खजाने को पूरी तरह आईटी पर छोड़ना खतरनाक है।
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