इस समय राज आपका और सवाल आपसे ही पूछा जाएगा सरकार!

भरतपुर 

योगेंद्र गुप्ता, सम्पादक, नई हवा.कॉम  



भरतपुर आदिबद्री धाम और कनकांचल की रक्षा के लिए बाबा विजयदास का बलिदान


भरतपुर जिले की पौराणिक नगरी डीग क्षेत्र के आदिबद्री धाम और कनकांचल की रक्षा के लिए आखिर प्रकृति प्रेमी और धर्मनिष्ठ संत बाबा विजयदास का बलिदान हो गया। शनिवार तड़के करीब 2.30 बजे संत विजयदास का दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में उपचार के दौरान देहावसान हो गया। संत बाबा विजयदास का यह बलिदान राजस्थान की गहलोत सरकार पर भी गहरा दाग लगा गया।

यह किसी को कहने, लिखने और बोलने में भी परहेज नहीं है कि बाबा से बलिदान मांगा गया। क्योंकि गहलोत सरकार ने संतों की जो बात अब मानी थी, वह  उसे कुछ दिन, कुछ सप्ताह और कुछ माह पहले भी मान सकती थी। लेकिन वह नहीं मानी। और मानी तो इस संत का बलिदान लेकर। वरना संत तो इस पौराणिक नगरी की पर्वतमाला की रक्षा के लिए 555 दिन से आंदोलन कर रहे थे। इस सिस्टम को चुल्लूभर पानी में डूब जाना चाहिए जिसने प्रकृति प्रेमी और धर्मनिष्ठ संत को आत्मदाह जैसा भयानक कदम उठाने को मजबूर कर दिया।

 एक दूसरे बाबा को अपनी मांग मनवाने के लिए पानी की टंकी पर चढ़ने को मजबूर होना पड़ा। वह संत दूसरे दिन भी टंकी पर टंगे रहे। गहलोत सरकार तब भी नहीं चेती। वह शायद बड़ी घटना का इंतजार कर रही थी। संत विजयदास ने आत्मदाह कर लिया। राजनीति देखिए कि आंदोलन के उग्र होते ही सरकार हरकत में आ गई। गहलोत सरकार अपनी जान सांसत में आते ही ऐसी हरकत में आई कि संत के आत्मदाह करने के कुछ घंटों के भीतर अवैध खनन का समाधान भी हो गया। यही बात पहले ही मान ली गई होती तो एक संत का बलिदान नहीं होता। इस पर भी इस सरकार के नुमाइंदों की सियासत देखिए कि अहसान जता रहे हैं कि हमने तो ऐसा कर दिया; भाजपा राज ने क्यों नहीं किया? चलो  ठीक है, मान लिया, भाजपा का राज भी निकृष्ट था, लेकिन आपने भी तो 555 दिन इंतजार किया, आखिर क्यों? क्या आप किसी के बलिदान का इंतजार कर रहे थे!

बहरहाल, गहलोत सरकार एक संत का बलिदान लेने की जिम्मेदारी से बच नहीं सकती। भाजपा को भले ही कोसते रहो, लेकिन इस समय राज आपका ही है और सवाल आपसे ही पूछा जाएगा। सरकार! आप इस समस्या का हल पहले भी कर सकते थे, लेकिन नहीं किया क्योंकि वक्त पर नहीं चेतना, यह आपकी वर्किंग स्टाइल है।

मानमंदिर से जुड़े हुए थे बाबा विजयदास
मूलत: हरियाणा के रहने वाले बाबा विजयदास बरसाना के मान मंदिर से जुड़े हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार करीब 12-13 वर्ष पहले बाबा विजयदास मानमंदिर पहुंचे। उनके परिवार को लेकर खास जानकारी तो नहीं मिली, लेकिन उनकी एक दुर्गा नाम की 14 वर्षीय पौत्री मान मंदिर में ब्रज की आस्था से जुड़कर भजन कर रही है। उसके दस्तावेजों में भी मूल पता मान मंदिर का है। अवैध खनन के विरोध में पसोपा में 16 जनवरी 2021 से शुरू हुए धरने के दौरान बाबा विजय दास पसोपा पहुंचे थे। उससे पहले पसोपा के पहाड़ पर बने वीर बाबा राधा-कृष्ण मंदिर के महंत रहे बाबा श्यामदास के निधन होने से मंदिर पर कोई महंत नहीं था। धरने के दौरान बाबा विजय दास का गांव के मंदिर पर आना-जाना हुआ। इस दौरान बाबा विजय दास ग्रामीणों से भी घुल-मिल गए। ग्रामीणों ने आपसी सहमति के बाद बाबा विजय दास को गांव के वीर बाबा मंदिर का महंत बना दिया। तब से बाबा गांव के मंदिर की सेवा में जुटे हैं।

बरसाना में होगी अंत्येष्टि
बाबा का शव उत्तरप्रदेश के बरसाना स्थित माताजी गौशाला पहुंचाया जा रहा है। उत्तरप्रदेश सरकार ने मथुरा जिला कलक्टर को अंतिम संस्कार को लेकर निर्देशित किया है। इसमें राजस्थान व उत्तरप्रदेश के प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों के अलावा मंत्रियों के पहुंचने की बात सामने आ रही है। मानमंदिर सेवा संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष राधाकांत शास्त्री ने बताया कि गांव पसोपा में ग्रामीणों के साथ साधु-संतों व प्रशासनिक अधिकारियों के बीच वार्ता हुई। इसमें पहले सहमति बनी कि अंतिम संस्कार गांव पसोपा में ही किया जाएगा, लेकिन अंत में निर्णय हुआ कि अंतिम संस्कार उत्तरप्रदेश के बरसाना स्थित माताजी गौशाला में किया जाएगा।

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