महाराणा प्रताप को लेकर सही इतिहास नहीं लिखा गया, शोधार्थियों ने बताया रिसर्च पेपर के जरिए सच

महाराणा प्रताप: एक असली नायक   

‘महाराणा प्रताप की युद्ध रणनीति एवं व्यूहकौशल: एक अभिनव दृष्टिकोण’  विषय पर राष्ट्रीय वेबीनर का आयोजन


उदयपुर। ‘महाराणा प्रताप की युद्ध रणनीति एवं व्यूहकौशल: एक अभिनव दृष्टिकोण’ विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वेबीनर में वक्ताओं का मानना था कि महाराणा प्रताप को लेकर सही इतिहास नहीं लिखा गया। वक्ताओं का मत था कि अकबर नहीं बल्कि महाराणा प्रताप महान थे और हमको इसके उलट अकबर महान ही पढ़ाया जाता रहा। इस वेबीनर में शोधार्थियों ने अपने रिसर्च पेपर के जरिए महाराणा प्रताप को लेकर इतिहास का सच देश के सामने रखा। वेबीनर में देश भर से विभिन्न शोधार्थियों एवं शिक्षकों से रिसर्च पेपर भी आमंत्रित किए गए थे। संगोष्ठी में देश भर से इतिहास एवं समाजशास्त्र क्षेत्र के विभिन्न शख्शियतों ने शिरकत की।
इस राष्ट्रीय वेबीनर का आयोजन महाराणा प्रताप की 481वीं जयंती के उपलक्ष्य में डॉ.बीआर अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय महू, मध्य प्रदेश शासन के पर्यटन, संस्कृति और अध्यात्म विभाग एवं महाराणा प्रताप शोध पीठ, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर के संयुक्त तत्वावधान में किया गया था।

वीर पुत्र महाराणा प्रताप शोध पीठ का उद्घाटन
वेबीनर के दौरान मुख्य अतिथि तथा मध्य प्रदेश सरकार के पर्यटन, संस्कृति और अध्यात्म मंत्रालय की कैबिनेट मंत्री, सुश्री उषा ठाकुर ने ‘वीर पुत्र महाराणा प्रताप शोध पीठ’ का उद्घाटन किया। साथ ही महाराणा प्रताप की देशभक्ति संबंधी संस्कारों पर माता जयंता बाई के व्यक्तित्व की सशक्त छाप होना बताया। उन्होंने उम्मीद जताई कि नव उद्घाटित ‘वीर पुत्र महाराणा प्रताप शोध पीठमहाराणा प्रताप के बारे में अधिकाधिक सटीक इतिहास को जन-जन तक पहुंचाएगी।

वामपंथी इतिहासकारों ने प्रताप के योगदान को कमतर आंका:  प्रो. रविंद्र शर्मा
कार्यक्रम के बीज वक्ता तथा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय, हरियाणा के महाराणा प्रताप चेयर के अध्यक्ष, प्रो. रविंद्र शर्मा ने महाराणा प्रताप की सेना में पशुओं के नामकरण तथा प्रशिक्षण देने की प्रक्रिया को आधुनिक सेना की प्रणालियों से तुलना कर विशिष्ट समानता को रेखांकित किया। साथ ही उन्होंने कहा कि वामपंथी इतिहासकारों ने प्रताप के योगदान को कमतर आंका और सरकारों ने देश के विद्यार्थियों  को प्रताप के संपूर्ण जीवन, महानता को पर्याप्त रूप से पाठ्यक्रम में सम्मिलित नहीं किया । प्रो. रविंद्र शर्मा ने महाराणा प्रताप की युद्ध नीति एवं युद्ध के दौरान प्रयोग किए गए अस्त्र-शस्त्र घोड़ों, हाथियों तथा तोप खानों का युद्ध नीति के रूप में विश्लेषण भी किया।

‘अकबर नहीं प्रताप महान थे’
प्रो. रविंद्र शर्मा ने महाराणा प्रताप के समक्ष विभिन्न चुनौतियों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि अकबर को नहीं वरन महाराणा प्रताप महान थे। प्रो. शर्मा ने महाराणा प्रताप की विशेषता जैसे सर्वहारा वर्ग को साथ लेकर चलना, छापामार युद्ध प्रणाली के प्रणेता, युद्ध बंदियों और उनके परिवारों के साथ मानवीय एवं सहृदय व्यवहार का वर्णन करते हुए महाराणा प्रताप को भारत के ऐसे प्रथम राजा की संज्ञा दी जिन्होंने  सैनिकों के लिए पेंशन प्रणाली का आरंभ किया।

