जयपुर
रुक्टा(राष्ट्रीय) व अरावली वेटरनरी कॉलेज, सीकर के सयुंक्त तत्वावधान में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी “स्वराज-75 और हमारा दायित्व” के समारोप समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रो. भगवती प्रकाश शर्मा ने कहा कि नई पीढ़ी को प्राचीन भारतीय वांग्मय की वैज्ञानिकता, प्रामाणिकता और तथ्यात्मकता से अवगत कराना आज की प्रमुख आवश्यकता है। जब तक हमारे शिक्षक स्वयं भारत के स्वर्णिम अतीत में दीक्षित नहीं होंगे, तब तक नई पीढ़ी वैश्विक प्रतियोगिता में आगे नहीं आएगी।
रुक्टा (राष्ट्रीय) व अरावली वेटरनरी कॉलेज, सीकर की “स्वराज-75 और हमारा दायित्व” प्र राष्ट्रीय संगोष्ठी

प्रो. शर्मा का मानना था कि न केवल तकनीकी बल्कि खाद्य आपूर्ति के क्षेत्र में भारत आज विश्व की महाशक्ति बन सकता है। उन्होंने वेदों, पुराणों, स्मृतियों और महाकाव्यों के शताधिक उदाहरण देकर सिद्ध किया कि विज्ञान, कला व जीवन मूल्यों की दृष्टि से भारत सदियों से विश्व में अग्रणी रहा है, लेकिन सदियों के संघर्ष काल के कारण भारतवासी अपने ज्ञान को विस्मृत कर बैठे। स्वतंत्रता का अमृत महोत्सव हमारे लिए एक अवसर लेकर आया है कि हम हमारे स्व को जागृत करें और भारत को परम वैभव की ओर लेकर जाएं। विशिष्ट अतिथि डॉ रिछपाल सिंह ने संगठन एवं विषय का परिचय प्रस्तुत किया।

गोष्ठी में द्वितीय दिवस के तकनीकी सत्र में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के राजस्थान क्षेत्र के सह प्रचार प्रमुख मनोज कुमार ने कहा कि स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव में हमें उन स्मृत-विस्मृत आत्माओं के प्रति श्रद्धा भाव रखते हुए आगे बढ़ना चाहिए, जिनके रक्त व स्वेद की आहुतियों से भारत आज विश्व में सम्मानजनक स्थान पर खड़ा है। उन्होंने कहा कि हमें इंडिया की नहीं भारत की आवश्यकता है। 1947 में हम स्वाधीन तो हो गए लेकिन हमें स्व का तंत्र अभी तक प्राप्त नहीं हुआ है।

मनोज कुमार ने कहा कि वास्तविक भारत तो इसके मूल तंत्र व धर्म में बसा है। स्वतंत्रता व स्वधर्म के पथ पर हम तभी आगे बढ़ेंगे, जब हम हमारे गौरवशाली अतीत का स्मरण करेंगे। उन्होंने कहा कि अनुभवसिद्ध मनीषियों के मार्गदर्शन में वर्तमान में कार्यक्षम पीढ़ी अपने संपूर्ण कौशल से राष्ट्र की सेवा करेगी तो हमारी आने वाली पीढ़ी पूर्णतया आत्मनिर्भर होगी।
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समारोह की अध्यक्षता करते हुए समाजसेवी पवन कुमार जोशी ने कहा कि अगले 25 वर्ष पश्चात ज़ब हम शताब्दी मनाएं तब तक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में स्व का तंत्र खड़ा कर सके ऐसा संकल्प आज हमें लेना है। डॉ. रतनलाल मिश्रा ने प्राचीन भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों को अपनाने पर जोर दिया।
अतिथि परिचय डॉ. अशोक कुमार महला व धन्यवाद रामसिंह सरावग ने दिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. आशा मिश्रा व डॉ. दीप्ति तिवारी ने किया। तकनीकी सत्र का संचालन डॉ. सुलोचना ने किया। तकनीकी सत्र में एक दर्जन से अधिक आचार्यों ने शोध पत्रों का वाचन किया। कार्यक्रम में 300 से अधिक शिक्षक एवं शोधार्थी सम्मिलित हुए।
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