बीकानेर
बीकानेर (Bikaner) में मंगलवार को एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) की स्पेशल यूनिट ने एक सनसनीखेज कार्रवाई करते हुए महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय (Maharaja Ganga Singh University) के परीक्षा भवन में रिश्वतखोरी का बड़ा खुलासा किया। टीम ने मौके से 7 लाख रुपए नकद जब्त किए और परीक्षा भवन को सील कर दिया। इस कार्रवाई से विश्वविद्यालय में हड़कंप मच गया है।
कैसे हुआ भंडाफोड़?
एसीबी के एडिशनल एसपी आशीष कुमार ने बताया कि यह रकम अजमेर (Ajmer) की माइक्रो कंपनी के प्रतिनिधि मनोज कुमार के पास से बरामद हुई है। माइक्रो कंपनी विश्वविद्यालय में परीक्षा से जुड़े कार्यों के ठेके लेती है। शुरुआती जांच में यह खुलासा हुआ है कि यह राशि किसी कर्मचारी को देने के लिए लाई गई थी।
एडिशनल एसपी आशीष कुमार ने कहा, “हमें गुप्त सूचना मिली थी कि परीक्षा भवन में रिश्वत का बड़ा लेन-देन होने वाला है। इस सूचना पर तुरंत कार्रवाई करते हुए आरोपी मनोज कुमार को पैसे देने से पहले ही रंगे हाथों पकड़ लिया गया। हालांकि, अभी तक यह साफ नहीं हो सका है कि यह पैसा किसे दिया जाना था।”
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परीक्षा भवन सील, कर्मचारियों की आवाजाही रोकी गई
एसीबी की टीम ने कार्रवाई के दौरान परीक्षा भवन को पूरी तरह से सील कर दिया। किसी भी कर्मचारी को बाहर जाने या अंदर आने की अनुमति नहीं दी गई। मौके पर अफसरों ने गहन तलाशी ली और जरूरी दस्तावेज जब्त किए। अब तक मिली जानकारी के आधार पर आगे की जांच जारी है।
पैसा देने की साजिश बेनकाब
आरोपित मनोज कुमार ने शुरुआती पूछताछ में बताया कि यह पैसा विश्वविद्यालय के एक कर्मचारी को देने के लिए लाया गया था। हालांकि, जिस व्यक्ति को रिश्वत दी जानी थी, उसकी पहचान अभी तक उजागर नहीं हुई है। एसीबी अधिकारी इस दिशा में गहन पूछताछ कर रहे हैं और जल्द ही मामले की पूरी सच्चाई सामने आने की उम्मीद है।
विश्वविद्यालय में मचा हड़कंप
एसीबी की इस कार्रवाई से विश्वविद्यालय परिसर में अफरा-तफरी मच गई। परीक्षा भवन के सील होने से कर्मचारी और अधिकारी सहमे हुए हैं। विश्वविद्यालय के कई कर्मचारियों और अधिकारियों से पूछताछ की जा रही है।
क्या है मामला?
- माइक्रो कंपनी का प्रतिनिधि मनोज कुमार गिरफ्तार
- 7 लाख रुपए नकद बरामद
- परीक्षा भवन सील, दस्तावेजों की जांच जारी
- किसे रिश्वत दी जानी थी, अभी खुलासा नहीं
ACB की यह कार्रवाई क्यों अहम है?
एसीबी की इस ताबड़तोड़ कार्रवाई ने यह साफ कर दिया है कि विश्वविद्यालयों में चल रहे भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह मामला शिक्षा क्षेत्र में पारदर्शिता लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है।
इस केस से जुड़े बड़े सवाल
- 7 लाख रुपए किस कर्मचारी को दिए जाने थे?
- माइक्रो कंपनी की भूमिका कितनी संदिग्ध है?
- क्या परीक्षा से जुड़े अन्य कामों में भी भ्रष्टाचार हो रहा है?
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