पद्मश्री डॉ. अशोक पनगड़िया का निधन, लंग्स इंफेक्शन से जूझ रहे थे

जयपुर 

देश के प्रख्यात न्यूरोलाजिस्ट पद्मश्री डॉ. अशोक पनगढ़िया 48 दिनों तक कोरोना से लड़ने के बाद आखिरकार जीवन की जंग हार गए। उनका शुक्रवार दोपहर करीब 3:50 बजे निधन हो गया। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने डॉ. पनगढ़िया के निधन पर दुख जताया है। पनगड़िया पोस्ट काेविड बीमारी से जूझ रहे थे और लंबे समय से वे वेंटिलेटर पर थे। पनगढ़िया एक महीने से बीमार थे और ईएचसीसी अस्पताल में भर्ती थे। वे कोरोना से रिकवर हो चुके थे, लेकिन उनके लंग्स पूरी तरह संक्रमण का शिकार हो चुके थे। ऐसे में कुछ दिनों पहले उन्हें मल्टी ऑर्गन फेलियर भी हो गया था। इसके चलते उनके शरीर के कई हिस्सों ने काम करना बंद कर दिया था। पनगढ़िया अस्पताल में वेंटीलेटर सपोर्ट के सहारे सांस ले पा रहे थे। 11 जून  दोपहर परिजन उन्हें अस्पताल से घर ले जा रहे थे, लेकिन घर पहुंचने से पहले ही उनका निधन हो गया। उनकी स्थिति ज्यादा खराब होने के बाद दोपहर करीब 2.30 बजे उन्हें जयपुर स्थित EHCC अस्पताल से उनके निवास पर वेंटिलेटर सपोर्ट पर ही लाया गया था, लेकिन करीब सवा घंटे बाद डॉक्टरों ने उनको मृत घोषित कर दिया। करीब 10 दिन पहले उनकी तबीयत वैक्सीन की दूसरी डोज लेने के बाद बिगड़ गई थी। उनके स्वस्थ्य होने के लिए पूरे देशभर में उनके करीबी और उनसे जुड़े लोग उनके जल्द ठीक होने की दुआएं कर रहे थे।

डॉ. अशोक पनगढ़िया के इलाज के लिए देश-विदेश के विशेषज्ञ डॉक्टरों की टीम लगी हुई थी, जिसमें टॉप मोस्ट नेफ्रोलॉजिस्ट, पल्मनोलॉजिस्ट, फिजीशियन शामिल हैं। हल ही में प्रधानमंत्री नरन्द्र मोदी ने फोन से हलचल जाने थे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत स्वयं भी उनकी तबियत पर लगातार नजर बनाए रखे थे। डॉ. पनगड़िया को 24 अप्रेल को काेविड के लक्षण महसूस होने लगे थे, तब वे JLN मार्ग स्थिति एक निजी लैब गए और वहां HRCT करवाई। सिटी स्कैन की रिपोर्ट में उनका स्कोर 17 आया था, जिसके बाद वे 25 अप्रेल को खुद जयपुर के RUHS अस्पताल में भर्ती हुए थे। वहां उनकी तबीयत खराब होने के बाद जवाहर सर्किल जयपुर के पास स्थित EHCC अस्पताल शिफ्ट कर दिया था।

बताया जा रहा है कि वह पिछले एक साल से घर से नहीं निकले थे। पिछले साल जुलाई 2020 में उनके पुत्र की शादी के दौरान भी कार्यक्रम में महज 15 लोग ही शामिल हुए थे। उदयपुर में प्रस्तावित शादी समारोह को जयपुर में एक छोटे से आयोजन के तौर पर करवाया था। इसके अलावा डॉ. पनगड़िया ने पिछले एक साल (कोविड जब से शुरू हुआ) तब से मरीजों को देखना भी बंद कर दिया था, केवल ऑनलाइन ही मरीजों को परामर्श दिया करते थे

2014 में पद्मश्री और 2002 में डॉ. बीसी रॉय अवॉर्ड मिला
डॉ. अशोक पनगढ़िया  देश के प्रख्यात न्यूरोलॉजिस्ट रहे हैं। उनकी न्यूरोसर्जरी पर लिखी किताबें, दुनियाभर में पढ़ी जाती हैं। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. पनगड़िया को 1992 में राजस्थान सरकार की ओर से मेरिट अवॉर्ड मिला। वे SMS में न्यूरोलॉजी के विभागाध्यक्ष रहे। 2006 से 2010 तक प्रिंसिपल रहे। 2002 में उन्हें मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया ने डॉ. बीसी रॉय अवॉर्ड दिया। 2014 में उन्हें पद्मश्री से नवाजा गया। उनके 90 से ज्यादा पेपर जर्नल में छप चुके हैं। उनकी मेडिकल और सोशल सहभागिता के चलते उन्हें यूनेस्को अवॉर्ड भी मिल चुका है। उन्हें कई लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड भी प्राप्त हुए हैं।

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सीएम गहलोत जताया दुख
पनगढ़िया के निधन पर दुख जताते हुए ने सीएम गहलोत ट्वीट पर लिखा, राष्ट्रीय स्तर पर विख्यात, जाने-माने न्यूरोलॉजिस्ट, पद्मश्री से सम्मानित डॉ.अशोक पनगड़िया के निधन पर मेरी गहरी संवेदनाएं। डॉ. पनगड़िया ने महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए चिकित्सा क्षेत्र में उल्लेखनीय सेवाएं दीं एवं कोविड महामारी के समय में भी चिकित्सा विशेषज्ञ के रूप में प्रदेश में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। डॉ. पनगड़िया का निधन चिकित्सा जगत एवं प्रदेश के लिए बड़ी क्षति है। ईश्वर से प्रार्थना है शोकाकुल परिजनों एवं डॉ. पनगड़िया के मित्रों को यह आघात सहने की शक्ति प्रदान करें एवं दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें। मुझे व मेरे परिवार को व्यक्तिगत क्षति हुई है, मेरे उनसे पारिवारिक रिश्ते रहे हैं लम्बे समय तक उन्हें भुलाना सम्भव नहीं होगा।