निलम्बन का डर दिखाकर सहायक अध्यापिका से मांगी घूस, प्रधानाध्यापक को दबोचा, BEO फरार

आगरा

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एक प्रधानाध्यापक ने एक सहायक अध्यापिका को निलम्बन का डर दिखाकर घूस मांग ली। वह घूस लेने  उसके ताजगंज के कृपा धाम अपार्टमेंट में फ्लैट पर पहुंच गया जहां एंटी करप्शन टीम ने उसे दबोच लिया। उसने यह घूस एक खंड शिक्षा अधिकारी के कहने पर मांगी थी। वह मौक़े से फरार हो गया।

यह था मामला
ताजगंज के कृपा धाम अपार्टमेंट निवासी नीरजा शर्मा, प्राथमिक विद्यालय झारपुरा, बरौली अहीर ब्लाक में सहायक अध्यापिका है। नीरजा ने  एंटी करप्शन विभाग में शिकायत करते हुए  बताया कि आठ जनवरी को अचानक तबीयत खराब होने पर वह 30 मिनट पहले विद्यालय से चली आई थी। उसी दौरान खंड शिक्षा अधिकारी के निरीक्षण के दौरान अनुपस्थित पाकर स्पष्टीकरण मांगा गया था। खंड शिक्षा अधिकारी ने उन्हें स्पष्टीकरण देने के लिए बरौली अहीर ब्लाक के नगला बिहारी प्राथमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक जितेन्द्र कुमार से बात करने को कहा। वह प्रधानाध्यापक होने के साथ ही खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में एकेडमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) भी है। सहायक अध्यापिका ने जितेंद्र से संपर्क किया तो उसने 15 जनवरी को उनके व्हाट्सएप नंबर पर स्पष्टीकरण मांगने की रिपोर्ट भेजी। उनसे कहा कि वह निलंबित होने जा रही है, बचना चाहती हैं तो पांच हजार रुपए दे दें। कई बार उन्हें फोन कर रकम की मांग की। इसके बाद एंटी करप्शन विभाग की टीम ने उसे दबोच लिया। एंटी करप्शन की टीम एक घंटे पहले पहुंच गई थी। वह बराबर वाले कमरे में बैठकर आरोपित और नीरजा की बातचीत सुनती रही।

खिड़की से कूदकर भागने की कोशिश
टीम को सामने देख जितेद्र ने भागने की कोशिश की। फ्लैट की खिड़की से कूदने का प्रयास किया। टीम ने उसे किसी तरह काबू किया। अपार्टमेंट से बाहर लाकर गाड़ी में बैठाने के दौरान भी उसने काफी हंगामा किया। यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) जिलाध्यक्ष राज सोलंकी का कहना है कि प्राथमिक विद्यालय झारपुरा में तैनात पीड़ित शिक्षिका नीरजा शर्मा ने चिकित्सा अवकाश के लिए आवेदन किया था, जिसे स्वीकृत करने को एकेडमिक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) जितेंद्र शर्मा पाच हजार रुपए रिश्वत मांग रहा था। तीन हजार में वह मुश्किल से माना ।इससे परेशान होकर शिक्षिका ने यूटा से संपर्क किया। संगठन ने एंटी करप्शन टीम से शिकायत कर कार्रवाई कराई।

बेसिक शिक्षा विभाग में 11वां शिकार
बेसिक शिक्षा विभाग में रिश्वतखोरी में पकड़े जाने वाला यह पहला नहीं, 11वां शिकार है। इससे पहले दस विभागीय अधिकारियों, कर्मचारियों और शिक्षकों को रंगे हाथ रिश्वत लेते पकड़ चुकी है। पकड़े गए लोगों में दो वित्त एवं लेखाधिकारी के साथ लिपिक, बिल बाबू और एबीआरसी की जिम्मेदारी उठाने वाले शिक्षक भी शामिल हैं। 

अब तक ये आए शिकंजे में

  • वर्ष 2014 में राकेश चंद्र मौर्य, वित्त एवं लेखाधिकारी।
  • 2016 में उत्तम सिंह एबीआरसी फतेहाबाद।
  •  2016 में भूप सिंह मौर्य, एबीआरसी फतेहाबाद।
  • 2017 में पूनम चौधरी, खंड शिक्षाधिकारी ।
  • 2017 में कन्हैया लाल सारस्वत, वित्त एवं लेखाधिकारी।
  • 2018 में सोवरन सिंह, बिल बाबू शमसाबाद।
  • 2019 में देव प्रकाश, बिल बाबू शमसाबाद।
  •  2019 में प्रवल दुबे, बाबू अछनेरा।
  • 2019 में हरिओम दुबे, एवीआरसी बरौली अहीर।
  • 2020 में राहुल कुमार गुप्ता, बाबू फतेहाबाद।





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