नई दिल्ली
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) ने शनिवार (12 जुलाई 2025) को प्रसिद्ध वकील उज्ज्वल देवराव निकम, पूर्व विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला समेत चार हस्तियों को राज्यसभा के लिए मनोनीत किया है। इन सभी को संविधान के अनुच्छेद 80(1)(a) और खंड (3) के तहत नामित किया गया है। पहले के मनोनीत सदस्यों के रिटायर होने से ये पद खाली हुए थे।

ये हैं मनोनीत सदस्य
✅ उज्ज्वल देवराव निकम – मुंबई के चर्चित वकील उज्ज्वल निकम ने 1993 मुंबई ब्लास्ट, अजमल कसाब केस और कोल्हापुर गैंगरेप जैसे कई हाई-प्रोफाइल मामलों में सरकारी पक्ष की पैरवी की। वे 2024 के लोकसभा चुनाव में मुंबई उत्तर मध्य से बीजेपी प्रत्याशी रहे, पर कांग्रेस की वर्षा गायकवाड़ से हार गए। राज्यसभा में उनका चयन न्यायिक क्षेत्र में उनके विशेष अनुभव को ध्यान में रखते हुए किया गया है।
✅ सी. सदानंदन मास्टे – केरल के समाजसेवी और शिक्षाविद सदानंदन मास्टे शिक्षा और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय हैं। दक्षिण भारत के समाज सुधार आंदोलनों में भी उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है।
✅ हर्षवर्धन श्रृंगला – सेवानिवृत्त भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारी हर्षवर्धन श्रृंगला अमेरिका, बांग्लादेश और थाईलैंड में भारत के राजदूत रहे। विदेश सचिव के तौर पर उन्होंने भारत के लिए अहम कूटनीतिक जिम्मेदारियां निभाईं और G20 जैसे महत्वपूर्ण आयोजनों में भी सक्रिय रहे। उनकी वैश्विक समझ का लाभ सरकार को एक बार फिर मिलेगा।
✅ डॉ. मीनाक्षी जैन – जानी-मानी इतिहासकार और शिक्षाविद डॉ. मीनाक्षी जैन दिल्ली विश्वविद्यालय के गार्गी कॉलेज में एसोसिएट प्रोफेसर रह चुकी हैं। भारतीय इतिहास और संस्कृति पर उनके शोध कार्य को 2020 में पद्मश्री सम्मान मिला। वे नेहरू मेमोरियल म्यूजियम एंड लाइब्रेरी की फेलो और ICHR की शासी परिषद की सदस्य रही हैं। फिलहाल, वे भारतीय सामाजिक विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICSSR) में सीनियर फेलो के रूप में कार्यरत हैं।
आपको बता दें कई राज्यसभा संसद का ऊपरी सदन है। इन सदस्यों के आने से राज्यसभा में अलग-अलग क्षेत्रों के अनुभवी लोग शामिल होंगे। इससे सदन की कार्यवाही और बेहतर होगी। राष्ट्रपति द्वारा नामांकन से राज्यसभा में इन क्षेत्रों—कानून, कूटनीति, शिक्षा और इतिहास—का प्रतिनिधित्व और मजबूत होने की उम्मीद है। संविधान के अनुच्छेद 80 के तहत, राष्ट्रपति को कला, साहित्य, विज्ञान, सामाजिक सेवा और अन्य क्षेत्रों में विशेष योगदान देने वाले व्यक्तियों को राज्यसभा में नामित करने का अधिकार है। ये नियुक्तियां संसद के उच्च सदन में विविध दृष्टिकोण और विशेषज्ञता को शामिल करने के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। नामित सदस्यों की भूमिका विधायी चर्चाओं में महत्वपूर्ण योगदान देने और राष्ट्रीय हित के मुद्दों पर विचार-विमर्श को समृद्ध करने की होती है।
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