नई दिल्ली
देश के सबसे बड़े पब्लिक सेक्टर बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने शनिवार को अपना वह विवादास्पद सर्कुलर वापस ले लिया, जिसमें तीन महीने से अधिक की गर्भवती महिला उम्मीदवारों को बैंक में नौकरी करने से रोक दिया गया था। बैंक ने कहा था कि प्रेग्नेंट महिलाओं को डिलिवरी के चार महीने के भीतर बैंक ज्वाइन करने की अनुमति दी जा सकती है। बैंक को इस फैसले के लिए काफी अधिक आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। लेबर यूनियन और दिल्ली महिला आयोग ने भी बैंक के इस फैसले की आलोचना की थी।
विवाद बढ़ने के बाद आज बैंक ने एक बयान जारी कर कहा कि जनता की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए एसबीआई ने गर्भवती महिला उम्मीदवारों की भर्ती के संबंध में संशोधित निर्देशों को स्थगित रखने और मौजूदा निर्देशों को जारी रखने का फैसला किया है। आपको बता दें कि इस मामले में दिल्ली महिला आयोग SBI नोटिस दिया था। इसके बाद बैंक ने अपना विवादास्पद सर्कुलर वापस लेने की घोषणा की।
यह था सर्कुलर
एसबीआई के 31 दिसंबर के सर्कुलर में कहा गया था कि अगर गर्भावस्था 3 महीने से अधिक की है, तो उम्मीदवार को अस्थायी रूप से अयोग्य माना जाएगा और उसे बच्चे के जन्म के बाद 4 महीने के भीतर शामिल होने की अनुमति दी जा सकती है। इस पर दिल्ली महिला आयोग (DCW) ने 29 जनवरी को कहा कि बैंक की कार्रवाई भेदभावपूर्ण और अवैध प्रतीत होती है क्योंकि यह ‘सामाजिक सुरक्षा संहिता, 2020’ के तहत प्रदान किए जाने वाले मातृत्व लाभों के उलट है। आयोग द्वारा जारी नोटिस में कहा गया है कि सर्कुलर लिंग के आधार पर भेदभाव करता है जो संविधान के तहत दिए गए मौलिक अधिकारों के खिलाफ है।
एसबीआई के पहले के नियमों के अनुसार गर्भवती महिला उम्मीदवार गर्भावस्था के छह महीने तक बैंक में नियुक्त होने की पात्र थीं, बशर्ते उम्मीदवार विशेषज्ञ स्त्री रोग विशेषज्ञ से एक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करें कि उस स्तर पर बैंक का रोजगार लेने की संभावना नहीं है। उसकी गर्भावस्था या भ्रूण के सामान्य विकास में हस्तक्षेप करता है, या उसके गर्भपात का कारण बनने की संभावना नहीं है या अन्यथा उसके स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।
एसबीआई ने अब ये जारी किया स्टेटमेंट
SBI ने शनिवार को एक बयान जारी कर कहा, ‘SBI ने बैंक में नियुक्ति से संबंधित फिटनेस के विभिन्न स्टैंडर्ड की हाल में समीक्षा की। इसमें प्रेग्नेंट महिला कैंडिडेट्स से जुड़े नियम भी शामिल थे। रिवाइज्ड गाइडलाइंस का मकसद हेल्थ के विभिन्न पैरामीटर्स पर एक तरह की Clarity देना था, जहां दिशा-निर्देश या तो स्पष्ट नहीं थे या बहुत पुराने थे।’
बैंक ने कहा है कि नियमों में किए गए हालिया बदलाव को मीडिया के कुछ हलकों में महिलाओं के खिलाफ भेदभावपूर्ण बताया गया। SBI ने कहा है, ‘लोगों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए SBI ने प्रेग्नेंट महिलाओं की भर्ती को लेकर नियमों में किए गए बदलाव पर अमल पर रोक लगा दी है और इस संबंध में पहले का इंस्ट्रक्शन ही लागू रहेगा।’
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