कालिया बाबा पहाड़ के अस्तित्व को बचाने की मांग को लेकर जुटी महापंचायत | एक सप्ताह से अनशन पर बैठे हैं ग्रामीण | खनिज पट्टों को निरस्त करने और पहाड़ को देवस्थान विभाग में शामिल करने की कर रहे हैं मांग

भुसावर 

भरतपुर जिले के भुसावर उपखंड में स्थित कालिया बाबा पहाड़ के अस्तित्व को बचाने को लेकर ग्रामीण संघर्ष कर रहे हैं। पिछले सात दिन से ग्रामीण अनशन पर बैठे हैं; लेकिन प्रशासन का कोई भी बड़ा अधिकारी उनका हाल जानने तक मौके पर नहीं पहुंचा है। सोमवार को इस मुद्दे को लेकर सुआकी जसवर के कालिया पर्वत की तलहटी में स्थित चन्द्रमा दास बाबा के आश्रम पर कालिया बाबा पहाड़ के आसपास के करीब चालीस-पचास गांवों के लोगों की महापंचायत हुई जिसमें खनिज पट्टों को निरस्त करने और कालिया बाबा पहाड़ को देवस्थान विभाग में शामिल करने की मांग की गई

इस महापंचयत में पूर्व सांसद पंडित रामकिशन भी पहुंचे। महापंचयत में गांव जसवर सुआकी, अलीपुर, झारोटी, पथैना, महाराजपुरा, नारोली, बबेखर, महमदपुर, खदराया, भैंसीना सहित करीब चालीस-पचास गांवों के ग्रामीण शामिल हुए। इस महापंचयत में रामकिशन के अलावा किसान नेता इन्दल सिंह जाट, संजय शर्मा, दामो पहलवान, बृजेश सरपंच पथैना, विजेंद्र ठाकुर सरपंच बबेखर, विस्सू झारोटी, रिशुपाल चौधरी, श्रीकिशन नारोली, हुकम सिंह झारोटी, भीम आर्मी से साहब सिंह भुसावर भी शामिल हुए। सभी ने मांग की कि कालिया पहाड़ पर आवंटित खसरा नम्बर 684 से लेकर 696 तक के समस्त नए पट्टों  को निरस्त किया जाए।

ग्रामीणों का कहना है कि ग्राम पंचायत अलीपुर बबेखर के ग्राम जसदर सुआकी में स्थित इस कालिया बाबा पहाड़ से उनकी धार्मिक भावनाएं जुड़ी हुई है और इस पर अब नए पट्टे आवंटित कर इस पहाड़ के अस्तित्व को खतरा पैदा कर दिया गया है। जबकि इसे देवस्थान विभाग में लिए जाने की जरूरत है। ग्रामीणों ने इसे लेकर प्रदेश सरकार को एक ज्ञापन भी भेजा है।

ज्ञापन में बताया गया है कि बृज चौरासी सीमा से सटा हुआ श्री काला पहाड़ (कालिया बाबा) प्रदेश के तीन जिलों दौसा, भरतपुर, अलवर को जोड़ने वाला एक प्रमुख व धार्मिक स्थल है। जो लगभग सात कोस (21 किमी.) के परिकमा मार्ग के बीच फैला हुआ है। यह पर्वत श्री गिर्राजधरण पर्वत के भाई के रूप में भी जाना जाता है।  यहां आस पास के जिलों से ही नहीं अपितु आसपास के राज्यों के लाखो की संख्या में भक्त भी इसकी परिकमा देने आते हैं। प्राचीन काल से यह पहाड़ संत महात्माओं की तपोभूमि है। काला पहाड़ पर महाभारत कालीन तीन मंजिला देवी का मंदिर तथा पक्का बड़ा तालाब है। और आस पास की हजारों गाय चार महिने पहाड़ के ऊपर रहती हैं। वहीं काला पहाड़ के परिक्रमा मार्ग में लगभग 51 मन्दिर स्थित हैं जिस पर संत महात्मा काफी अधिक संख्या में रहते हैं।

ज्ञापन में बताया गया कि काला पहाड़ की धार्मिक आस्था को देखते हुए राजस्थान सरकार ने सन् 1988 में पहाड़ पर वन विभाग की चौकी स्थापित की थी और 1994-96 में इसकी बाउण्ड्री भी करवाई गई थी और वन अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित रहते थे। लेकिन पिछले 5 वर्ष से यहां एक भी वन कर्मचारी नहीं आता। अनुपस्थित है। नौ सितंबर से संत महात्मा और 11 ग्रामीण भूख हड़ताल पर बैठे हुए हैं एवं 100 लोग क्रमिक  अनशन पर बैठे हुए हैं। इसके बाद भी प्रशासन की तरफ से कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है।

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