जयपुर
तत्कालीन गहलोत सरकार के बाद अब प्रदेश की मौजूदा भाजपा सरकार के रवैये से भी प्रदेश के कॉलेज शिक्षकों में असंतोष बढ़ रहा है। कॉलेज शिक्षकों ने सरकार पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया है और कहा है कि पिछली सरकार ने भी नए महाविद्यालयों, विषयों और संकायों को राजसेस के तहत ही खोल कर उच्च शिक्षा को पतन की ओर धकेल दिया था और अब मौजूदा सरकार भी उसी नक्शे कदम पर चल रही है। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ राजस्थान (उच्च शिक्षा) (ABRSM) ने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा को पत्र लिखकर अपनी नाराजगी जाहिर की है।
संगठन के महामंत्री प्रो. सुशील कुमार बिसू ने बताया कि पूर्ववर्ती सरकार ने 2020 से 2023 के मध्य ताबड़तोड़ 303 नवीन राजकीय महाविद्यालयों तथा नवीन संकायों को राजसेस सोसाइटी के तहत खोलकर राज्य की उच्च शिक्षा को गर्त में पहुंचा दिया। नई सरकार से भी संगठन के प्रतिनिधिमंडल ने इस संबन्ध में सभी तथ्यों के साथ विस्तृत चर्चा की थी। बैठक में उन्हें अवगत करवाया था कि पिछली सरकार का यह निर्णय न केवल राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की मूल अवधारणा के विरुद्ध है, बल्कि इस निर्णय से राज्य की उच्च शिक्षा पतन की ओर धकेल दी गई है। तब मुख्यमंत्री ने तथ्यों की गंभीरता को देखते हुए राजसेस के तहत खोले गए महाविद्यालयों के निर्णय की समीक्षा के लिए एक हाई पावर समिति का गठन किया था, जिसने अपनी रिपोर्ट जून माह में ही दे दी थी।
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संगठन अधक्ष प्रो. दीपक कुमार शर्मा ने बताया कि संगठन के अधिवेशन में 21 जून, 2024 को भी मुख्यमंत्री ने राजसेस में खोले गए महाविद्यालयों के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट एवं राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भावना के अनुरूप इस पर गंभीरता से सकारात्मक निर्णय लेने की घोषणा भी की थी। तत्पश्चात जुलाई 2024 में राज्य के बजट और इसकी चर्चा के दौरान खोले गए नवीन महाविद्यालयों, विषयों एवं संकायों की घोषणा के समय भी इन्हें राजसेस में खोलने का कहीं कोई उल्लेख नहीं था। किन्तु दुर्भाग्य का विषय है कि गत सप्ताह प्रसारित बीसीए और कंप्यूटर साइंस के पद एवं 30 अगस्त को प्रसारित नए विषयों तथा संकायों के पद राजसेस में देने के आदेशों से प्रतीत होता है कि राज्य सरकार उच्चशिक्षा को पतन की ओर ले जाने के पिछली सरकार की मंशा पर ही चल रही है, जिससे समस्त उच्चशिक्षा जगत में गहन हताशा है।
संगठन के नेताओं ने कहा कि महासंघ राजकीय महाविद्यालयों के सोसाइटी द्वारा संचालन का प्रारम्भ से ही विरोध करता रहा है। हो सकता है कि पूर्ववर्ती सरकार का सोसाइटी गठन के पीछे अन्य भी कोई छिपा हुआ एजेंडा रहा हो, जिसके कारण स्पष्ट कमियों के उजागर होते हुए भी सरकार ने प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में सोसायटी के तहत महाविद्यालय खोलकर राज्य की उच्चशिक्षा को पतन के कगार पर पहुँचा दिया। अब वर्तमान सरकार भी उसी कार्य-प्रणाली पर चलती प्रतीत हो रही है, जो राज्य की उच्च शिक्षा के लिए बहुत ही पीड़ादायक है।
संगठन ने राजसेस सोसाइटी के तहत खोले गए नवीन महाविद्यालयों की समीक्षा के लिए गठित कमेटी की रिपोर्ट पर अविलंब निर्णय लेते हुए सोसाइटी के द्वारा संचालित किये जाने के आदेशों को अपास्त करवा कर अन्य राजकीय महाविद्यालयों के समान ही इन महाविद्यालयों को भी राज्य-वित्त पोषित महाविद्यालय घोषित करने की मांग की है।
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