नई दिल्ली
भाजपा ने अपने चुनावी वायदे को पूरा करने के लिए एक और कदम आगे बढ़ा दिया। वन नेशन-वन इलेक्शन यानी एक देश-एक चुनाव के प्रस्ताव को मोदी कैबिनेट ने बुधवार को मंजूरी दे दी। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली समिति वन नेशन वन इलेक्शन की संभावनाओं पर मार्च में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। इसके बाद अब ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव को मोदी कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है और संसद में इसे शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा।
रामनाथ कोविंद के नेतृत्व वाली समिति ने जो सुझाव दिए गहैं, उसके मुताबिक पहले कदम के रूप में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाने चाहिए। समिति ने आगे सिफारिश की है कि लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव एक साथ संपन्न होने के 100 दिन के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव भी हो जाने चाहिए। इससे पूरे देश में एक निश्चित समयावधि में सभी स्तर के चुनाव संपन्न कराए जा सकेंगे। वर्तमान में, राज्य विधानसभाओं और लोकसभा के चुनाव अलग-अलग आयोजित किए जाते हैं।
केंद्रीय कैबिनेट के फैसले की जानकारी देते हुए केन्द्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में वन नेशन-वन इलेक्शन पर बिल पेश किया जाएगा। बता दें कि मोदी 3.0 के 100 दिनों के एजेंडा में वन नेशन-वन इलेक्शन की रिपोर्ट को कैबिनेट के सामने रखना भी शामिल था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय से वन नेशन वन इलेक्शन की वकालत करते आए हैं। पीएम मोदी ने कहा था कि बार-बार चुनाव होने से देश की प्रगति में बाधा उत्पन्न हो रही है। देश को ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ के लिए आगे आना होगा। वन नेशन-वन इलेक्शन के मुद्दे को बीजेपी ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी जगह दी है। बीजेपी के साथ ही एनडीए में शामिल कई घटक दल भी इसके समर्थन में हैं।
32 दलों ने किया समर्थन
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने एक देश-एक चुनाव पर रिपोर्ट तैयार करने के लिए 62 सियासी दलों से राय ली थी। इन राजनीतिक दलों में से 32 ने समर्थन, 15 ने विरोध और 15 ने इस पर जवाब देने से इनकार कर दिया था। समर्थन करने वाले दलों में बीजेपी, जेडीू, एलजेपी (आर) जैसे दल शामिल हैं। वहीं, इसके विरोध में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी समेत 15 दल शामिल हैं। वहीं, मोदी 3.0 में शामिल चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी ने इस पर कोई जवाब नहीं दिया है।
अमित शाह ने पहले ही कर दिया था ऐलान
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 17 सितंबर को ही कहा था कि बीजेपी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार अपने मौजूदा कार्यकाल में ही वन नेशन-वन इलेक्शन को लागू करेगी। इससे पहले बीते स्वतंंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी एक देश-एक चुनाव की जोरदार वकालत की थी।
केंद्रीय कैबिनेट की ओर से मंजूरी मिलने के बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इस फैसले पर विरोध जताया है। मल्लिकार्जुन खरगे ने वन नेशन-वन इलेक्शन पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ये प्रैक्टिकल नहीं है और ये चलने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि ये वर्तमान मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए फैसला किया गया है।
आगे क्या
एक देश, एक चुनाव के लिए सबसे पहले सरकार को बिल लाना होगा। संविधान संशोधन करना होगा। बिल तभी पास होंगे, जब इन्हें संसद के दो तिहाई सदस्यों का समर्थन मिलेगा। यानी, लोकसभा में इस बिल को पास कराने के लिए कम से कम 362 और राज्यसभा के लिए 163 सदस्यों का समर्थन जरूरी होगा। संसद से पास होने के बाद इस बिल को कम से कम 15 राज्यों की विधानसभा का अनुमोदन भी जरूरी होगा। यानी, 15 राज्यों की विधानसभा से भी इस बिल को पास करवाना जरूरी है। इसके बाद राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ही ये बिल कानून बन सकेंगे।
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