इतिहास में महाराणा प्रताप का सही चित्रण नहीं हुआ : लेफ्ट. जनरल दुष्यंत सिंह
वेबीनार के विशिष्ट अतिथि एवं भारतीय सेना के पूर्व लेफ्ट. जनरल दुष्यंत सिंह ने कहा कि इतिहासकारों ने महाराणा  प्रताप का  इतिहास में सही दृष्टिकोण से चित्रण नहीं किया। उनका कहना था कि कहा राष्ट्रीय ईमान और राष्ट्रीय सुरक्षा में राजनीति नहीं होनी चाहिए। लेफ्ट. जनरल दुष्यंत सिंह ने साम्यवादी नेता मायोत्से तुंग और चैन वेदा को गुरिल्ला युद्ध प्रणाली का प्रणेता गलत बताते हुए महाराणा प्रताप को इसका वास्तविक  प्रणेता बताया। लेफ्टिनेंट जनरल ने वर्तमान युद्ध रणनीति एवं प्रताप की  युद्ध रणनीति का तुलनात्मक विश्लेषण कर युद्ध नीति को समझाया।

प्रताप के संबंध में नवाचार शोधों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता
वेबीनार की अध्यक्षता डॉ. भीमराव अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. आशा शुक्ला ने प्रताप से संबंधित शोध कार्य, अन्य प्रोजेक्ट के विषय में अपनी भावी योजनाओं के बारे में बताया। कार्यक्रम के सह-अध्यक्ष महाराणा प्रताप विश्वविद्यालय, कृषि और प्रौद्योगिकी, उदयपुर के कुलपति प्रो. नरेंद्र सिंह राठौर ने महाराणा प्रताप के व्यक्तिगत गुण, शारीरिक क्षमता, मानसिक दृढ़ता पर चर्चा की। कार्यक्रम के समन्वयक प्रो. डीके वर्मा ने इस अवसर पर प्रताप के संबंध में नवाचार शोधों को प्रोत्साहित करने की बात कही। कार्यक्रम के समन्वयक  डॉ. डी. के. वर्मा, डीन एवं डायरेक्टर, ब्राउस ने इस अवसर पर प्रताप के संबंध में नवाचार शोधों को प्रोत्साहित करने की बात कही।

वेबीनार में किया हल्दीघाटी युद्ध का सचित्र चित्रण
वेबीनार के विशिष्ट अतिथि जयंत मिश्रा, इतिहासकार एवं सलाहकार, ड्रग कानून प्रवर्तन, ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय – क्षेत्रीय कार्यालय, दक्षिण एशिया ने कर्नल टोड के  संकलन से चित्रकार चोखा का हल्दीघाटी युद्ध का चित्र प्रस्तुत कर, कई रोचक जानकारियां उपलब्ध करवाई। कार्यक्रम का संयोजन उद्घाटित शोध पीठ की नोडल ऑफिसर डॉ.बिंदिया तातेड़, ब्राउस ने किया। कार्यक्रम की समन्वयिका प्रो. दिग्विजय भटनागर, मोहन लाल सुखड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।इस वेबीनार में डॉक्टर मनीषा  सक्सेना,  एमपी  भोज ओपन विश्वविद्यालय के निर्देशक प्रो के. जॉन, प्रो जी एन माथुर, प्रो. के एस गुप्ता, प्रो. चंद्रशेखर शर्मा, डॉ. प्रतिभा, ब्राउस रजिस्ट्रार अजय शर्मा, ब्राउस मालवीय सह -रजिस्ट्रार श्रीमती संध्या, डॉ. शिल्पा मेहता, डॉक्टर नवरत्न बोथरा, डॉ. मनीष श्रीमाली, विल्सन आदि भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में 600 से अधिक पंजीकरण हुए तथा 20 से अधिक शोध पत्र शामिल किए गए । कार्यक्रम में 180 से अधिक श्रोता शमिल हुए।




 

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