‘उन्होंने एक पाई की मदद नहीं की तो पूरी छूट, हम मदद को खड़े रहे तो गुनाह हो गया’

भरतपुर 


व्यापार महासंघ ने सरकार से पूछा सवाल  


‘उन्होंने एक पाई की मदद नहीं की तो पूरी छूट, हम मदद को खड़े रहे तो गुनाह हो गया।’ कुछ ऐसा ही दर्द 20 मई गरुवार को भरतपुर जिला व्यापार महासंघ की V. C. के जरिए हुई मीटिंग में छलका और इसमें सरकार से मांग की गई कि ऑनलाइन कंपनियों पर तत्काल रोक लगाई जाए। महासंघ ने कहा है कि कोरोना के इस विपत्तिकाल काल में सभी व्यापारी हर किसी की मदद के लिए खड़े रहे और सबसे ज्यादा बंदिशें भी उन्होंने ही झेलीं। और जिन ऑनलाइन कंपनियों ने एक पाई की मदद नहीं की, सरकार ने उनके लिए पूरा व्यापार खोल दिया। व्यापरियों का कहना था कि ऑनलाइन बिक्री को छूट देकर मध्यम वर्गीय दुकानदार की उम्मीदों पर पानी फेरने के साथ इन विषम परिस्थितियों में मनोबल  तोड़ा जा रहा है।

महासंघ  जिलाध्यक्ष संजीव गुप्ता की अध्यक्षता में V. C. के जरिए हुई इस  बैठक में जिला महामंत्री नरेन्द्र गोयल, उपाध्यक्ष मोहनलाल मित्तल, प्रमोद सराफ, कोषाध्यक्ष जय प्रकाश बजाज, शहर अध्यक्ष भगवान दास बंसल, जिला प्रवक्ता विपुल शर्मा, बन्टू भाई, अशोक शर्मा आदि पदाधिकारी शामिल हुए। जिला प्रवक्ता विपुल शर्मा ने बताया कि मीटिंग में सभी पदाधिकारियों ने टीवी, फ्रिज, कूलर, रेडीमेड कपड़े, मोबाइल आदि सभी समान बेचने की छूट देने के फैसले को गलत बताया और कहा कि  पिछले 2-3 महीने से पूरे  भारतवर्ष में हर गांव, हर शहर में छोटे- बड़े मध्यमवर्गीय दुकानदारों ने अपने शोरूम और गोदामों में माल भर रखा है। ऑनलाइन कंपनियों को बिक्री की छूट देने से छोटे- बड़े मध्यमवर्गीय दुकानदारों का गोदामों में पड़ा यह सामान बेकार हो जाएगा। एक-दो माह में फ्रिज कूलर, शादी का सीजन भी चला जाएगा क्योंकि अभी दुकानदार कहीं यह उम्मीद लगाए बैठा है कि, जब भी लॉकडाउन खुलेगा, तो मैं अपना थोड़ा बहुत माल बेच कर जो देनदारी  है वह चुका सकूंगा। लेकिन ऑनलाइन बिक्री को छूट देकर मध्यम वर्गीय दुकानदार की उम्मीदों पर पानी फेरने के साथ इन विषम परिस्थितियों में मनोबल  तोड़ा जा रहा है।

सरकार बताए कि अब कौन खरीदेगा उनका सामान?
महासंघ के नेताओं ने कहा कि ऑनलाइन कंपनियों से खरीदारी करके ग्राहक अपना सामान मंगा लेगा तो बाजारों में दुकानों से खरीदने क्यों आएगा। दुकानदार चिंतित हैं कि गोदाम, शोरूम में भरा हुआ माल कैसे बिकेगा। वह अपनी देनदारियों, बैंक  लोन की किस्त, सी.सी लिमिट, ई.एम.आई., दुकान, मकान किराए,  बंद दुकान के बिजली बिल, स्कूल फीस की कैसे भरपाई करेगा। क्योंकि मध्यम वर्ग व्यापारी को सरकार द्वारा ना तो कोई राहत दी है, ना ही विचार किया गया है। भरतपुर जिला व्यापार महासंघ ने मांग की कि ऑनलाइन बिक्री को प्रतिबंधित किया जाए और किसी करार के अंतर्गत उनको अनुमति देनी ही है तो सिर्फ एसेंसल गुड्स की  दी जाए.. जैसे किराना, मेडिसन या जिन ट्रेडर्स को लॉक डाउन में खोलने की अनुमति है।  बाकी सभी सामानों की  ऑनलाइन बिक्री पर पूर्ण रोक लगा देनी चाहिए। ताकि जब भी बाजार खुले तो छोटे /मध्यमवर्गीय दुकानदार को, उसका फायदा मिल सके। जिसकी कि वह उम्मीद लगाए बैठा है।

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मध्यम वर्गीय दुकानदार की पीठ में छुरा क्यों घोंपा जा रहा है?
महासंघ ने कहा कि  इन बड़ी ऑनलाइन कंपनियां अमेजॉन, फ्लिपकार्ट, स्ने्‍पडील इत्यादि ने किसी भी तरीके से प्रधानमंत्री राहत कोष में ₹1 की भी मदद नहीं की है और इन्हें पूरा व्यापार सौंप रहे हैं।  यह तो मध्यम वर्गीय दुकानदार की पीठ में छुरा घोंपना  जैसा हो गया। जबकि छोटा बड़ा व्यापारी  करोना वायरस से लड़ने में पिछले 2 माह से तन, मन, धन से हर भारतवासी की दोनों हाथों से खुलकर मदद  कर रहा है और सिर्फ इस उम्मीद पर बैठा है कि जब भी लॉकडाउन खुलेगा वह अपना माल बेचकर अपने को संभाल लेगा। पूर्व में कुछ दिनों पहले बंद दुकानों के बिजली के बिल माफ़ करने या भुगतान की अंतिम तिथि लॉकडाउन के बाद तक बढ़ाए जाने की मांग रखी गई थी। जिस पर आज तक सरकार व प्राइवेट बिजली कंपनियों द्वारा कोई निर्णय नहीं लिया गया है।