शिक्षकों का महासंगम, राष्ट्र का महायज्ञ | जयपुर में जुटे 29 राज्यों के 3200 शिक्षक, नई शिक्षा नीति और राष्ट्र निर्माण पर शुरू हुआ मंथन

जयपुर 

देशभर के 29 राज्यों से आए 3200 शिक्षक रविवार को जयपुर में एक ही छत के नीचे एकत्र हुए — अवसर था अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (ABRSM) के 9वें त्रैवार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन का। जामडोली स्थित केशव विद्यापीठ में आरंभ हुआ यह तीन दिवसीय अधिवेशन (5 से 7 अक्टूबर) शिक्षा जगत के लिए एक ऐतिहासिक पड़ाव बन गया है।

अधिवेशन का उद्घाटन मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने किया। उनके संबोधन में राष्ट्र की आत्मा, संस्कृति और शिक्षा के समन्वय की गूंज सुनाई दी। उन्होंने कहा—

“यह केवल एक सम्मेलन नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण का महायज्ञ है। आज आवश्यकता है कि भारत अपनी संस्कृति, नीति और विचारों को फिर से विश्वगुरु के रूप में स्थापित करे — और इस यज्ञ के अग्रदूत हमारे शिक्षक ही हैं।”

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार शिक्षकों को सशक्त करने, शिक्षा को भ्रष्टाचारमुक्त बनाने और युवाओं को न्याय दिलाने के मिशन पर काम कर रही है। उन्होंने ऐलान किया कि नई शिक्षा नीति (NEP) को जन-जन तक पहुँचाने के लिए टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा।

पूर्ववर्ती सरकार पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि —

“दो साल पहले युवाओं के सपनों को कुचला गया, पेपर लीक ने उम्मीदें तोड़ीं। लेकिन बीते 22 महीनों में एक भी पेपर लीक नहीं हुआ — यही पारदर्शी शासन का प्रमाण है।”

उन्होंने यह भी घोषणा की कि जल्द ही भाषायी विद्यालयों की शुरुआत की जाएगी, जहाँ विदेशी भाषाओं का प्रशिक्षण देकर युवाओं को विश्व स्तर पर रोजगार के अवसर दिलवाए जाएंगे — लेकिन भारत की शर्तों पर, न कि विदेशी नीतियों के आधार पर।

इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय बौद्धिक प्रशिक्षण प्रमुख सुनील मेहता ने कहा,

“यह संगठन केवल शिक्षकों का ट्रेड यूनियन नहीं है, बल्कि राष्ट्रीय शिक्षा और राष्ट्र के उत्थान के लिए काम करने वाला संगठन है। यह संगठन कल्चरल नेशनलिज्म का प्रचार करता है, जिसका घोष वाक्य है— राष्ट्र के लिए, राष्ट्र के हित में शिक्षा।

सुनील मेहता ने सरकार और समाज से अपील की कि शिक्षक की चिंता और सम्मान किया जाए। उन्होंने बताया कि पाश्चात्य संस्कृति से परे शिक्षक और शिक्षक संगठन आज देश की परंपरा और मूल्यों के आधार पर काम कर रहे हैं।

अधिवेशन की शुरुआत में अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. नारायण लाल गुप्ता ने कहा कि 16 साल बाद जयपुर में देशव्यापी संगम हो रहा है। अधिवेशन के तीन दिन शिक्षा, शिक्षक और राष्ट्र के ज्वलंत मुद्दों पर विचार-विमर्श का मंच बनेगा।

कार्यक्रम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कई प्रमुख प्रचारक, विश्वविद्यालयों के कुलगुरु और प्रोफेसर भी मौजूद रहे। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने अधिवेशन की स्मारिका, पुस्तक ‘हमारा विद्यालय हमारा तीर्थ’ और संगठन का वार्षिक कैलेंडर विमोचित किया।

तीन दिन चलने वाले इस अधिवेशन में शिक्षा की दिशा-दशा, सीमा सुरक्षा, राष्ट्र निर्माण में शिक्षक की भूमिका, और नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन जैसे विषयों पर गहन मंथन होगा।

केशव विद्यापीठ का प्रांगण इस अवसर पर सैकड़ों शिक्षकों की देशभक्ति और समर्पण भावना से गूंज उठा — जब राष्ट्र का भविष्य गढ़ने वाले खुद एक मंच पर आएं, तो शिक्षा सिर्फ विषय नहीं, साधना बन जाती है!

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