योगेन्द्र गुप्ता। |
तबादलों की सूची जब जारी हुई तो टारगेट पर आरएसएस से जुड़े कॉलेज शिक्षक थे। पर बवण्डर कांग्रेस में मच रहा है। आरएसएस से जुड़े इन कॉलेज शिक्षकों को चुन-चुन कर दूर फेंका गया। हालांकि सभी तबादले आधारहीन और अतार्किक थे। उससे कॉलेज शिक्षकों में असंतोष भी भड़का। पर उससे ज्यादा असंतोष की घटाएं कांग्रेस में छा गईं।
मामला राजस्थान का है। यहां के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच घमासान पिछले दिनों जैसे-तैसे निपटा था। पर अब कॉलेज शिक्षकों के तबादलों में फजीहत होने के बाद कांग्रेस के ढाई दर्जन विधायक नाराज हो गए हैं। पार्टी में तलवारें खिंचती नजर आ रही हैं। वजह तबादला सूची है। सूत्रों ने बताया कि सचिन पायलट सहित कांग्रेस के करीब ढ़ाई दर्जन विधायकों ने अपने क्षेत्र के महाविद्यालयों में शिक्षकों के रिक्त पदों को भरने के लिए सरकार को अपनी सिफारिशें भेजीं। उच्च शिक्षा मंत्री ने इनको मानते हुए 31 दिसम्बर को सूची भी जारी कर दी। इसके बाद इन विधायकों ने बधाईयां लेनी और देनी शुरू कर दी। इसी बीच दूसरे विभाग के राज्य मंत्री की मुख्यमंत्री कार्यालय तक दौड़धूप शुरू हो गई। उन्होंने दखल देकर इस सूची को निरस्त करवाकर चार जनवरी की आधी रात को संशोधित सूची जारी करवा दी। इसमें तत्कालीन उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट सहित कांग्रेस के करीब तीन दर्जन विधायकों की डिजायर धरी रह गईं।
सीएमओ ने पायलट को नहीं दी कोई तवज्जो
दिलचस्प ये है कि सचिन पायलट ने पूरे प्रदेश में मात्र एक शिक्षक रामस्वरूप मीना को डूंगरपुर से अपने टोंक विधानसभा क्षेत्र में लाने की सिफारिश की थी। भूगोल विषय का पद खाली भी था। इसलिए उच्च शिक्षा मंत्री भाटी ने उसे मान भी लिया था। पर जैसे ही बात मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुंची तो फौरन सचिन पायलट की सिफारिश को भी कांग्रेस के अन्य विधायकों की सिफारिशों के साथ कचरा पात्र में फेंक दिया गया। अब ये सभी नाराज चल रहे हैं। एक नाराज कांग्रेस नेता का कहना था कि वे इसमें कर भी क्या सकते हैं? यह राज्य मंत्री मुख्यमंत्री के ज़्यादा करीबी हैं। गहलोत और पायलट के बीच कितनी कटुता अभी भी बनी हुई है, यह इस प्रकरण से फिर ज़ाहिर हो गई।
उच्च शिक्षा मंत्री भी खिन्न!
सूत्रों के अनुसार इस तरह सूची को निरस्त करवाने और फिर चार दिन बाद ही आधी रात को संशोधित सूची जारी करने के तरीके से उच्च शिक्षा मंत्री भंवर सिंह भाँति भी नाखुश बताए जा रहे हैं। उनकी नाराजगी की एक सबसे बड़ी वजह दूसरे विभाग के राज्य मंत्री द्वारा उनके विभाग में दखल देकर सारी सूची को उलट-पलट करवा देना भी है।
सूत्रों के अनुसार दूसरे विभाग के एक राज्य मंत्री ने सीएमओ कार्यालय में यह कहते हुए 31 दिसम्बर की सूची को निरस्त करवा दिया कि ये शिक्षक आरएसएस से जुड़े हुए थे।
विचारधारा के आधार पर कॉलेज शिक्षकों को प्रताड़ित करना शर्मनाक: कटारिया
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने विचारधारा के आधार पर कॉलेज शिक्षकों को प्रताड़ित करने को शर्मनाक बताया है। कटारिया ने कहा कि कांग्रेस समर्थित संगठन के महामंत्री के पत्र के आधार पर आरएसएस विचार से जुड़े शिक्षकों का पूर्व में पदस्थापित स्थान से भी दूर तबादला कर दिया गया है। जिस तरह से उच्च शिक्षामंत्री ने संशोधित सूची जारी की, यह शिक्षा विभाग जैसे पवित्र संस्थान में एक अत्यंत घिनौना कृत्य है।
कटारिया ने इस मामले में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की भूमिका को लज्जाजनक बताया और कहा कि योग्यता और अच्छे कार्य के आधार पर पुस्कृत करना तो दूर, चयनित रूप से एक लोकतांत्रिक शिक्षण संगठन को कुलचने का काम गहलोत कर रहे हैं। कटारिया ने कहा कि राज्य की कॉलेज शिक्षा में 2500 से अधिक पद रिक्त हैं। ऐसी स्थिति में कॉलेज शिक्षा में नियुक्तियों के स्थान पर मुख्यमंत्री द्वारा स्थानांतरण की राजनीति करना अच्छे शासन का उदाहरण कतई नहीं कहा जा सकता है। कटारिया ने अपेक्षा जताई है कि सीएम इस पूरे मामले पर पुनर्विचार करके प्रताड़ित शिक्षकों को न्याय प्रदान करेंगे।
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