तारीख पर तारीख का वायरस, उखड़ रहीं निवेशकों की सांसें

नई दिल्ली 


आदर्श क्रेडिट सोसायटी के 21 लाख निवेशकों की नहीं हो रही कोई सुनवाई


आदर्श क्रेडिट सोसायटी में अपनी करीब 14 हजार करोड़ की जमा पूंजी फंसा बैठे देश के करीब 21 लाख निवेशकों को इस कोरोनाकाल में भी कोई राहत की किरण नजर नहीं आ रही है। सोसायटी के निवेशक कई साल से अपने ही पैसों के लिए लोग तरस रहे है। इलाज के अभाव में व कोरोना की चपेट में सोसायटी के सदस्य बेरोजगार हो रहे हैं। जानकारी में आया है कि कई निवेशकों ने धन वापसी का इन्तजार करते- करते दम तोड़ दिया। इससे परिवारों की हालत और दयनीय बनी हुई है। सोसायटी के इन पीड़ितों की ओर से कोटा के  सीएम वर्मा, हरीश शर्मा, मोहन मुरारी सोनी, बृजेश विजयवर्गीय आदि ने भारत सरकार के सेंट्रल रजिस्ट्रार को एक पत्र भेजकर अपनी व्यथा से अवगत कराया है।

पत्र में कहा गया कि ढाई साल तो लिक्विडेटर को बैठे हुए हो गए आए दिन अपने ही पैसों के लिए लोग तरस रहे हैं इलाज के अभाव में व कोरोना की चपेट में सोसायटी के सदस्य बेरोजगार हो रहे हैं मर रहे हैं पत्र में अफ़सोस व्यक्त किया गया कि सेंट्रल रजिस्ट्रार के समक्ष सोसाइटी का पूरा प्रकरण संज्ञान में होने के बाद भी कोई एक्शन नहीं लिया जा रहा है ये स्थितयां तब हैं जब सोसायटी के प्रमोटर संचालक मंडल सब गवर्नमेंट की कस्टडी में है संस्था एवं उनकी संपत्ति, बैंक खाते सरकार के कब्जे में होने के बावजूद कोई राहत नहीं मिल पा रही है सोसायटी में घपले के जिम्मेदार आरोपी  नीरव मोदी, राहुल चौकसी, विजय माल्या की तरह भगोड़े नहीं हैl फिर भी सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है कोई रास्ता नहीं निकाल पा रही है न्यायालय के माध्यम से केवल तारीख पर तारीख पड़ रही है

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सरकार एक मौका दे या फिर स्वयं निवेशकों को भुगतान करे
पत्र में बताया गया कि यह सही है कि संस्था ने विगत 18 सालों से लाभ और लाभांश दिया था और कोई एनपीए नहीं दिखाया था। ऑडिटेड बैलेंस शीट सेंट्रल रजिस्ट्रार आफिस में प्रस्तुत की जाती थी। कुछ वित्तीय अनियमितताओं के आधार पर जल्दबाजी में केवल 3 माह की जांच में ही संस्था को लिक्विडेशन में डाल दिया, जबकि कई अन्य संस्थाओं में कई कई सालों से जांच हुई है और अभी तक कोई लिक्विडेशन नहीं हैl  यह एक विचारणीय विषय है। पत्र में मांग की गई कि जांच एजेंसियों के आधार पर अगर संस्था में आंकड़ों की हेराफेरी हुई हो, अनियमितताएं हुई हो तो भी या तो मौजूदा संचालक मंडल को पाबंद करके एक मौका और दिया जाना चाहिए या सरकार स्वयं तुरंत भुगतान करने की कार्रवाई शुरू करे क्योंकि सब कुछ सरकार के कब्जे में है। पत्र में जल्द से जल्द इस प्रकरण को निपटाए कर लोगों को भुगतान शुरू करने की मांग की गई है।