नई हवा ब्यूरो
पहले चरण में सरकार बेचेगी अपनी 51% की हिस्सेदारी
बैंकों के निजीकरण को लेकर एक बड़ी खबर आ रही है। नीति आयोग की सिफारिश के बाद केंद्र सरकार ने निजीकरण के लिए दो बैंकों के नाम फाइनल कर दिए। उसने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank Of India) और इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank) का चयन किया है। केंद्र सरकार इन दोनों सरकारी बैंकों में अपने हिस्से का विनिवेश (Disinvestment) करेगी। पहले चरण में इन दोनों में सरकार अपनी 51% की हिस्सेदारी बेचेगी। अभी देश में कुल 12 सरकारी बैंक हैं। इनमें से 4 के प्राइवेट हो जाने के बाद 8 सरकारी बैंक बचेंगे। फ़िलहाल सरकार ने बजट में दो ही बैंकों के निजीकरण की बात कही थी। बाकी दो बैंकों के बारे में जानकारी मिली है कि उनके बारे में अगले बजट सत्र में फैसला होगा।
बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में होगा बदलाव
अब केंद्र सरकार इन दोनों बैंकों में हिस्सेदारी घटाने के लिए बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट में बदलाव करेगी और कुछ अन्य बैंकिंग नियमों में भी सुधार करेगी। साथ ही RBI के साथ भी चर्चा होगी। सरकार ने कुल 4 सरकारी बैंकों में हिस्सेदारी कम करने की योजना बनाई है। इसमें इन दोनों के अलावा बैंक ऑफ महाराष्ट्र और बैंक ऑफ इंडिया भी हैं। हालांकि पहले चरण में केवल दो ही बैंकों के नाम आए हैं। सरकार ने बजट में भी दो सरकारी बैंकों के निजीकरण की बात कही थी।
इन दोनों बैंकों की ये है मार्केट वैल्यू
प्राइवेट होने वाले दोनों बैंक सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंक की शेयर बाजार में मार्केट वैल्यू इनके शेयर प्राइस के मुताबिक, 44,000 करोड़ रुपए है। जिसमें इंडियन ओवरसीज बैंक (IOB) का मार्केट कैप 31,641 करोड़ रुपए है। इस बीच इस खबर के बाद स्टॉक मार्केट में सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया और इंडियन ओवरसीज बैंकों के शेयर में 20% अपर सर्किट लगा है। IOB के शेयर इस खबर के पहले 19.85 रुपए पर ट्रेड कर रहे थे जो अचानक 19.80% चढ़कर 23.60 रुपए पर पहुंच गए। वहीं सेंट्रल बैंक के शेयर 20 रुपए से 19.80% चढ़कर 24.20 रुपए पर पहुंच गए।
नीति आयोग ने इन दोनों बैंकों के नाम को चुना था। हालांकि बैंक ऑफ इंडिया अभी भी संभावित नामों में है। नीति आयोग ने इन दोनों सरकारी बैंकों और एक जनरल बीमा कंपनी का नाम विनिवेश की कमेटी के सचिवालय को भेज दिया है। इन सभी को इसी वित्तवर्ष के अंत तक प्राइवेट किया जाएगा।
ग्राहकों पर कोई असर नहीं
इस निजीकरण से इन बैंकों के ग्राहकों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। उनका जो भी पैसा इन बैंकों में जमा है, उस पर कोई खतरा नहीं है। खाता रखने वालों को फायदा ये होगा कि प्राइवेटाइजेशन के बाद उन्हें डिपॉजिट्स, लोन जैसी बैंकिंग सर्विसेज पहले के मुकाबले बेहतर तरीके से मिल सकेंगी। हालांकि उन्हें बैंक की कई सेवाओं के एवज में ज्यादा शुल्क अदा करना होगा। केंद्र की ओर से आश्वस्त किया गया है कि बैंककर्मियों की नौकरी पर भी कोई तलवार नहीं लटकेगी।
आपको बता दें कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वित्त वर्ष 2021-22 के बजट में दो सरकारी बैंकों और एक बीमा कंपनी के प्राइवेटाइजेशन की घोषणा की थी। केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों और वित्तीय संस्थानों में विनिवेश (Disinvestment) से 1.75 लाख करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है। सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक साधारण बीमा कंपनी का निजीकरण किया जाना भी सरकार के इसी लक्ष्य का हिस्सा है।
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