जयपुर
एसीबी मामलों की विशेष अदालत से गहलोत सरकार को तगड़ा झटका लगा है। एकल पट्टा प्रकरण से जुड़े मामले में गहलोत सरकार के चहेते पूर्व आईएएस जीएस संधू (Former IAS GS Sandhu) और पूर्व आरएएस निष्काम दिवाकर सहित आरएएस ओंकार मल सैनी के खिलाफ केस वापस लेने की एसीबी की ओर से पेश अर्जी को खारिज कर दिया है। हालांकि अदालत ने संधू के प्रार्थना पत्र को मंजूर करते हुए उन्हें अमेरिका जाने के लिए सशर्त 9 दिसंबर तक की अनुमति दी है।
एसीबी की विशेष अदालत ने कहा कि संधू पासपोर्ट और वीजा को लेकर संबंधित अधिकारियों के समक्ष आपराधिक मुकदमों की जानकारी देने के संबंध में शपथ पत्र पेश करें। परिवादी रामशरण सिंह की ओर से कहा गया कि यह भ्रष्टाचार का गंभीर मामला है। एसीबी ने अनुसंधान कर तीनों के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया था, लेकिन अब एसीबी सरकार के इशारे पर केस वापस लेना चाहती है।
हाईकोर्ट भी संधू के मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द करने के लिए पेश याचिका को खारिज कर चुका है। ऐसे में एसीबी को केस वापस लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए जिस पर सुनवाई करते हुए अदालत ने एसीबी के प्रार्थना पत्र को खारिज करते हुए संधू को विदेश जाने की सशर्त अनुमति दे दी है।
ACB ने संधू पर से केस वापस लेने के ये दिए तर्क
एसीबी की ओर से संधू पर से केस वापस लेने की अर्जी में कहा गया है कि राज्य स्तरीय कमेटी ने इन तीनों तत्कालीन अधिकारियों के खिलाफ केस वापस लेने की सिफारिश की है। एसीबी ने भी अनुसंधान में माना है कि मामले में विवादित भूमि सरकारी नहीं है। न तो मूल पट्टेधारियों ने कोई शिकायत की है और न ही राज्य सरकार या जेडीए ने एसीबी में कोई शिकायत दी थी। इसके अलावा तीनों अफसरों के खिलाफ भी कोई शिकायत नहीं है और न ही उनका नाम एफआईआर में है। ऐसे मामलों में अनावश्यक तौर पर अभियोजन का सामना करने से राज्य के अफसरों का मनोबल गिरेगा, जो जनहित में नहीं होगा। इसलिए इनके खिलाफ लंबित केस वापस लेने की अनुमति दी जाए।
लेकिन परिवादी ने ACB के इन तर्कों का कोर्ट के समक्ष कड़ा प्रतिवाद किया और बताया कि एसीबी ने अनुसंधान कर तीनों के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया था, लेकिन अब एसीबी सरकार के इशारे पर केस वापस लेना चाहती है। हाईकोर्ट भी संधू के मामले में दर्ज एफआईआर को रद्द करने के लिए पेश याचिका को खारिज कर चुका है। ऐसे में एसीबी को केस वापस लेने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। दोनों पक्षों को सुनने के बाद ACB कोर्ट ने ACB की केस वापस लेने की अर्जी खारिज कर दी।
आपको बता दें कि चार साल पुराने एक जमीन घोटाले मामले में एक रिटायर्ड आईएएस संधू सहित तीन अधिकारियों के खिलाफ दायर आरोप पत्र में राज्य सरकार की ओर से विशेष अदालत में इसे वापस लेने के लिए गुहार लगाई गई थी।
2015 और 2016 में तीन अधिकारियों जीएस संधू, IAS ( रिटायर्ड), निष्काम दिवाकर RAS ( रिटायर्ड) और ओंकारमल सैनी (मौजूदा RAS अधिकारी) के खिलाफ बीजेपी शासन के दौरान एक जमीन घोटाला मामले में दो चार्जशीट दाखिल की गई थीं। लेकिन अब राज्य सरकार चाहती है कि इन मामलों में इन अधिकारियों को राहत मिले। इन तीन पूर्व अधिकारियों में से एक राजस्थान क्रिकेट संघ के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे वैभव गहलोत के सलाहकार भी हैं।
2016 में दायर हुई थी चार्जशीट
8 जुलाई 2016 में एंटी- करप्शन ब्यूरो की ओर से 8 जुलाई 2016 में जमीन मामले में चार्जशीट दायर की गई थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि 2010-11 में शहरी विकास और आवास (यूडीएच) विभाग में प्रधान सचिव निष्काम दिवाकर, तत्कालीन उप सचिव, यूडीएच ओंकारमल सैनी और जयपुर डेवलपमेंट अथॉरिटी के तत्कालीन डिप्टी कमिश्नर ने हाउसिंग सोसाइटी से संबंधित एक भूमि को एक निजी निर्माण कंपनी को आवंटित करने की थी। उन्होंने यह काम षडयंत्र के तहत किया था, जो गलत था। लिहाजा एसीबी ने संधू और सैनी पर आईपीसी की धारा 409, 420 और 120 बी के तहत आरोप लगाए गए थे। इसके बाद तीनों को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन बाद में उन्हें जमानत दे दी गई।
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