बेंगलुरु
अभियान के दौरान भावनात्मक एकात्मकता का हुआ अनूठा अनुभव
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने बेंगलुरु में संघ की दो दिवसीय अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा के उद्घाटन के पश्चात मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए चलाए गए निधि समर्पण अभियान के दौरान संघ के 20 लाख स्वयंसेवक 5 लाख 45 हजार 737 स्थानों पर पहुंचे और देश में 12 करोड़ 47 लाख 21 हजार परिवारों से संपर्क साधा। इस दौरान संपूर्ण देश में भावनात्मक एकात्मकता का अनुभव हुआ।
डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि निधि समर्पण अभियान में स्वयंसेवकों का उद्देश्य अधिक निधि एकत्र करना नहीं था। बल्कि देशभर में अधिक से अधिक गांवों, परिवारों तक पहुंचने का लक्ष्य था। इससे पहले इतना व्यापक जनसंपर्क अभियान नहीं हुआ। उन्होंने कहा कि श्रीराम मंदिर केवल एक मंदिर नहीं है, श्रीराम भारत की संस्कृति का परिचय है, चरित्र है। सोमनाथ मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के समय 1951 में तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने कहा था – मंदिर हमारे सांस्कृतिक जागरण का केंद्र रहे हैं। आज यहां मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है, जिस दिन भारत के सांस्कृतिक मूल्य और भारत की समृद्धि उस ऊंचाई तक पहुंचेगी, तभी यह मंदिर निर्माण का कार्य पूर्ण होगा। उन्होंने कहा कि इस संदर्भ में देखा जाए तो सारे भारत को एक सूत्र में जोड़ने की भावनात्मक शक्ति श्रीराम हैं।
कोरोना काल में शाखाएं बंद थीं, लेकिन संघ के स्वयंसेवक सक्रिय थे
डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि कोरोना के कारण मार्च माह से जून तक संघ का कार्य पूर्ण बंद था, शाखाएं बंद थीं। उन्होंने कहा कि जुलाई से धीरे-धीरे शाखाएं लगना प्रारंभ हुई थीं। शाखाएं बंद थीं, लेकिन संघ स्वयंसेवक सक्रिय थे। कोरोना के कारण निर्मित आपदा में समाज की सहायता के लिए पहले दिन से ही देशभर में स्वयंसेवक सक्रिय थे। उन्होंने कहा कि अन्य देशों में जहां वेलफेयर स्टेट प्रभावी है, वहां स्टेट मशीनरी ही सक्रिय होती है। लेकिन यह भारत की विशेषता है कि यहां सरकारी, प्रशासन की सेवाओं के साथ-साथ समाज भी सहयोगी था। बाढ़, भूकंप में सेवा करना अलग बात है, लेकिन कोरोना काल में संक्रमण के खतरे के बावजूद स्वयंसेवकों ने बड़ी मात्रा में सेवा कार्य किया।
सेवा भारती के माध्यम से 92,656 स्थानों पर सेवा कार्य किए
डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि कोरोना काल में संघ के स्वयंसेवकों ने देशभर में सेवा भारती के माध्यम से 92,656 स्थानों पर सेवा कार्य किए। इसमें 5,60,000 कार्यकर्ता सक्रिय रहे। 73 लाख राशन किट वितरित किए। 4.5 करोड़ लोगों को भोजन पैकेट वितरित किए गए। 90 लाख मास्क का वितरण किया। 20 लाख प्रवासी लोगों की सहायता की गई। 2.5 लाख घुमंतू लोगों की सहायता की। 60 हजार यूनिट रक्तदान भी किया। उन्होंने कहा कि केवल संघ ही नहीं, समाज के अनेक संगठनों, मठ, मंदिर, गुरुद्वारों ने भी समाज की सेवा की।
आने वाले तीन वर्षों में सभी मंडलों तक संघ का कार्य पहुंचाएंगे
डॉ. मनमोहन वैद्य ने कहा कि पिछले वर्ष मार्च की तुलना में 89 प्रतिशत शाखाएं पुनः प्रारंभ हो गई हैं। संघ का कार्य देश के सभी जिलों में है। देश में 6495 खंडों (तालुका) में से 85 प्रतिशत में संघ का कार्य है, 58,500 मंडलों में से 40 प्रतिशत में प्रत्यक्ष शाखा है और 20 प्रतिशत में संपर्क है। आने वाले तीन वर्षों में सभी मंडलों तक संघ का कार्य पहुंचे, ऐसा हमारा प्रयास रहेगा।
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