जयपुर
गहलोत सरकार अवाप्तशुदा जमीन पर बसी कॉलोनियों के नियमन को लेकर करीब ढाई महीने बाद ही बैकफुट पर आ गई। सरकार ने प्रशासन शहरों के संग अभियान के दौरान की जा रही धड़ाधड़ रियायत की घोषणाओं के बीच यह भी ऐलान किया था कि अभियान के दौरान अवाप्तशुदा जमीन पर बसी कॉलोनियों का भी नियमन किया जाएगा। लेकिन अब सरकार ने इस ऐलान को वापस ले लिया है।
अब सरकार ने अवाप्तशुदा जमीनों पर बसी कॉलोनियों के नियमन नहीं करने का फैसला किया है। इसके लिए पूर्व में दी जा रही छूट को वापस ले लिया गया है। इस नए आदेश के बाद अब आवासन मण्डल व निकायों की अवाप्तशुदा भूमि एवं निकायों की भूमियों पर बसी कॉलोनियों के मास्टर प्लान, जोनल डवलपमेंट प्लान स्वीकृत की गई योजनाओं के अनुरूप पट्टे नहीं मिल सकेंगे।
28 सितंबर को नियमन करने के दिए थे आदेश
आपको बता दें कि UDH ने 28 सितंबर, 2021 को जारी आदेश के बिन्दु संख्या दस में आवासन मण्डल के निकायों की अवाप्तशूदा भूमि जिन पर आवासीय कॉलोनियां, हॉस्टल निर्मित हो चुके हैं। इस वजह से अवाप्ति का मूल उद्देश्य पूर्ण नहीं हो सका। ऐसे खसरा नंबरों की भूमियों का उनके मौके की स्थिति व मास्टर प्लान जोनल प्लान के मद्देनजर जनहित में पट्टे दिए जाने की मंजूरी दे दी थी। इसके लिए अवाप्तशुदा भूमि के भुगतान किए गए मुआवजा राशि मय देय ब्याज का मण्डल को निकाय और से पुनर्भरण करने की बात कही गई थी।
लेकिन अब बैकफुट पर आई गहलोत सरकार ने 28 सितम्बर के इस आदेश को वापस लेते हुए कहा है कि अभियान के लिए इस आदेश के बिन्दु संख्या 10 को सक्षम स्तर पर आस्थगित करने का निर्णय किया है। वर्तमान में इस बिन्दु संख्या दस के संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की जा सकेगी।
पर जहां जारी हो गए, उनका क्या होगा?
पूर्व में दिए गए आदेश के चलते कई निकायों ने इस तरह की अवाप्तशुदा कॉलोनियों के पट्टे जारी कर दिए थे। अब नए आदेशों के बाद ऐसे पट्टों का क्या होगा, यह एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। क्योंकि सरकार ने पुराने आदेश को खत्म करने के आदेश तो जारी कर दिए, लेकिन जिनके पट्टे निकाय बना चुके, उनके बारे में इन नवीनतम आदेशों में कोई जिक्र नहीं किया गया है।ऐसे में निकायों के सामने संशय पैदा हो गया है।
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