कोटा
चित्तौड़गढ़ (Chittorgarh) में रिश्वतखोरी का खेल चेक और कैश में चल रहा था, लेकिन एसीबी (ACB) की टीम ने इसकी बिसात उलट दी। सोमवार को डीएफओ ऑफिस में दबिश देकर कोटा एसीबी ने बड़ी कार्रवाई की। 1.20 लाख रुपये के चेक और 78 हजार कैश रिश्वत के तौर पर लेते हुए रेंजर और सहायक वनपाल को रंगे हाथों दबोच लिया गया। पूरे ट्रैप ऑपरेशन का नेतृत्व एएसपी मुकुल शर्मा ने किया, जिसमें भ्रष्टाचार के इस नेटवर्क का भंडाफोड़ हो गया। अब एसीबी टीम इस खेल से जुड़े और बड़े नामों की तलाश में जुटी है।
कैसे बिछाया गया जाल?
भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) के महानिदेशक रवि प्रकाश मेहरड़ा ने बताया कि कोटा ACB को एक ठेकेदार ने शिकायत दी थी कि वन विभाग के अधिकारी बिल पास करवाने के बदले रिश्वत मांग रहे हैं।
- रेंजर राजेंद्र चौधरी ने 21 लाख के ठेके पर 20% कमीशन मांगा।
- सहायक वनपाल राजेंद्र मीणा ने 2% अलग से वसूलने की बात कही।
- फाइल अटकाने की धमकी दी गई, जिसके बाद शिकायतकर्ता ने ACB से संपर्क किया।
ACB ने शिकायत का सत्यापन किया और फिर ट्रैप बिछाया। जैसे ही 50 हजार कैश और 1.20 लाख का चेक अधिकारियों ने लिया, टीम ने दोनों को रंगे हाथों धर दबोचा।
अब कौन-कौन फंसेगा?
ACB अब इस मामले में डीएफओ ऑफिस के अन्य कर्मचारियों की भूमिका की जांच कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, इस घूसखोरी में एक महिला की भूमिका भी संदिग्ध है। आने वाले दिनों में और भी बड़े नामों का खुलासा हो सकता है।
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