बिना पुस्तकालयाध्यक्ष और शारीरिक शिक्षकों के चल रहे सरकारी कॉलेज, नब्बे फीसदी पद पड़े हैं खाली

जयपुर

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 कोई कॉलेज बिना पुस्तकालयाध्यक्षों  और शारीरिक शिक्षकों के कैसे चल सकता है, इसका नमूना राजस्थान में देख लीजिए। इस राज्य में एक नहीं, दो नहीं सैकड़ों सरकारी महाविद्यालयों की ये स्थितियां हैं। हालात ये हैं कि राजस्थान के राजकीय महाविद्यालयों में शारीरिक शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों के लगभग 90% पद रिक्त पड़े हैं। अब आप स्वयं अंदाज लगा लीजिए कि इनके बिना महाविद्यालयों के विद्यार्थियों के पठन-पाठन और शारीरिक गतिविधियों पर क्या असर पड़ रहा होगा। पर सरकार है कि कोई सुध नहीं ले रही। ये स्थितियां पिछले ढाई दशक से चल रही है। इस दौरान भाजपा और कांग्रेस दोनों का ही शासन रहा। पर दोनों ने ही कोई गंभीरता नहीं दिखाई।

राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ (रूक्टा राष्ट्रीय) ने इस मामले को लेकर राज्य के उच्च शिक्षा मंत्री को एक चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में पुस्तकालयाध्यक्षों  और शारीरिक शिक्षकों के बिना कॉलेजों के हालात का जिक्र करते हुए कहा गया कि उच्च शिक्षा में खेलकूद सुविधाएं एवं पुस्तकालय विद्यार्थी के संपूर्ण विकास के लिए अत्यंत आवश्यक हैं । रूक्टा के प्रदेश महामंत्री डा. नारायण लाल गुप्ता ने बताया कि राजस्थान के कई महाविद्यालयों में तो समुचित पुस्तकालय भवन एवं खेलकूद सुविधाएं ही नहीं है, लेकिन जिनमे ये सुविधाएं हैं, अधिकांश मामलों में वहां भी शारीरिक शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों के बिना इन सुविधाओं का विद्यार्थी हित में समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है। पिछले 25 वर्षों से अधिक समय बीत गया लेकिन शारीरिक शिक्षक अथवा पुस्तकालयाध्यक्ष के पद पर कोई भी नवीन नियुक्ति नहीं हुई है।

पदनाम भी नहीं बदले
महाविद्यालय में शारीरिक शिक्षकों की भर्ती हेतु परिवर्तित नियमों में यूजीसी के नियमानुसार पदनाम परिवर्तन भी नहीं किया गया। यूजीसी के प्रावधानों के अनुसार पीटीआई नाम का कोई पद महाविद्यालय शिक्षा में नहीं है। महाविद्यालय शिक्षा में शारीरिक शिक्षक का पदनाम निदेशक शारीरिक शिक्षा है। इस संबंध में रूक्टा ने पूर्व में भी प्रतिवेदन दिए। उन पर आंशिक कार्रवाई भी हुई है, लेकिन अंतिम रूप से पदनाम का परिवर्तन अभी भी नहीं किया जा सका है। संगठन ने मांग की कि उच्च शिक्षा के व्यापक हित में शारीरिक शिक्षकों के पदनाम बदलते हुए महाविद्यालयों में शारीरिक शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों के वर्षों से रिक्त पड़े पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शीघ्र प्रारंभ की जाए।





 

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