मौत के 12 साल बाद इंसाफ | राजस्थान हाईकोर्ट ने रद्द की मृतक जज की बर्खास्तगी, परिवार को मिलेगा पूरा वेतन व पेंशन

जोधपुर 

राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) की डबल बेंच जस्टिस मुन्नूरी लक्ष्मण और जस्टिस बिपिन गुप्ता ने एक अहम फैसले में स्व. डिस्ट्रिक्ट जज बी.डी. सारस्वत की बर्खास्तगी को पूरी तरह रद्द कर दिया है। अदालत ने कहा कि सारस्वत की सेवा समाप्ति कानूनी रूप से अवैध थी। इसलिए बर्खास्तगी की तिथि से लेकर सेवानिवृत्ति तक का पूर्ण वेतन, सेवा निरंतरता और पेंशन लाभ उनके परिजनों को दिए जाएं।

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ध्यान देने वाली बात यह है कि सारस्वत का 2012 में ही निधन हो चुका था, यानी इंसाफ उनके नहीं, पर उनके बाद परिवार तक पहुँचा। पहले जज बी.डी. सारस्वत ने खुद अपने सम्मान के लिए लड़ाई लड़ी। उनके निधन के बाद पत्नी ने मोर्चा संभाला। और पत्नी के गुजर जाने के बाद बेटे और बेटी ने यह लड़ाई छोड़ी नहीं — अंत तक खड़े रहे। आखिरकार, राजस्थान हाईकोर्ट की डबल बेंच ने बर्खास्तगी को अवैध ठहराते हुए सारस्वत के पक्ष में फैसला सुना दिया।

क्या था मामला?

बी.डी. सारस्वत प्रतापगढ़ में NDPS विशेष न्यायाधीश थे। उन पर आरोप था कि उन्होंने एक आरोपी पारस को जमानत दी, जबकि उससे पहले दो बार जमानत याचिका खारिज हो चुकी थी। आरोप पक्ष ने इसे “बाहरी प्रभाव” से प्रेरित माना।

इसके बाद:

  • तत्कालीन चीफ जस्टिस ने जांच न्यायाधीश जस्टिस एन.पी. गुप्ता की नियुक्ति की
  • लोक अभियोजक व अधिवक्ताओं के बयान दर्ज हुए
  • जांच रिपोर्ट में आरोप सिद्ध माने गए
  • पूर्ण पीठ ने रिपोर्ट स्वीकार कर बर्खास्तगी की अनुशंसा की
  • 8 अप्रैल 2010 को बर्खास्तगी आदेश जारी हुआ

हाईकोर्ट ने क्या कहा?

डबल बेंच ने साफ माना कि:

  • जांच रिपोर्ट बाहरी अनुमान और कमजोर साक्ष्यों पर आधारित थी
  • पूर्ण पीठ का निर्णय विवेक और प्रमाणिकता की कसौटी पर नहीं टिकता
  • कोई भी “सामान्य समझ वाला व्यक्ति” भी इन साक्ष्यों से दोष सिद्ध नहीं मान सकता

इसलिए:

  • जांच रिपोर्ट रद्द

  • पूर्ण पीठ का निर्णय रद्द

  • राज्यपाल द्वारा जारी बर्खास्तगी आदेश रद्द

अदालत ने कहा कि जब सेवा समाप्ति अवैध साबित हो जाए तो सामान्य नियम पुनर्स्थापन और पूरा बकाया वेतन होता है। राज्य सरकार यह साबित नहीं कर सकी कि मामला अपवाद में आता है। इसलिए आदेश दिया गया कि:

  • 8 अप्रैल 2010 से 28 फरवरी 2011 तक का पूरा वेतन
  • सेवा निरंतरता
  • सभी पेंशन व उत्तराधिकार लाभ
    सारस्वत परिवार को दिए जाएँ।

व्यक्तिगत पक्ष

सारस्वत मूल रूप से बीकानेर (Bikaner) के निवासी थे। मुकदमा लंबित रहते 2012 में उनकी मृत्यु हो गई। फिर उनकी पत्नी ने लड़ाई जारी रखी। पत्नी के निधन के बाद पुत्र अमित सारस्वत और पुत्री मधु सारस्वत ने यह कानूनी लड़ाई पूरी की।

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