डायबिटीज
डॉ. सुधा व्यास
क्या आपको डायबिटीज है या फिर डायबिटीज की आशंकाओं से घिरे रहते हैं? सच कहें तो मधुमेह या डायबिटीज के कारण आपके जीवन के हर पहलू पर असर पड़ता है। यह आजीवन बनी रहने वाली एक गंभीर स्थिति है लेकिन थोड़ी सी सावधानी और देखभाल के जरिए आप चाहें तो अपने स्वास्थ्य को सुरक्षित रख सकते हैं। आप न केवल आज बल्कि जीवन भर के लिए अपनी सेहत की देखभाल कर सकते हैं।
मैं ही क्यों?
यह एक ऐसा सवाल है, जो डायबिटीज का हर रोगी अक्सर पूछता रहता है लेकिन उसे संतोषजनक जवाब नहीं मिलता। डायबिटीज (मधुमेह) से पीड़ित आप ही ऐसे एक आदमी हैं, बल्कि भारत की 3 करोड़ से भी अधिक आबादी मधुमेह से ग्रस्त है। तीन में से एक व्यक्ति को अपनी जीवन की गुणवत्ता बेहतर बनाने के लिए इंसुलिन की जरूरत पड़ती है।
मुझे डायबिटीज है, इसके बाद ये घेरे रहती हैं आशंकाएं
मुझे डायबिटीज है यह जानने के बाद कई आशंकाएं हमको घेरे रहती हैं। ऐसी आशंकाएं ये हो सकती हैं:
अविश्वास: ऐसे लोगों को लगता है कि ब्लड शुगर की जांच रिपोर्ट सही नहीं है।
क्रोध: इस बात पर क्रोध होता है कि ये बीमारी उसे ही क्यों हुई?
भय: मधुमेह के कारण जीवन शैली में किए जाने वाले परिवर्तनों से व्यक्ति भयभीत हो जाता है।
नाराजगी: मधुमेह प्रबंधन के लिए अनुशासन से उपजी निराशा एवं जीवन के प्रति नारागजी होना
मधुमेह के साथ जिएं मस्ती से
जिन्दगी बेहतर बनाने के लिए पहला कदम उठाने के लिए आप बाधाई के पात्र हैं। डायबिटीज को नियंत्रित करने के लिए डायबिटीज को समझें और अपने डॉक्टर की सलाह का उचित पालन करें। अपनी बीमारी को नियंत्रित करने के लिए प्रमुख रूप से हम ही स्वयं जिम्मेदार हैं और अपने डाक्टर, परिवार और मित्रों की मदद से डायबिटीज होने के बावजूद आप सामान्य जीवन जी सकते हैं। पहली बात तो ये कि आप चिंता न करें, आप सही देखभाल और समझबूझ के साथ डायबिटीज को अच्छी तरह नियंत्रण में रख सकते हैं।
डायबिटीज के प्रति लापरवाही दिखाई जाए तो धीरे-धीरे कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं, जैसे यह आपके हृदय,आंख, गुर्दे और स्नायुओं को नुकसान पहुंचा सकता है। साथ ही यह आपकी रक्त संचार प्रणाली को भी प्रभावित कर सकता है। यहां तक कि आपके दांत और मसूड़े भी इससे खराब हो सकते हैं, गर्भावस्था के दौरान तरह-तरह की परेशानियां पैदा कर सकता है।
लेकिन अगर आप अपने डॉक्टर की सलाह और सहायता लें तो इन सारी परेशानियों की रोकथाम कर सकते हैं। ऐसे कुछ उपायों से आपको इन परेशानियों की रोकथाम में पर्याप्त सहायता मिलेगी।
आज से हर दिन स्वास्थ्य संतुलित करें
नियमित व्यायाम करें और समय पर अपनी दवाएं लें, अपने रक्त में शक्कर की जाच स्वयं करें ताकि आप यह पता लगा सकें कि आपका जीने का यह तरीका कितना लाभदायक साबित हो रहा है। ऐसा भोजन करें और जीने का ढंग अपनाएं जो आपकी सेहत के लिए सुरक्षित हो। याद रखिए आप की चुस्ती तंदरुस्ती आपके परिवार, मित्र और रिश्तेदारों के प्रति अपनी जिम्मेदारियां निभाने में एक महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
मधुमेह क्या है?
