माननीय मुख्यमंत्री जी प्रदेश के कॉलेजों की भी जरा सुध ले लीजिए

जयपुर

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राजस्थान की उच्च शिक्षा इस बार फिर बजट का मुंह ताक रही है। प्रदेश की उच्च शिक्षा के साथ कुछ ऐसा सलूक हो रहा है कि बजट में घोषणाएं तो खूब हो जाती हैं। पर धरातल पर काम दिखता नहीं। स्थितियां ये हैं सरकार ने पिछले बजट में जो घोषणाएं की उनके मुताबिक सरकारी महाविद्यालयों के आधारभूत ढांचे तक खड़े नहीं हो पाए। पूरा शिक्षण सत्र बजट का रोना रोते – रोते निकल गया। पर किसी ने सुध ली नहीं। आज भी राजस्थान में कई महाविद्यालय भवन, पुस्तकालय, खेल मैदान, फर्नीचर आदि मूलभूत सुविधाओं के बिना ही चल रहे हैं।

सरकार ने क्या घोषणाएं की और आज स्थिति क्या है उनकी, जरा कुछ और बानगी देखिए। राज्य में अभी ढाई हजार से ज्यादा महाविद्यालय शिक्षकों के पद खाली हैं। जबकि लोक सेवा आयोग में लगभग 1000 पदों की अभ्यर्थना ही भेजी गई है। शारीरिक शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों के 500 से अधिक पद रिक्त पड़े हैं। अशैक्षणिक कर्मचारियों के पद भी बड़ी संख्या में रिक्त हैं। अंदाजा लगा लीजिए कि ऐसे  हालातों में इन महावद्यालयों में काम कैसे हो रहा होगा? और सरकार कैसे काम करती है?  इनके बिना महाविद्यालयों की सामान्य अध्ययन- अध्यापन, प्रशासनिक व्यवस्था व खेलकूद की गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हो रही हैं।

रूक्टा राष्ट्रीय ने कहा बजट में ठोस व्यवस्था की जाए
राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ (रूक्टा राष्ट्रीय) राज्य की उच्च शिक्षा में शिक्षकों का सबसे बड़ा संगठन है । उसने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखकर आग्रह किया है कि इस बार के राजस्थान के बजट में उच्च शिक्षा के लिए ठोस व्यवस्था की जाए। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष डा. दशरथ सिंह ने उम्मीद जताई कि राज्य की उच्च शिक्षा एवं विद्यार्थियों के हित में इस बजट में इन पदों को भरने की घोषणा की जाएगी। पत्र में सुझाव दिया गया कि राज्य में बिना समुचित सुविधाओं के नवीन राजकीय महाविद्यालय नहीं खोले जाएं। नए खोलने के बजाए पिछले वर्षों में खोले गए महाविद्यालयों में आधारभूत ढांचे के निर्माण एवं सुदृढ़ीकरण हेतु बजटीय प्रावधान किए जाएं। पत्र में बताया गया कि पिछले वर्ष खोले गए नवीन महाविद्यालयों में तथा कई महाविद्यालयों में खोले नए विषयों एवं संकायों में शैक्षणिक व अशैक्षणिक पद स्वीकृत नहीं किए गए हैं, इसके बिना महाविद्यालय /कोर्स चलाने का कोई अर्थ नहीं है, इन्हें यूजीसी से मान्यता भी नहीं मिल सकती है। अतः इन महाविद्यालयों में समुचित संख्या में पद सृजित किए जाएं।

इन विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक पद पर एक भी नियुक्ति नहीं
राज्य के कई विश्वविद्यालयों यथा सीकर, अलवर, भरतपुर बांसवाड़ा आदि में शैक्षणिक पद पर एक भी नियुक्ति नहीं की गई है। वहीं अन्य विश्वविद्यालयों में शैक्षणिक व अशैक्षणिक पद बड़ी संख्या में रिक्त चल रहे हैं। रूक्टा राष्ट्रीय ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया कि इस संबंध में बजट में समुचित प्रावधान किए जाएं। 
ऐसे पड़ रहा है उच्च शिक्षा की गुणवत्ता पर असर

पिछले कुछ वर्षों में राज्य की महाविद्यालय शिक्षा में सूचनाओं का केंद्रीकरण हुआ है, प्राचार्य के अधिकार कम किए गए हैं। शिक्षकों द्वारा गंभीर शिक्षण में लगाए जाने वाले समय का एक बड़ा हिस्सा गैर शैक्षणिक गतिविधियों और

आयुक्तालय द्वारा मांगी जाने वाली सूचनाओं के संकलन-संप्रेषण में व्यतीत होता है। इससे उच्च शिक्षा शिक्षण की गुणवत्ता पर बुरा असर पड़ा है। जन घोषणा पत्र में महाविद्यालयों की अकादमिक स्वतंत्रता और स्वायत्तता को सुनिश्चित करने का वादा किया गया था, लेकिन इस घोषणा के विपरीत आयुक्तालय महाविद्यालय शिक्षा में कनिष्ठ शिक्षकों को जिला प्रभारी लगाकर स्वायत्तता को और सीमित कर दिया गया है। इस व्यवस्था के स्थान पर महाविद्यालय स्तर पर प्राचार्य पद को सशक्त करने तथा महाविद्यालयों में सूचना सहायक पद के सृजन करने की ज़रूरत है।

इन पर भी करें गौर
राज्य के महाविद्यालय शिक्षकों हेतु यूजीसी रेगुलेशन 2018 अभी तक लागू नहीं किया गया है। रेगुलेशन में उल्लेखित नवीन वेतनमान 1 जनवरी 2016 से देने, प्रोफेसर पद संख्या से सीमा हटाने सहित अन्य शिक्षक हितकारी प्रावधान लागू होने की सबको काफी समय से प्रतीक्षा है।

प्रदेश की महाविद्यालय शिक्षा में कई शिक्षक लंबे समय से संविदा पर कार्यरत हैं। इन्हें नियमित करने की भी घोषणा का लंबे समय से इंतजार है।
विद्यार्थियों के अनुपात में नियुक्त हों शिक्षक
रूक्टा  राष्ट्रीय के प्रदेश महामंत्री डा. नारायण लाल गुप्ता ने बताया कि राज्य की उच्च शिक्षा में अभी विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात लगभग 100:1 है। एक कक्षा वर्ग कला में 100 तथा विज्ञान में 88 विद्यार्थियों का है। जबकि यूजीसी के नियमानुसार विद्यार्थी -शिक्षक अनुपात स्रातक कला में 30:1 तथा स्नातक विज्ञान में 25:1 का होना चाहिए। उन्होंने स्मरण दिलाया कि विधानसभा चुनाव में जारी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के जन घोषणा पत्र में विद्यार्थियों के अनुपात में कक्षा वर्ग के निर्धारण एवं शिक्षकों की नियुक्ति सुनिश्चित करने की बात की गई थी, उम्मीद है इस बजट में इस संबंध में सकारात्मक घोषणा की जाएगी।






 

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