स्कूल के 150 बच्चों ने सीखा फूलों का विज्ञान | उदयपुर कृषि विश्वविद्यालय में कौशल भ्रमण, विशेषज्ञों ने बताए प्रकृति संवारने के आधुनिक तरीके

उदयपुर में PM श्री केंद्रीय विद्यालय नंबर 1 के 150 विद्यार्थियों ने महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (MPUAT) के उद्यान विज्ञान फार्म में कौशल भ्रमण किया। बच्चों ने ग्लैडियोलस, गुलदाउदी, रजनीगंधा, मधुमक्खी पालन और प्राकृतिक खेती से जुड़े वैज्ञानिक कौशलों का लाइव प्रशिक्षण लिया।

उदयपुर 

महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, उद्यान विज्ञान फार्म—उदयपुर में बुधवार का दिन बच्चों की उत्सुकता, प्रयोग और प्राकृतिक कौशल सीखने के नाम रहा। पी.एम. श्री केंद्रीय विद्यालय नंबर 1, प्रतापनगर के 150 विद्यार्थियों ने अखिल भारतीय समन्वित पुष्प अनुसंधान परियोजना के अंतर्गत आयोजित कौशल भ्रमण में हिस्सा लिया।

प्रधानाचार्य श्रीमती प्रणयजा सोनी के नेतृत्व और शिक्षकों कृष्णा सुनारिया, कुलदीप तथा संगीता चक्रवर्ती के सहयोग से विद्यार्थियों ने कृषि-पुष्प विज्ञान की उन तकनीकों को करीब से समझा जो आने वाले समय की टिकाऊ खेती और प्राकृतिक सौंदर्य का आधार बन रही हैं।

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ग्लैडियोलस से रजनीगंधा तक—फूलों की वैज्ञानिक खेती की लाइव क्लास

परियोजना प्रभारी प्रो. लक्ष्मी नारायण महावर ने बच्चों को ग्लैडियोलस कट-फ्लावर के लिए वैज्ञानिक रूप से बेड तैयार करने, घनकंद की रोपाई, ड्रिप सिंचाई के फायदा, खरपतवार व कीट-व्याधियों के नियंत्रण जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं की व्यावहारिक जानकारी दी।

विद्यार्थियों ने सीखा कि—
● गुलदाउदी की किस्मों के माध्यम से प्राकृतिक लैंडस्केपिंग कैसे होती है
● एक पौधे से एक हजार तक फूल उत्पादन की तुसकारी कला
● पॉलिथीन बेग, प्रो-ट्रे और गमलों में पौधे तैयार करने की प्रक्रिया
● ग्रीनहाउस/नेट हाउस में नाजुक अलंकरण पौधों का रख-रखाव
● रजनीगंधा की शल्क-कंद आधारित रोपाई से रूफ-टॉप गार्डन को खुशबूदार बनाया जा सकता है

मधुमक्खी पालन और परागण—फलों-फसलों की उत्पादन क्षमता कैसे बढ़ती है

बच्चों ने गुलाब, सहजन, अमरूद, स्ट्रॉबेरी, चेरी और चीकू जैसे पौधों पर फूल व फल अवस्था को देखा और समझा कि:

● मधुमक्खियाँ (Apis mellifera, dorsata, cerana) कैसे परागण बढ़ाती हैं
● परागण से आड़ू, आलूबुखारा और कई फसलों में उत्पादन क्षमता कितनी बढ़ जाती है
● प्राकृतिक वातावरण में मित्र कीट—क्रिसोपरला, ड्रैगन फ्लाई—किस तरह हानिकारक कीटों को खत्म करते हैं

यह पूरी प्रक्रिया बच्चों को रसायनयुक्त खेती से बचकर टिकाऊ खेती अपनाने का संदेश देती है।

पर्यावरण संरक्षण पर भी फोकस

खाली पड़ी पहाड़ियों पर छायादार वृक्ष, झाड़ियाँ और लताओं के रोपण से—
● ऑक्सीजन स्तर बढ़ता है
● कार्बन डाइऑक्साइड कम होती है
● पर्यावरण संरक्षण में बड़ा योगदान मिलता है

आयोजन में छात्रों ने की लाइव डॉक्युमेंटेशन

राजस्थान कृषि महाविद्यालय के स्नातकोत्तर विद्यार्थी रवि सुमन सैनी और पृथ्वीराज जाटोलिया ने पूरे कार्यक्रम की फोटोग्राफी और लाइव रिकॉर्डिंग में सहयोग दिया।

कार्यक्रम के अंत में प्रधानाचार्य प्रणयजा सोनी ने विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों, शिक्षकों, विद्यार्थियों और आयोजन टीम का आभार व्यक्त किया।

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