हैल्थ टिप
पत्थरचट्टा के (Patharchatta) सेवन से टूट जाएगी पथरी
आयुर्वेद में पत्थरचट्टा को पथरी के लिए श्रेष्ठ दवा माना गया है। यह एक पौधा होता है जो भारत के सभी क्षेत्रों में पाया जाता है। इसे घर में ही आसानी से उगाया जा सकता है। इसके पते मांसल, अंडाकार, 5-6 इंच व्यास के किनारों पर दंत युक्त, ऊपरी सतह पर हरे रंग के और निचली सतह पर मटमैले, लाल आभा लिए होते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार पत्थरचट्टा Patharchatta किडनी में पथरी की समस्या को जड़ से खत्म कर देता है। इस पौधे को आयुर्वेद में भष्मपथरी, पाषाणभेद और पणपुट्टी के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही आयुर्वेद में पत्थरचट्टा को प्रोस्टेट ग्रंथि और किडनी स्टोन से जुड़ी हुई समस्याओं के इलाज की औषधि माना गया है।
पत्थरचट्टा उगाने का तरीका
पत्थरचटा के पत्तों को किसी भी तरह की जमीन में डाल देनेभर से उगाया जा सकता है। पत्थरचट्टा की तासीर बहुत ही सामान्य होती है । इसलिए हर मौसम में इसका सेवन कर सकते हैं। इसका पत्ता खाने में खट्टा और नमकीन होता है। यह स्वाद में भी स्वादिष्ट भी है।
ऐसे करें प्रयोग
पत्थरचट्टा के दो पत्तों को तोड़कर उसे अच्छे से धो लें। और सुबह खाली पेट गरम पानी के साथ इसका सेवन करें। नियमित इस्तेमाल करने से थोड़े ही दिनों में पथरी टूट कर शरीर से बाहर निकल जाएगी। पत्थरचट्टा के पत्तों को चबाकर या इसकी पकौड़े बनाकर भी सेवन किया जा सकता है।
पत्थरचट्टा के रस में सौंठ का चूर्ण मिलाकर सेवन करने से पेट में होने वाले दर्द से भी राहत मिलती है। पित्ताशय की पथरी में पत्थरचट्टा, अजवाइन के 10 पत्तों को पीसकर लगुदी बनाकर इसमें एक चम्मच गोखरू (यह आसानी से बाजार में मिल जाएगा) को मिलाकर सुबह-सुबह खाली पेट लगातार तीन दिनों तक सेवन करते रहें। इसके सेवन के बाद दस्त और उल्टियां भी लग सकती हैं लेकिन चिंता न करें। दिन में तीन बार पथरचट्टा के पत्तों का भी सेवन कर सकते हैं।
एक गिलास पानी में पत्थरचटा के 10 पत्तों को उबालकर काढ़ा बनाकर रोज सुबह खाली पेट सेवन करने से 15 दिनों के अंदर पथरी बाहर आ जाएगी ।
सावधानियां व परहेज
इस औषधि का सेवन करते समय चूना, बिना साफ किए हुए फल और अधिक चावल आदि का सेवन न करें। पथरी की मुख्य वजह कैलशियम होती है। शरीर में अधिक कैलशियम का होना पथरी का कारण बनता है।
यह औषधि बेहद काम की है। पथरी से परेशान लोगों को इसका नियमित सेवन करना है।
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