अजेय योद्धाओं की ढाल…

कविता

डॉ.विनीता राठौड़


अहंकार परिचायक दुर्बलता का, नम्रता  मार्ग है उन्नति का
इतिहास से हमें अब तो, सीखना और सिखाना होगा

गर भूले दायित्वों को तो, उनका मोल चुकाना होगा
अग्रगामी  बन भटके  राही को, राह हमें सुझाना होगा

किंचित किसी श्राप वश जो, हो गए हैं पथभ्रमित 
पथ भूले इन पथिकों को, सही राह पर लाना  होगा। 

निरंकुश उत्पातियों को भी, नम्रता पूर्वक समझना होगा
जो ना समझे तो, बल बुद्धि का प्रयोग भी करना होगा 

तोड़ कर अपने मौन को, सबक उन्हें सिखाना होगा
डाॅक्टर, इन्जीनियर, कम्पाउन्डर, नर्स व तकनीशियन को
कर्म योद्धा हमें समझना ही होगा
वैज्ञानिक, सैनिक, सिपाही, मीडिया कर्मी हो या सफाई कर्मी
सबका यथोचित मान हमें करना होगा

कर्म युद्ध के इन अजेय योद्धाओं की, ढाल हमें  बनना ही होगा 
संकटग्रस्त इनके प्राणों की, रक्षा सुनिश्चित करना होगा 

विषकारी कोरोना को, हर हाल में परास्त करना होगा।
नवयुग का आरंभ है यह, आशावादी तो रहना होगा 

अपने अपने हिस्से  का कर्म, पूर्ण निष्ठा से करना होगा
छोड़ कर अपने अहंकार को, नम्रता पूर्वक जीना होगा।

( लेखिका राजकीय महाविद्यालय, नाथद्वारा में प्राणीशास्त्र की सह आचार्य हैं)

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