इण्टरनेशनल कान्फ्रेन्स के अंतिम दिन पांच सत्रों में कुल 180 शोधपत्रों का वाचन

कोटा 

कोटा विश्वविद्यालय, कोटा के वाणिज्य एवं प्रबन्ध विभाग तथा इण्डियन अकाउण्टिंग एसोसिएशन, कोटा ब्रांच के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय इण्टरनेशनल कान्फ्रेन्स के अंतिम दिन पांच सत्रों में कुल 180 शोधपत्रों का वाचन किया गया। पांच सत्रों में सत्र अध्यक्ष प्रो. अरिन्दम गुप्ता, जूनियर वाइस प्रेसीडेण्ट, इण्डियन अकाउण्टिंग एसोसिएशन, प्रो. उदय पालीवाल अहमदाबाद, प्रो. प्रदीप्ता बनर्जी पश्चिमी बंगाल, प्रो. उषा किरन हैदराबाद, एवं प्रो. उमेश होलानी, ग्वालियर रहे।

सत्रों की सह अध्यक्षता डॉ. शिल्पा बरडिया, उदयपुर, डॉ. शिल्पा लोधा, उदयपुर, डॉ. श्वेता गुप्ता, जयपुर, डॉ. चन्दन मेडतवाल, नीमराना तथा डॉ. रितु सप्रा, दिल्ली विश्वविद्यालय रहे। सत्र के मुख्यवक्ता प्रो. पी. के. शर्मा ने कहा कि भारत में वर्षों से धारणक्षम मॉडल की अवधारणा विद्यमान रही है, सामाजिक भौतिक एवं आध्यात्मिक  दृष्टिकोण के लिए ज्ञान, आदत, व्यवहार अत्यन्त महत्वपूर्ण है। उन्होंने वेदों,  उपनिषदों के माध्यम से भारतीय ज्ञान परम्परा को विस्तार से समझाया। 

आई.आई.एम. के प्रोफेसर धरेन पाण्डे ने डीकार्बनाइजेशन, डिजिटलाइजेशन, डीसेन्ट्रलाइजेशन तथा डीमोनेटाइजेशन के सम्बन्ध में समझाया। मुम्बई की प्रो. नवसिन मिस्त्री ने ब्लॉक चैन, डिजिटल बेहतर समन्वय सामाजिक उत्तरदायित्व तथा समन्वित नैतिक अवधारणा के सम्बन्ध में विचार  रखे। उदयपुर के प्रो. अनिल कोठारी ने धारणक्षम विकास लक्ष्यों तथा शिक्षा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रत्येक व्यक्ति शिक्षा के माध्यम से वैश्विक बाजार की गतिविधियों में योगदान द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रवृत्तियों को निर्धारित करने में भूमिका निभा सकता है। ओमान से जुडी प्रो. कनीज फातिमा ने कहा कि वाणिज्य, प्रबन्ध एवं सामाजिक विज्ञानों विषयों में समन्वय स्थापित करने हेतु समग्रतावादी अवधारणा अपनानी चाहिए। उन्होंने वाणिज्य में वित्तीय समावेशन, डिजीटल ट्रान्सफोर्मेशन तथा प्रबन्ध में नवाचार, इमोशनल इन्टेलीजेन्स तथा सामाजिक विज्ञान में व्यवहारात्मक दृष्टिकोण, सांस्कृतिक अनुकूलन क्षमता, सामाजिक उद्यमिता के बारे में शोध करने का आव्हान किया। प्रो. उमेश होलानी पास्ट प्रेसीडेण्ट ने भारतीय ज्ञान परम्परा के सम्बन्ध में विस्तार से अपने विचार रखे। प्रो० मित्रदेव, कोटा युनिवर्सिटी आफ जार्जिया ने यूएसए में स्टॉक मार्केट के प्रमुख चालकों के सम्बन्ध में विस्तार से बताया।

