RSS के सरकार्यवाह चुने गए दत्तात्रेय होसबोले, सुरेश भैयाजी जोशी की लेंगे जगह

बेंगलुरु

दत्तात्रेय होसबोले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की दो दिवसीय बैठक में नए सरकार्यवाह चुन लिए गए। दत्तात्रेय होसबाले, सुरेश भैयाजी जोशी की जगह लेंगे। पहले दत्तात्रेय होसबोले 2009 से ही सह-सरकार्यवाह थे। भैयाजी जोशी 2009 में संघ के सरकार्यवाह बने थे और उन्होंने तीन-तीन साल का अपना 4 टर्म पूरा किया। संघ में में हर तीन साल पर सरकार्यवाह पद का चुनाव होता है। आरएसएस में सरकार्यवाह को दो नंबर का पद माना जाता है। यह संगठन में कार्यकारी पद होता है, जबकि सरसंघचालक का पद मार्गदर्शक का होता है।

अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा यानी एबीपीएस की दो दिवसीय बैठक 19 मार्च को बेंगलुरु में शुरू हुई थी। बैठक के दूसरे दिन सरकार्यवाह के रूप में दत्तात्रेय होसबोले के नाम पर  सर्वसम्मति से मुहर लगी। पिछले साल कोरोना की वजह से प्रतिनिधि सभा की बैठक नहीं हो पाई थी। पहले प्रतिनिधि सभा की बैठक नागपुर में ही होने वाली थी, मगर कोरोना वायरस के बढ़ते मामलों की वजह से इसका आयोजन बेंगलुरु में किया गया। भैया जोशी का कार्यकाल कई बार बढ़ाया जा चुका है, मगर इस बार उनकी उम्र और आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए ऐसा नहीं किया गया है। यह पहला मौका है, जब हर तीन साल में होने वाली अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा की बैठक नागपुर से बाहर हुई। आम तौर पर इस सभा में 1,500 प्रतिनिधि भाग लेते हैं, लेकिन इस बार कोरोनावायरस संक्रमण को देखते हुए सिर्फ 450 प्रतिनिधि ही बुलाए गए और करीब 1,000 प्रतिनिधि 44 स्थानों से वर्चुअल तौर पर बैठक से जुड़े।

कर्नाटक के हैं दत्तात्रेय होसबोले
दत्तात्रेय होसबोले कर्नाटक के शिमोगा जिले से आते हैं, उनकी परिवारिक पृष्ठभूमि आरएसएस से जुड़ी हुई है। 65 साल के होसबोले 1968 में आरएसएस से जुड़े और 1978 में पूर्णकालिक बने। 2004 में वह आरएसएस के इंटेलेक्चुअल विंग के सह बौद्धिक प्रमुख बन गए। आपातकाल के दौरान मीसा एक्ट के तहत उन्हें गिरफ्तार किया गया था और वह 16 महीने जेल की भी सजा काट चुके हैं। होसबाले न केवल 2024 के चुनावों तक, बल्कि 2025 में संघ के स्थापना के शताब्दी वर्ष के कार्यक्रम के दौरान भी RSS के संगठनात्मक ढांचे को कंट्रोल करेंगे।

अब तक सुरेश भैय्याजी जोशी 2009 से सरकार्यवाह यानी महासचिव की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। तीन साल पहले 2018 में भी उन्होंने पद छोड़ने की पेशकश की थी, लेकिन 2019 के लोकसभा चुनावों को देखते हुए उनका कार्यकाल बढ़ाया गया था। एबीवीपी में लंबे समय तक रहने के दौरान दत्तात्रेय के पास संगठन चलाने का अनुभव भी है।





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