जयपुर
ब्लैक फंगस में बढ़ते मामलों ने राजस्थान सरकार की चिंता बाधा दी है। इसे देखते हुए उसने ब्लैक फंगस को महामारी घोषित कर दिया है। ब्लैक फंगस को महामारी घोषित करने के बाद अब इसका हर तरह का रिकार्ड रखा जाएगा। वहीं अब इस बीमारी की प्रभावी तरीके से मॉनिटरिंग हो सकेगी।आपको बता दें राजस्थान में जयपुर, जोधपुर के अलावा सीकर, पाली, बाड़मेर, बीकानेर, कोटा और अन्य जिलों में ब्लैक फंगस के केस लगातार मिल रहे हैं। राजस्थान की हेल्थ इंश्योरेंस चिरंजीवी योजना में एक दिन पहले ही इसे शामिल किया गया था। इसके बाद ही संकेत मिल गए थे कि सरकार इसे महामारी घोषित करने वाली है। राजस्थान में ब्लैक फंगस के अब तक करीब 400 मामले आ चुके है।
राजस्थान सरकार के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से इस संबंध में अधिसूचना जारी की गई है। प्रमुख शासन सचिव अखिल अरोरा के आदेश से जारी इस अधिसूचना में बताया गया है कि प्रदेश में कोविड-19 संक्रमण के प्रभाव के कारण बलैक फंगस के मरीजों की संख्या में निरंतर वृद्धि, ब्लैक फंगस के कोविड-19 के साइड इफेक्ट के रूप में सामने आने तथा ब्लैक फंगस और कोविड-19 का एकीकृत एवं समन्वित रूप से उपचार किये जाने के दृष्टिगत पूर्व में घोषित महामारी कोविड19 के अंतर्गत ही राजस्थान महामारी अधिनियम 2020 की धारा 3 सपठित धारा 4 की उपधारा के तहत ब्लैक फंगस को संपूर्ण राज्य में महामारी तथा नोटिफाइबल डिजीज अधिसूचित किया जाता है।
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एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन बाजार से गायब
इस बीच ब्लैक फंगस (म्यूकर माइकोसिस) के मरीज बढ़ने के साथ ही इसके इलाज में इस्तेमाल होने वाले एम्फोटेरिसिन-बी इंजेक्शन की मांग बढ़ गई है। लेकिन बाजार में किल्लत हो गई है और मरीजों के परिजनों को दर-दर भटकना पड़ रहा है। सरकार ने इस इंजेक्शन की मांग केन्द्र सरकार से की है। इसके अलावा इस इंजेक्शन की खरीद के लिए सरकार ने 2500 वायल (शीशी) खरीदने के सीरम कंपनी को ऑर्डर भी दिया है।
ब्लैक फंगस के ये हैं लक्षण
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन सिंह ने ट्वीट कर बताया है कि आंखों में लालपन या दर्द, बुखार, खांसी, सिरदर्द, सांस में तकलीफ, साफ-साफ दिखाई नहीं देना, उल्टी में खून आना या मानसिक स्थिति में बदलाव ब्लैक फंगस के लक्षण हो सकते हैं। म्यूकोरमाइकोसिस या ब्लैक फंगस एक दुर्लभ फंगल इंफेक्शन है। लेकिन ये गंभीर इंफेक्शन है, जो मोल्ड्स या फंगी के एक समूह की वजह से होता है। ये मोल्ड्स पूरे पर्यावरण में जीवित रहते हैं। ये साइनस या फेफड़ों को प्रभावित करता है। नाक खुश्क होती है। नाक की परत अंदर से सूखने लगती है व सुन्न हो जाती है। चेहरे व तलवे की त्वचा सुन्न हो जाती है। चेहरे पर सूजन आती है। दांत ढीले पड़ते हैं। इस बीमारी में आंख की नसों के पास फंगस जमा हो जाता है, जो सेंट्रल रेटाइनल आर्टरी का ब्लड फ्लो बंद कर देता है। इससे अधिकांश मरीजों में आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली जाती है। इसके अलावा कई मरीजों में फंगस नीचे की ओर फैलता है तो जबड़े को खराब कर देता है। अधिक मात्रा में दवाई देना, मरीज को डायबिटीज़ होना या अन्य लक्षण के कारण उसकी जान को खतरा हो सकता है।