दो दिवसीय इन्टरनेशनल कान्फ्रेन्स के समापन समारोह में विशष्ट अतिथि के रूप में श्री गोविन्द गुरु विश्वविद्यालय गोधरा के कुलपति प्रो. प्रताप सिंह चैहान ने शिक्षा क्षेत्र पर जोर देते हुए उच्च कौशलयुक्त युवा वैश्विक चुनौतियों का सामना करने हेतु तैयार करने के लिए आह्वान किया। उन्होंने सकल घरेलू उत्पाद में सर्विस तथा निर्माणी क्षेत्र की चुनौतियों का सामना करने के लिए वाणिज्य एवं प्रबन्ध के विद्यार्थियों को तैयार रहने के लिए कहा। दूसरे विशिष्ट अतिथि संगम युनिवार्सेटी भीलवाडा के कुलपति प्रो. करूणेश सक्सेना ने कहा कि हमारे देश की अनेक व्यूहरचनाएँ वर्तमान में विकसित भारत के संकल्प को पूरा करने हेतु सही दिशा में है। अत्याधुनिक तकनीकी प्रयोग कर हमें विश्व विजेता होने की तरक अग्रसर होंगे।

मुख्य वक्ता दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. अनिल कुमार जी ने कहा कि वर्तमान में व्यापारिक जगत विवादों के घेरे में है हम लाभ अधिकतमीकरण तथा सम्पदा अधिकतमीकरण से आगे व्यवसाय के हितधारकों के लिए उचित प्रबन्ध के माध्यम सही दिशा में कार्य कर रहे हैं। हमें धारणक्षम विकास करना है तो एडवान्स टेक्नोलोजी अपनानी होगी जिसके लिए बिजनेस प्रोसेस में ए आई का प्रयोग, रेपुटेशन मैनेजमेन्ट पर ध्यान देना होगा। लागत न्यूनीकरण तथा मूल्य संवद्र्वन को ध्यान में रखकर कस्टमर रिटेन्शन एवं स्टेकहोल्डर एंगेजमेण्ट को अपनाना होगा।

विशिष्ट अतिथि ओरो युनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. परिमल व्यास ने पीछे मुड़कर देखने की अपेक्षा भविष्य पर नजर रखें तथा मजबूती से उन्नति कीजिए ताकि हम विकसित भारत का लक्ष्य प्राप्त कर सकें। एक देश, एक चुनाव, पर्यावरण, सामाजिक पंच परिवर्तन पर अपने विचार प्रकट करते हुए उन्होंने कान्फ्रेन्स की थीम को आज की आवश्यकता बताते हुए आयोजको को धन्यवाद दिया।

अध्यक्षीय उद्बोधन में इण्डियन अकाउण्टिंग एसोसिशन, कोटा ब्रांच के चेयरमेन डॉ. अशोक गुप्ता ने विकसित भारत की चर्चा एवं सैनिकों के शौर्य को नमन करते हुए सुरक्षित भारत की चर्चा की। सैन्य शक्ति, अर्थव्यवस्था में दुनियाँ की पाँचवी अर्थव्यवस्था से तीसरी बडी अर्थव्यवस्था के और बढ़ते कदमों, ऊर्जा, स्वास्थ्य, आधारभूत संरचना अन्न क्षेत्र में आत्मनिर्भरता, स्किल इण्डिया, मेक इन इण्डिया, आयुर्वेद, योग की चर्चा करते हुए भारत के सर्वे भवन्तु सुखिनः मंत्र को दोहराते हुए वसुधैव कुटुम्बकम की भावना को सामने रखा। उन्होंने कहा कि दो दिन के इण्टरनेशनल कान्फ्रेन्स में प्रस्तुत शोध पत्रों से देश ही नहीं‘ दुनियाँ के चिन्तकों को एक नई दिशा मिलेगी।

समारोह के अन्त में डाॅ. अनीता सुखवाल ने सभी के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया तथा कान्फ्रेन्स डायरेक्टर मीनू माहेश्वरी ने आभार प्रकर करते हुए सभी सत्रों के प्रस्तुत शोध पत्रों  में से 18 शोध पत्रों को ‘बेस्ट पेपर अवार्ड‘ प्रदान किए गए।

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