दौसा
पंडित जवाहरलाल नेहरू बाल साहित्य अकादमी के संस्थापक सदस्य, राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी जयपुर के पूर्व सदस्य एवं वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. अंजीव अंजुम वर्तमान में साहित्य विधा से नई पीढ़ी में सिखाने का कार्य कर रहे हैं। वर्तमान में अंजीव शिक्षा विभाग में प्रधानाध्यापक पद पर कार्यरत हैं।
अंजीव अंजुम की बाल साहित्य के क्षेत्र में अब तक लगभग 200 पुस्तक प्रकाशित हो चुकी हैं। अंजीव को मानव संसाधन विकास एवं संस्कृति मंत्रालय नई दिल्ली तथा राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर द्वारा उनकी श्रेष्ठ साहित्य लेखन के लिए पुरस्कृत किया जा चुका है। अंजुम देश के एक अकेले साहित्यकार हैं जिन्हें राजस्थान साहित्य अकादमी उदयपुर द्वारा युवा पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
अपने दौसा प्रवास पर वे अपने समय का सदुपयोग अनुराग सेवा संस्थान लालसोट दोसा, लिटिल चॉइस पब्लिक स्कूल दौसा तथा जिला मुख्यालय दौसा स्काउट संघ के सहयोग से जिला मुख्यालय पर आयोजित कौशल विकास एवं अभिरुचि प्रशिक्षण शिविर में नन्हे मुन्ने बच्चों को बाल कहानी, बाल कविता तथा बाल साहित्य की अन्य विधाएं जैसे पहेलियां, नारा लेखन, वाल नाटक के लिखने तथा समझना के प्रति उनमें रुचि जागृत करने तथा बच्चों को साहित्य लेखन तथा पठन के प्रति जागृत करने का कार्य कर रहे हैं। जहां एक और छोटे बच्चे वर्तमान में कंप्यूटर लैपटॉप और मोबाइल पर फेसबुक इंस्टाग्राम व्हाट्सएप तथा यूट्यूब पर अपना समय व्यतीत करते हैं वहीं अंजीव अंजुम के अथक प्रयासों से जिला मुख्यालय पर विगत दो वर्षों से बाल साहित्य रचना शिविर का आयोजन किया जा रहा है जिसमें नन्हे मुन्ने बच्चे कविता, कहानी, नाटक, पहेलियां की रचना करना सीख रहे हैं। वहीं इन बच्चों की विगत वर्ष में बाल साहित्य की प्रमुख मासिक पत्र पत्रिकाओं में कविताएं प्रकाशित भी हुई है।
रचना शिविर में सीख रहे नन्हे बालक अथर्व ने बताया कि उसने विगत वर्ष भी कविता लेखन सीखा था तथा उनकी एक कविता राजस्थान बाल साहित्य अकादमी जयपुर की पत्रिका में प्रकाशित हुई थी। शिविर के अन्य बालिका अनन्या ने बताया कि अंजीव सर द्वारा आयोजित इस शिविर में उसने विगत वर्ष की भांति इस वर्ष भी कविता तथा कहानी लेखन सीखा और इन विधाओं की बारीकियों को नजदीकी से जाना है। उसने कहा कि हमें कहानी लिखना सुनना पढ़ना बेहद अच्छा लग रहा है।
एक नन्ही बालिका उषा प्रजापत ने शिविर में सीखने की बात पर कहा कि शिविर में आकर बैठना उसे बहुत अच्छा लगता है। उसे नई-नई साहित्यिक विधाओं की जानकारी मिली है जो उसके पाठ्यक्रम के साथ-साथ रुचि के अनुरूप है। बालिका मानवी त्रिवेदी ने बताया कि यह समर कैंप सभी समर कैंप से इस रचना शिविर के कारण एक अलग ही रूप में दिखता है।
इस रचना शिविर में कल 27 प्रतिभागियों ने भाग लिया तथा लगभग 40 से ऊपर छोटे बच्चों द्वारा कविताएं तैयार की गई हैं। इसी प्रकार रोवर्स और रेंजर्स तथा अन्य प्रतिभागियों द्वारा भी 40 के लगभग कविता लेखन का कार्य किया गया। अंजीव अंजुम ने बताया कि इस वर्ष भी सभी विद्यार्थियों की कविता, कहानी तथा अन्य लेखन सामग्री को देश की प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशनार्थ भेजा जाएगा। शिविर में साहित्यिक विधाओं को सीख रही 40 वर्षीय साधना गौड़ ने कहा कि वह साहित्य की विद्यार्थी हैं परंतु इस रचना शिविर में आकर उन्हें कविता कहानी तथा पहेलियां की बारीकियां को सीखने का मौका मिला है।
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