सेफ्टी कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे हैं देशभर के रेलमंडल, डेढ़ लाख पद पड़े हैं खाली

नई दिल्ली 

देशभर के 68 रेल मंडल सेफ्टी कर्मचारियों की कमी से जूझ रहे हैं। इन रेल मंडलों में सेफ्टी से जुड़े कर्मचारियों के डेढ़ लाख से अधिक पद खाली पड़े हैं। इससे  रेलवे में संरक्षा व सुरक्षा बुरी तरह प्रभावित हो रही है। रेलवे के करीब सभी विभागों में कर्मचारियों की कमी चल रही है। इसके बाद भी भारतीय रेलवे इन पदों को भरने में कोई दिलचस्पी नहीं ले रहा है। हालांकि रेलवे यूनियंस ने समय – समय पर इस विषय की उठाया है, लेकिन उच्च अधिकारियों ने कोई कदम नहीं उठाया।

जानकारी के अनुसार भारतीय रेल में सेफ्टी कर्मचारियों की श्रेणी में 1,41,565 पद रिक्त हैं। इससे अंदाज लगाया जा सकता है कि यात्रियों की सुरक्षा को लेकर रेलवे कितना चिंतित है। स्थिति ये है कि पश्चिम मध्य रेलवे में 64157 कर्मचारियों के मुकाबले 53369 कर्मचारी काम कर रहे हैं। इस रेलवे में जबलपुर, भोपाल, कोटा रेल मंडल आते हैं। इसी तरह पश्चिम रेलवे में  करीब 1 लाख 25 हजार पद स्वीकृत हैं, लेकिन 1 लाख 10 हजार कर्मचारी ही काम कर रहे हैं। शेष पद रिक्त  पड़े हैं।

प्राथमिकता में नहीं है सेफ्टी
भारतीय रेलवे कर्मचारियों की कमी को लेकर जिस तरह से काम कर रहा है उससे लगता है, उसकी प्राथमिकता में सेफ्टी कतई नहीं है। यह इससे जाहिर हो रहा है कि रेलवे ने समय-समय पर रिक्त पदों की भर्ती के लिए सूचनाएं तो जारी की हैं, लेकिन उन रिक्त पदों में सेफ्टी से जुड़े कर्मचारियों के पदों को भरने के लिए कोई जगह नहीं मिली। 

बतौर उदाहरण  रेलवे ने विभिन्न पदों के लिए 1.20 लाख वेकेंसी निकाली थी। यह भर्ती प्रक्रिया फिलहाल विभिन्न चरणों में है। इससे पहले साल के शुरुआत में 89,409 खाली पदों को भरने के लिए वेकेंसी निकाली गई थी। इसमें सहायक लोको पायलट, टेक्निशियन और लेवल-1 (सेफ्टी कैटेगरी से जुड़ा ) के पद शामिल हैं। लेकिन रेलवे का सेफ्टी कैटेगरी से जुड़े 1,41,565 पदों को भरने की तरफ अभी तक नहीं भर पाया है। इसके कारण छोटी से चूक के चलते भी रेलवे और यात्रियों को भारी कीमत चुकानी पड़ती है।

कर्मचारियों की कमी का ऐसे पड़ रहा
सेफ्टी से जुड़े पदों के खाली पड़े रहने से यात्री की संरक्षा व सुरक्षा पर असर हो रहा है। जो कर्मचारी अभी काम कर रहे हैं, उनपर काम का दबाव बढ़ गया है। वहीं  दुर्घटनाओं की आशंकाएं बनी रहती  हैं। प्राय: सभी रेल मंडलों में  यात्री से लेकर मालगाड़ी ट्रेन के डिब्बों के बे पटरी होने की घटनाएं आए दिन सामने आती रहती हैं। हालाँकि रेल संगठन इसके लिए आवाज तो उठाते है, लेकिन उसका खास असर देखने को नहीं मिल रहा है।

सरकार की रुचि सिर्फ पद समाप्त करने की
रेलवे कर्मचारी यूनियंस आरोप लगाती रही हैं कि सरकार की रूचि केवल पदों को समाप्त करने में है। भरने में नहीं है। इससे जो कर्मचारी काम कर रहे हैं उन पर काम का दबाव बढ़ता जा रहा है। सरकार  सिर्फ स्पेशल ट्रेन चलाकर अपनी जेब भर रही है। पद भरने के लिए कोई प्रयास नहीं हो रहे।

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