क्यूँ पाले हो मन में ये अहम ये अहंकार इतना,
अहम तो अच्छे-अच्छों का न रहा।
जब समय बदलता है दोस्तो,
उसे बेरहमी से टूटते हम सबने देखा है।।
छोड़ो ये गुरुर, ये अहम और ये अहंकार दोस्तो,
न हांसिल होगा इनसे जिंदगी में कुछ भी दोस्तो।
चलो, बन जाते हैं फिर से वही अलमस्त दोस्तो,
आओ, बन जाते हैं फिर से वही अलमस्त दोस्तो।।