हमारे द्वारा लिया जाने वाला अधिकतम भोजन ग्लूकोज में परिवर्तित हो जाता है और यह ग्लूकोज शरीर को हर काम करने की शक्ति देता है। पेट में आमाशय (स्टॉमक) के नजदीक स्थित अग्नाशय (पैनक्रियाज) नामक अंग एक प्रकार का जूस हॉर्मोन तैयार करता है जिसे इन्स्यूलिन कहते हैं। यह एक चाबी की माफिक ताला खोलकर ग्लूकोज को शरीर की कोशिकाओं में प्रवेश करने में मदद करता है। जब किसी को डायबिटीज रोग होता है तो आप का शरीर या तो इस्यूलिन तैयार करने में असमर्थ हो जाता है (टाइप- 1) या फिर स्वयं के द्वारा तैयार किया गया इंसुलिन पूरी तरह उपयोग नहीं कर पाता है (टाइप-2)। इसके कारण शरीर में मौजूद ग्लूकोज हमारे रक्त प्रवाह में ही घूमता रहता है। हायपरम्लायसीमिया की स्थिति (रक्त में शक्कर की अधिक मात्रा) हर तरह के डायबिटीज में आमतौर पर पाई जाती है। सबसे दुःखद स्थिति यह होती है कि हालांकि हमारे रक्त प्रवाह में ग्लूकोज भरपूर मात्रा में होता है फिर भी शरीर की कोशिकाएं ग्लूकोज के लिए भूखी ही रहती है।
हमारे द्वारा लिए गए भोजन में कार्बोहाइड्रेट का पेट एवं आंतों ग्लूकोज में परिवर्तन किया जाता है। इंसुलिन दरवाजों को खोल देता है ताकि ग्लूकोज कोशों के भीतर कर सके और शरीर के लिए शक्ति के रूप में इसका इस्तेमाल हो सके।
भोजन द्वारा किस तरह रक्त में शक्कर (ग्लूकोज) का नियंत्रण होता है?
- हमारे द्वारा लिए गए भोजन में मौजूद कार्बोहाइड्रेट का पेट एवं आंतों में पाचन क्रिया से ग्लूकोज परिवर्तन किया जाता है।
- हर भोजन के बाद आपका अग्नाशय इंसुलिन तैयार करता है।
- रक्त प्रवाह से ग्लूकोज खींचकर शरीर को शक्ति प्रदान करने में इंसुलिन मदद करता है। इंसुलिन चाबी की तरह दरवाजे का ताला खोल देता है ताकि ग्लूकोज कोशिकाओं के भीतर प्रवेश कर सके और मेटाबॉलिजम की क्रिया प्रणाली के द्वारा ग्लूकोज से ऊर्जा एवं शक्ति का निर्माण हो सके।
- भोजन के बाद पाचन क्रिया से आपके रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ता है और हर बार आपका अग्नाशय अपने आप इंसुलिन तैयार करता जाता है।
- इस प्रकार इंसुलिन रक्त में शक्कर (ग्लूकोज) की मात्रा के स्तर को कम करता है ताकि ग्लूकोज रक्त से कोशों में जाकर ऊर्जा के निर्माण में इस्तेमाल हो।
- परिणाम स्वरूप आपके रक्त प्रवाह में ग्लूकोज की मात्रा नियंत्रित रहती है न ज्यादा अधिक और न बहुत कम।
- स्वस्थ संतुलित भोजन और व्यायाम से रक्त में ग्लूकोज का स्तर सामान्य बनाए रखने में मदद मिलती है।
टाइप-2 डायबिटीज में शक्कर और इंसुलिन की भूमिका
समस्या-1
जब आप भोजन करते हैं आपका अग्नाशय बहुत देर बाद बहुत कम इंसुलिन तैयार करता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि आपके अग्नाशय में मौजूद कोश (बीटा सेल्स) क्षमता से काम करना बंद कर देते हैं। जब तक मधुमेह रोग का पता चलता है तब तक शरीर में मौजूद 70 प्रतिशत बीटा कोश मर चुके होते हैं। समय के साथ-साथ इन मृतक कोशों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ती जाती है।
समस्या-2
आपके शरीर के कोशों की इंसुलिन के प्रति संवेदनशीलता खत्म हो जाती है। इंसुलिन आपके रक्त प्रवाह से ग्लूकोज को खींच कर कोशों के भीतर प्रवेश कराने में असमर्थ हो जाता है। इससे रक्त में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है । ग्लूकोज रक्त में बढ़ने से (हायपरग्लाइसीमिया) ग्लूकोज पेशाब के जरिए बाहर आने लगता है। (ग्लायकोसूरिया) टाइप 1 डायबिटीज में अग्नाशय के बीटासेल्स स्वयं ही नष्ट होने लगते हैं। एक ऑटो इम्यून प्रक्रिया व विशिष्ट के जीन्स युक्त व्यक्तियों में इंसुलिन बनना बंद हो जाता है।
(लेखक वरिष्ठ फिजिशियन और डायबिटीज विशेषज्ञ हैं। राजकीय अस्पताल उदयपुर की PMO रही हैं।
डी-13 रूप विहार, न्यू सांगानेर रोड जयपुर। )
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