अहमदाबाद
गुजरात हाईकोर्ट ने सैण्ट्रल रजिस्ट्रार को कहा एक माह के भीतर जवाब सबमिट करो
चौदह हजार करोड़ के घोटाले के शिकार हुए देश के करीब 21लाख निवेशकों की लड़ाई तीन फरवरी को तब एक पायदान और आगे खिसकी जब न्यायालय ने सैण्ट्रल रजिस्ट्रार के हाथ बांध दिए और उसको कहा गया कि बहुत हो चुका अब निवेशकों के सवालों का जवाब दो। न्यायालय ने रजिस्ट्रार को इसके लिए एक माह का वक्त दिया है। यानी रजिस्ट्रार को अब 3 मार्च 2021 से पहले अपना जवाब न्यायालय को सबमिट करना होगा।
चौदह हजार करोड़ का यह घोटाला आदर्श क्रेडिट सोसायटी का है। यह घोटाला सामने आने के बाद सोसायटी के करीब आठ सौ दफ्तरों पर ताले लटक चुके हैं। इसे लेकर आदर्श मेम्बर एसोसिएशन AMA की ओर से कई बार सैण्ट्रल रजिस्ट्रार को रिप्रजंटेशन दिए गए। सोसायटी के सदस्यों ने कई बार गुहार लगाई। पर सैण्ट्रल रजिस्ट्रार ने उनमें से किसी का और किसी को भी कोई जवाब नहीं दिया और उनको दबा कर बैठ गए। जब सोसायटी के सदस्यों की कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई तो उन्होंने न्यायालय की शरण ली। इसी पर तीन फरवरी को गुजरात उच्च न्यायालय में अहम सुनवाई थी। सुनवाई के दौरान सोसायटी के सदस्यों की तरफ से जब न्यायालय के प्रसंज्ञान में यह लाया गया कि सोसायटी के सदस्य कई बार लिखित में सैण्ट्रल रजिस्ट्रार को सवाल पूछ चुके हैं। पर दो साल से उन्होंने किसी का भी उत्तर नहीं दिया। यह तक पता नहीं लग पा रहा कि आख़िर चल क्या रहा है। न्यायालय ने एक तरह से इसे गंभीर माना और रजिस्ट्रार को आदेश दिया कि वह एक माह के भीतर लिखित में जवाब पेश करे। हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद अब सोसायटी के सदस्यों की ओर से अब तक जो भी रिप्रजंटेशन दिया गया है उन सब का लिखित में जवाब देना पड़ेगा।

पड़ेगा दूरगामी असर
गुजरात हाई कोर्ट के इस आदेश का दूरगामी असर पड़ सकता है। आदर्श सोसायटी के सदस्यों ने देश के अलग – अलग हिस्सों में न्यायालयों में केस कर रखे हैं। गुजरात हाईकोर्ट के इस आदेश से उनके केस को भी काफी सपोर्ट मिल सकता है।
सोसायटी के सदस्यों ने इनका मांगा था जवाब
आदर्श मेम्बर ऑफ एसोसिएशन AMA अहमदाबाद गुजरात के अध्यक्ष नीरव सोनी ने बताया कि हमने रिप्रजंटेशन में रजिस्ट्रार को कहा कि सदस्यों को सोसायटी चालू चाहिए। हमने रजिस्ट्रार से यह भी पूछा था कि प्रशासक की जगह लिक्वीडेटर क्यों नियुक्त किया गया। बोर्ड को चेंज क्यों नहीं किया गया। जबकि ऐसे प्रावधान हैं कि बोर्ड को चेंज कर उसमें प्रशासक नियुक्त कर सरकार सोसायटी को अपने नियंत्रण में लेकर चला सकती है। पर रजिस्ट्रार ने इनमें से किसी का जवाब नहीं दिया। मांग करने के बाद भी ऑडिट भी नहीं करवाई। पर अब न्यायालय के आदेश के बाद ऐसे सब बिन्दुओं पर अब सैंट्रल रजिस्ट्रार को जबाब देना पड़ेगा। एसोसिएशन AMA गुजरात के अध्यक्ष नीरव सोनी ने कहा कि सोसायटी मैम्बर्स के हित में यह बहुत बड़ा फ़ैसला है।
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