भरतपुर
कच्चा परकोटा नियमन संघर्ष समिति भरतपुर के एक प्रतिनिधिमंडल ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण जयपुर मंडल के अधीक्षण पुरातत्वविद प्रवीण सिंह से मिलकर एक ज्ञापन देकर मांग की कि नगर निगम भरतपुर अधिकार क्षेत्र में स्थित केंद्रीय संरक्षित स्मारकों के चारों ओर निर्धारित प्रतिषेध क्षेत्र 100 मीटर में 16 जून 1992 से पूर्व निर्मित भवनों के पट्टे जारी करने पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाया जाए।
पूर्व नेता प्रतिपक्ष इंद्रजीत भारद्वाज ने अधीक्षण पुरातत्वविदअधिकारी को अवगत कराया कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण जयपुर मंडल के आदेश अनुसार नगर निगम भरतपुर के अधिकार क्षेत्र में केंद्रीय संरक्षित स्मारक दिल्ली दरवाजा, अनाह गेट के समीप फतेह बुर्ज, किले के चारों ओर स्थित सुजान गंगा नहर, गांव नोह टीला आदि के 100 मीटर क्षेत्र में पट्टे देने पर प्रतिबंध प्राचीन स्मारक तथा पुरातत्व स्थल एवं अवशेष अधिनियम 1958 एवं संशोधित एवं विधिमान्य अधिनियम 2010 का हवाला देते हुए लगाया गया है। वह अधिनियम के विपरीत है।
भारद्वाज ने बताया कि केंद्रीय संरक्षित स्मारक के प्रतिषेध क्षेत्र 100 मीटर का निर्धारण संशोधित अधिनियम 2010 में किया गया था। उससे पूर्व सस्मारक से कोई भी दूरी निर्धारित नहीं थी। उक्त संशोधित अधिनियम 2010 के अनुसार 16 जून, 1992 से पूर्व निर्मित भवनों को पट्टे जारी करने की किसी प्रकार की रोक अधिनियम में नहीं है। अधिनियम में 100 मीटर प्रतिषेध क्षेत्र में नव निर्माण एवं मरम्मत पर प्रतिबंध है। जबकि पट्टे देने पर किसी प्रकार का प्रतिबंध नहीं है।
प्रतिनिधिमंडल ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण मंडल जयपुर से मांग की है कि भरतपुर शहर के केंद्रीय संरक्षित स्मारक के आसपास 100 मीटर क्षेत्र में 16 जून, 1992 से पूर्व निर्मित भवनों के पट्टे जारी करने के अधिनियम 2010 के तहत संशोधित आदेश पुन: जारी किए जाएं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के द्वारा उक्त अधिनियम 2010 के विरुद्ध आदेश जारी हो जाने के कारण भरतपुर शहर के लगभग 5000 परिवार प्रशासन शहरों के संग अभियान 2021 के तहत पट्टे लेने से वंचित हो रहे हैं।
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