फोन पर गेम भेजा, अकाउंट से पैसा ले उड़े | साइबर गैंग का 400 करोड़ का खुलासा | एमबीए मामा और इंजीनियर भांजे का 1000 करोड़ का साइबर साम्राज्य ध्वस्त

भरतपुर 

राजस्थान (Rajasthan) की साइबर पुलिस (Cyber ​​Police) ने देश की अब तक की सबसे बड़ी ऑनलाइन ठगी में से एक का पर्दाफाश किया है। भरतपुर (Bharatpur) पुलिस की साइबर विंग ने एक बहुस्तरीय ऑपरेशन के तहत 400 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी को उजागर किया, जिसमें ऑनलाइन गेमिंग (Online Gaming) और निवेश के नाम पर हजारों लोगों को जाल में फंसाया गया।

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जांच में सामने आया है कि इस घोटाले की वास्तविक रकम 1000 करोड़ रुपए से भी अधिक हो सकती है। इस ठगी के पीछे एक एमबीए डिग्रीधारी ‘मामा’ और उसका इंजीनियर ‘भांजा’ शामिल थे, जो पूरे रैकेट को तकनीकी और वित्तीय सपोर्ट दे रहे थे। इस साइबर गिरोह ने टेक्नोलॉजी, सोशल इंजीनियरिंग और कानूनी खामियों को मिलाकर एक ऐसा जाल बुना, जिसमें हजारों आम लोग फंसते चले गए। अब पुलिस की नजर उस 1000 करोड़ के पूरे नेटवर्क पर है — और अगली गिरफ्तारी कभी भी हो सकती है।

कैसे हुआ खुलासा?
आईजी भरतपुर रेंज राहुल प्रकाश ने बताया कि यह कार्रवाई रेंज साइबर वॉर रूम, i4C के डायरेक्टर राजेश कुमार और उनकी टीम की सतर्कता से मुमकिन हो सकी।

पूरी जांच की शुरुआत 6 मार्च को धौलपुर निवासी हरीसिंह की 1930 साइबर हेल्पलाइन पर की गई शिकायत से हुई। उसने फिनो पेमेंट बैंक खाते से साइबर ठगी की बात कही। जब पुलिस ने उस खाते की गहराई से जांच की, तो पता चला कि उस एक ही खाते से जुड़ी 3000 से अधिक शिकायतें पहले से दर्ज थीं, जो अब 4000 से ज्यादा हो चुकी हैं।

ठगी का मॉडल: मुनाफा दिखा कर मोबाइल हाइजैक
गैंग सोशल मीडिया पर फर्जी गेमिंग और इन्वेस्टमेंट लिंक भेजती थी। शुरुआती मुनाफे के झांसे में पीड़ित को विश्वास में लिया जाता, फिर बड़ी रकम लगवाई जाती और मोबाइल का रिमोट एक्सेस लेकर अन्य लोगों से भी ठगी की जाती। हर ठगी के लिए 1 साल से कम उम्र की फर्जी कंपनियां बनाई जातीं। जैसे ही शिकायत बढ़ती, नई कंपनी के नाम से नया खेल शुरू कर दिया जाता।

बैंकों का नेटवर्क और फर्जी कंपनियां

  • ठगी की रकम को 4 फर्जी कंपनियों के खातों में ट्रांसफर किया गया, जिनके खाते डिजिटल ट्रांसफर से डेबिट फ्रीज कर दिए गए।
  • इन खातों में फिलहाल 4 करोड़ रुपए फ्रीज किए जा चुके हैं।
  • कंपनियों के डायरेक्टर आर्थिक रूप से कमजोर लोग थे, जिन्हें मासिक पैसों का लालच देकर शामिल किया गया।
  • मुख्य सरगना रविन्द्र सिंह (54, एमबीए), दिनेश सिंह (49) और उसकी पत्नी कुमकुम सिंह को पुलिस ने गिरफ्तार किया है।
  • ये सभी उत्तर प्रदेश के निवासी हैं और फिलहाल दिल्ली में रह रहे थे।

कौन-कौन था निशाने पर?
गैंग ने फिनो, फोनपे, बैकबॉक्स इन्फोटेक जैसे पेमेंट गेटवे के अलावा एचडीएफसी, कोटक, आरबीएल, इंडसइंड, बंधन बैंक जैसे दर्जनों बैंकों में फर्जी खाते खुलवाए।
अब बैंकों को KYC प्रक्रियाओं की जांच के लिए नोटिस जारी किए गए हैं।

दिल्ली पुलिस भी आई मदद में
गिरफ्तारी में दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने भी अहम भूमिका निभाई है।
आईजी राहुल प्रकाश ने बताया कि ठगी के पूरे नेटवर्क को जल्द ध्वस्त कर और अन्य सदस्यों को भी गिरफ्तार किया जाएगा।

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