जयपुर
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सरकार के दो ताकतवर मंत्रियों में जोरदार ठन गई है। UDH मंत्री शांति धारीवाल कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के आदेशों को ठेंगा दिखा कर 4 जून को कोटा चले गए। जबकि गोविंद सिंह डोटासरा ने सभी मंत्रियों को चिट्ठी भेजकर 4 जून को अपने-अपने प्रभार वाले जिलों में फ्री वैक्सीनेशन के मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करने के आदेश दिए थे। इसके तहत UDH मंत्री शांति धारीवाल को इस दिन जयपुर में ही रहना था। पर वे डोटासरा के इन आदेशों को ठेंगा दिखा कर कोटा चले गए जबकि गहलोत केबिनेट के बाकी मंत्री इस आदेश को मानते हुए अपने-अपने प्रभार वाले जिलों में चले गए। उल्लेखनीय है कि डोटासरा ने धारीवाल पर अपने प्रभार वाले जिले जयपुर में ढाई साल के दौरान एक भी बैठक नहीं करने पर तंज कसा था। इस पर धारीवाल ने जयपुर जिले की बैठक नहीं लेने का फैसला कर लिया। धारीवाल ने साफ तौर पर मैसेज दे दिया कि वे प्रदेशाध्यक्ष के आदेश अब भी नहीं मानेंगे।
आपको बता दें पिछले दिनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मौजूदगी में ही कैबिनेट की बैठक के दौरान धारीवाल और डोटासरा में तीखी तकरार हो गई थी। धारीवाल ने डोटासरा को यहां तक कह दिया था कि वे उनके आदेश मानने को बाध्य नहीं हैं। शांति धारीवाल ने कहा कि उन्होंने बहुत देखे हैं ऐसे अध्यक्ष। 4 जून को दोनों मंत्रियों के बीच यह खाई उस समय और गहरी हो गई जब धारीवाल ने डोटासरा के आदेशों को ठेंगा दिखाते हुए जयपुर में pcc अध्यक्ष के ओर से दिया कोई कार्यक्रम नहीं किया, बल्कि वे अपने गृह जिले (कोटा) बैठक के लिए चले गए। जबकि शांति धारीवाल जयपुर के प्रभारी मंत्री हैं।
जानकारी के अनुसार उन्होंने डोटासरा के आदेशों के मुताबिक जयपुर में कोविड पर न तो कोई बैठक ली और न कोई पत्रकार वार्ता की। नतीजतन जयपुर में यह जिम्मा धारीवाल की जगह कृषि मंत्री लालचंद कटारिया को सौंपना पड़ा। जबकि कटारिया कोटा के प्रभारी मंत्री हैं। हालांकि कांग्रेस नेता इसके पीछे यह सफाई देते फिर रहे हैं कि सुविधा के हिसाब से धारीवाल और लालचंद कटारिया ने एक-दूसरे के प्रभार वाले जिलों एक्सचेंज कर लिया है। जबकि हकीकत ये है कि धारीवाल ने प्रदेशाध्यक्ष के आदेश ठेंगा दिखने के लिए ऐसा किया है।
अब डोटासरा को कौन समझाए वेणुगोपाल का सर्कुलर?
कैबिनेट की बैठक में शांति धारीवाल ने फ्री वैक्सीनेशन की मांग को लेकर सरकार के मंत्री अपने ही कलेक्टर को ज्ञापन क्यों दें? हमें तो सीधे राष्ट्रपति के पास ज्ञापन देने जाना चाहिए। जबकि मीटिंग में डोटासरा के ये निर्देश थे कि मंत्रियों को जिले में कलेक्टर को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन देकर फ्री वैक्सीनेशन की मांग करनी है। बस यहीं से दोनों में झगड़े की शुरुआत हुई थी। डोटासरा का कहना था कि केसी वेणुगोपाल का सर्कुलर है। अब डोटासरा को कौन समझाए कि वेणुगोपाल का सर्कुलर तो सभी प्रदेशों में कॉमन भेजा गया है। जहां कांग्रेस की सरकार है वहां भी और जहां नहीं है वहां भी। यदि डोटासरा यह समझ लेते कि राजस्थान में तो उनकी सरकार है तो कलेक्टर को ज्ञापन देते समय मंत्री की हैसियत ही क्या रह जाएगी। इसीलिए धारीवाल ने सीधे राष्ट्रपति को ज्ञापन देने की बात कही थी।
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आलाकमान ने तलब की रिपोर्ट
इस बीच धारीवाल – डोटासरा के झगड़े की रिपोर्ट कांग्रेस आलाकमान ने दिल्ली में तलब कर ली है। नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष व शिक्षा राज्यमंत्री गोविंद सिंह डोटासरा के बीच हुई तीखी नौक-झौंक से प्रदेश ही नहीं, दिल्ली तक हलचल मची हुई है।सूत्रों के मुताबिक मंत्री परिषद की बैठक में हुए घटनाक्रम और संगठन की गतिविधियों को लेकर प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने रिपोर्ट मांगी है। कांग्रेस विधायक हेमाराम चौधरी के इस्तीफे का मामला भी पूरी तरह शांत नहीं हुआ है।