फिर से 8 मार्च आ गया। पूरी दुनिया में महिलाओं के लिए अधिकार, सुरक्षा, बराबरी का दर्जा और सम्मान जैसे शब्द फिर से सुर्खियों में हैं। यह सच है कि महिलाएं अब अपनी मुद्दे विभिन्न प्लेटफार्म से उठाने लगी हैं फिर चाहे वो अखबार या टीवी चैनल हो, यूट्यूब चैनल, मैगजीन या अन्य मंच। दरअसल महिला सशक्तिकरण एक प्रक्रिया है, जो निरंतर चल रही है।
एक समय था जब महिलाएं घर या बाहर होने वाले शोषण और हिंसा को अपनी जिंदगी का सामान्य और स्वाभाविक हिस्सा मानती थी लेकिन अब हिंसा और शोषण के खिलाफ बने कानूनों और शिक्षा ने महिलाओं को जागरूक बनाया है। भारतीय समाज आज भी परंपरागत और आधुनिकता के द्वंद में फंसा है। आधुनि -कता के नाम पर वेशभूषा में बदलाव जरूर आया है लेकिन सोच उतनी नहीं बदली है। परिणामस्वरूप परिवार और समाज में लड़का और लड़की में भेद किया जाता है, महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा, दुष्कर्म और दहेज हत्या जैसे अपराध निरंतर बढ़े हैं। कोरोना के समय लॉकडाउन ने जहां परिवार के सभी सदस्यों को एक साथ रहने का सुअवसर दिया वहीं आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं के प्रति इस दौरान घरेलू हिंसा बहुत ज्यादा बढ़ गई।