देश की नीतियां मानव केंद्रित की बजाए प्रकृति केंद्रित बनाई जाएं: बसवराज पाटिल

कोटा 

राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन व विवेकानंद विचार संस्थान की कोटा इकाई की ओर से सोमवार को  मां चर्मण्यवती  के पावन तट पर स्थित गोदावरी धाम पर नदी व पर्यावरण संरक्षण विषय पर आयोजित विचार गोष्ठी के मुख्य वक्ता  राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के राष्ट्रीय संगठन मंत्री बसवराज पाटिल ने कहा कि देश की नीतियां मानव केंद्रित ना हो कर प्रकृति केंद्रित बनाई जाएं

पाटिल ने कहा कि कोरोना काल में संपूर्ण दुनिया ने पर्यावरण के महत्व को निकटता से देखा, समझा व भुगता है इस दौरान हम यह जान गए हैं कि  प्रकृति द्वारा जो ऑक्सीजन हमें उपहार स्वरूप मिलती है उसकी कीमत क्या होती है इसलिए अब समय आ गया है कि देश की नीतियां मानव केंद्रित ना हो करके प्रकृति केंद्रित बनाई जाएं तभी  पर्यावरण का संरक्षण हो पाएगा

पाटिल ने आगाह किया कि  यदि इसके ऊपर भी मानव ने प्रकृति का दोहन किया तो उसके बहुत ही दुखद परिणाम सामने आएंगे इसके नतीजे हमें स्वयं के साथ-साथ हमारी आने वाली पीढ़ियों को भी भुगतने पड़ेंगे। देश व दुनिया में प्रकृति के द्वारा दिन रात तेजी से जो बदलाव हो रहे हैं वह इसकी साक्षात चेतावनी है।

‘नदियों के सुधार का अभियान को और तेज किया जाएगा’
पाटिल ने बताया कि  देश की इन प्रमुख नदियों के साथ-साथ उप नदियों की भी स्थिति में सुधार हो इस विषय को लेकर के 12 अप्रेल को दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में देश के प्रमुख संतजन, छात्र, युवा शक्ति व इस प्रकार के सामाजिक गतिविधियों में काम कर रहे देश की प्रमुख संस्थाओं का व्यापक संगम हुआ और वहां पर निर्णय हुआ कि  संपूर्ण देश में देश के संत समाज व सज्जन शक्ति को साथ में लेकर के इस अभियान को तीव्रता के साथ में आगे बढ़ाना चाहिए।

पाटिल ने बताया कि स्वाभिमान आंदोलन के संस्थापक केएन गोविंदाचार्य के नेतृत्व में विगत तीन कोरोना काल में देश की तीन प्रमुख नदियों गंगा, यमुना व नर्मदा की यात्रा संपन्न हुई और इस यात्रा के माध्यम से देश के जिन-जिन भागों से यह नदियां गुजरती हैं वहां के व्यक्तियों से निकट संवाद स्थापित हुआ तथा जो बंधु इनके संरक्षण में अपने संसाधनों से सामाजिक शक्ति को साथ में लेकर के लगे हुए हैं उनके कार्यों के बारे में जानकारी मिली

गोष्ठी के संयोजक व राष्ट्रीय स्वाभिमान आंदोलन के राष्ट्रीय सहसंयोजक एडवोकेट गिरिराज गुप्ता ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण को लेकर के कोटा शहर में बरसात के आगमन के साथ ही इस अभियान की शुरुआत करेंगे। इसके लिए सामाजिक संस्थाओं के साथ-साथ प्रत्येक परिवार व व्यक्ति को इससे जोड़ कर आग्रह करेंगे कि वह प्रकृति के प्रति संरक्षण के दायित्व का निर्वहन करें। इसके लिए शहर के प्रमुख स्थानों को चिन्हित करके वहां पर सघन छाया व ऑक्सीजन देने वाले पौधों का ना केवल रोपण किया जाएगा; वरण इसके सुरक्षा व संवर्धन की भी चिंता की जाएगी।

गोष्ठी के बाद  बसवराज पाटिल को चंबल के किनारे ले जाकर के इसकी स्थिति का भी अवलोकन करवाते हुए बताया गया कि किस प्रकार से शहर की बस्तियों के गंदे पानी के नाले चंबल में गिर करके इसको प्रदूषित कर रहे हैं और इसके लिए कई बार बहुत बड़ी राशि भी सरकार की ओर से आवंटित हुई है। उसके बाद भी इस की दशा सुधार के स्थान पर और दिन प्रतिदिन खराब होती जा रही है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गोदावरी धाम के संचालक बाबा शैलेंद्र भार्गव ने कहा कि हम इस अभियान में अपनी संपूर्ण सामर्थ्य से सहयोगी  बनेंगे। संगोष्ठी में स्वाभिमान आंदोलन के धवल सिंघल, पंकज कुमावत, एडवोकेट आरसी शर्मा के साथ-साथ शहर की शैक्षिक, सामाजिक, व्यापारिक व धार्मिक संस्थाओं के कार्यकर्ता भी उपस्थित थे।

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