भरतपुर
कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए राजस्थान सरकार की ओर लॉक डाउन जैसी पाबंदियां लगाने से मध्यम व्यापारी और मजदूर वर्ग अपनी परेशानियों से उबर नहीं पाया है। भरतपुर जिला व्यापार महासंघ ने इसे लेकर जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंप कर अपनी पीड़ा से अवगत कराया है और कहा है कि मध्यम व्यापारी लॉक डाउन जैसी इन पाबंदियों के खिलाफ नहीं है। लेकिन जिस तरह से पाबंदियां लगाई गई हैं वे भेदभाव पूर्ण हैं। दुकानों को बारी- बारी से खोले जाने की अनुमति दी जानी चाहिए।
भरतपुर जिला व्यापार महासंघ के जिलाध्यक्ष संजीव गुप्ता के नेतृत्व में जिला कलेक्टर से मिले इस प्रतिनिधि मंडल में जिला महामंत्री नरेन्द्र गोयल, शहर अध्यक्ष भगवान दास बंसल, जिला प्रवक्ता विपुल शर्मा शामिल थे। जिला प्रवक्ता विपुल शर्मा ने बताया कि ज्ञापन की एक एक कॉपी चिकित्सा राज्य मंत्री डॉ.सुभाष गर्ग व सांसद रंजीता कोली को भी भेजी गई है। ज्ञापन में कहा गया कि Covid19 संक्रमण के कारण राजस्थान में कोई बेहतर हालत नहीं है, स्थिति को देखते हुए लॉक डाउन का निर्णय सरहानीय हो सकता है, लेकिन इनका इमप्लीमेंट भेदभाव पूर्ण है क्योंकि अभी पूरे प्रदेश में लॉकडाउन के नियमों का मजाक सा उड़ रहा है। प्रदेश की 60-70 परसेंट जनता बेझिझक सड़कों पर ही घूम रही है। यह विचाणीय है कि, जब 60-70 परसेंट पब्लिक के इधर-उधर घूमने पर कोई रोक टोक नहीं है, तो निम्न मध्यम वर्ग के व्यापारी व मजदूर पर ही सारी पाबंदियां क्यों लगाई जा रही हैं।
मध्यम व्यापारी से ऐसे हो रहा है भेदभाव
भरतपुर जिला व्यापार महासंघ ने ज्ञापन में बताया कि उनके साथ किस तरह से भेदभाव हो रहा है। महासंघ के नेताओं ने कहा कि उच्च व्यापारियों की सभी फैक्ट्रियां चालू हैं। बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन चालू है। सभी ऑफिस में वर्क फ्रॉम होम के नाम काम चालू है। शराब कारोबार चालू है। किराना, दूध डेयरी, मंडियां, बेकरी, चारा, कृषि सम्बंधित इत्यादि ऐसे ही लगभग सभी काम चालू हैं। बंद हैं तो सिर्फ कुछ ट्रेडस की दुकानें। जाहिर है कि लॉकडाउन का क्रियान्वयन बिना सोचे- विचारे कराया जा रहा है। ज्ञापन में सवाल किया गया कि इतना कुछ खुलने के बाद भी क्या इन कुछ ट्रेडस की ही दुकानों को बंद करके ही कोरोना को रोका जाएगा। ऐसा बंद समझ से परे हैं।
मध्यम वर्ग के व्यापारी को कोई राहत/ पैकेज नहीं
ज्ञापन में कहा गया कि इतना कुछ झेलने बाद भी मध्यम वर्ग के व्यापारी को कोई राहत/ पैकेज की घोषणा नहीं की गई है। जबकि व्यापारी की बैंक का ब्याज चालू है। बंद दुकानों के बिजली के बिल चालू हैं। उसको स्टाफ की तनख्वाह देनी पड़ रही है। उनके बच्चों के स्कूल की फीस चालू है। अन्य सभी खर्चे भी चालू हैं। महासंघ के नेताओं ने कहा कि प्रत्येक व्यापारी के साथ उसके कर्मचारियों के कम से कम 5-5 परिवार भी व्यापारी की जिम्मेदारी पर निर्भर है। उन कर्मचारियों की रोजी-रोटी पर भी आंच आ रही है। वे पलायन को मजबूर हो रहे हैं। जबकि सरकार द्वारा पलायन रोकने के निर्देश दिए जा रहे हैं।
व्यापार महासंघ ने ये सुझाव
ज्ञापन में व्यापार महासंघ ने लॉक डाउन की सख्ती से पालना करवाने के साथ ही मांग की कि जिन ट्रेडस की दुकानों को खोलने की अनुमति दे रखी है, उनके साथ-साथ अन्य ट्रेडस को खोलने की भी अनुमति दी जानी चाहिए। सभी ट्रेडस की दुकान रोज खोले जाने की आवश्यकता नहीं है। उनको बारी-बारी से खोला जा सकता है। जैसे किराना को रोज खोलने की आवश्यकता नहीं, उसको एक दिन छोड़, एक दिन भी खोला जा सकता है। इसी प्रकार अन्य ट्रेडस के बारे में भी निर्णय लिया जा सकता है। जिस दिन उपरोक्त ट्रेडस की दुकानें बंद रखी जाएं, उस दिन सभी बंद ट्रेडर्स की दुकानों को खोलने की अनुमति दी जाए। महासंघ ने कहा कि शादी विवाह का सीजन है और व्यापारी भी इसी सीजन से उम्मीद लगाकार बैठा था। यदि ये सुझाव अमल में लाए जाते हैं तो इससे व्यापारियों को तो राहत मिलेगी ही, आमजन को भी शादी विवाह संबंधित व जरूरत के सामान के लिए इधर-उधर नहीं भटकना पड़ेगा।
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