जयपुर
राजस्थानके पूर्व मुख्यमंत्री और बिहार व् हरियाणा के पूर्व राज्यपाल रहे जगन्नाथ पहाड़िया (Jagannath Pahadia) का 19 मई को देर रात निधन हो गया। वे पिछले कुछ दिनों से कोरोना वायरस (CoronaVirus) के संक्रमण से जूझ रहे थे। पहाड़िया ने देर रात गुड़गांव के अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनके निधन पर राजस्थान सरकार ने 20 मई को एक दिन का राजकीय शोक, सभी सरकारी दफ्तरों में छुट्टी घोषित की है। सरकारी इमारतों पर राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। राज्य मंत्रिपरिषद की बैठक में भूतपूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया के निधन पर शोकाभिव्यक्ति होगी। पहाड़िया का राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार होगा।
पहाड़िया के निधन की जानकारी के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ट्विटर पर शोक जताया है। उन्होंने कहा है कि पहाड़िया हमारे बीच से कोविड की वजह से चले गए, उनके निधन से मुझे बेहद आघात पहुंचा है। ईश्वर से प्रार्थना है शोकाकुल परिजनों को इस कठिन समय में सम्बल दें एवं दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें।
मुख्यमंत्री ने दुख प्रकट करते हुए कहा, ‘प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ पहाड़िया के निधन की खबर बेहद दुखद है। पहाड़िया ने मुख्यमंत्री के रूप में, राज्यपाल के रूप में, केंद्रीय मंत्री के रूप में लम्बे समय तक देश की सेवा की, वे देश के वरिष्ठ नेताओं में से थे। उन्होंने यह भी बताया कि ‘प्रारम्भ से ही उनका मेरे प्रति बहुत स्नेह था, पहाड़िया के जाने से मुझे व्यक्तिगत क्षति हुई है। विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी, कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट सहित कांग्रेस-भाजपा के कई नेताओं ने शोक जताया है।
चार बार सांसद, चार बार विधायक रहे
पहाड़िया 6 जून 1980 से 14 जुलाई 1981 तक मात्र 13 महीने ही राजस्थान के सीएम रहे। 13 महीने के छोटे से कार्यकाल में पहाड़िया ने प्रदेश में पूरी तरह शराबबंदी लागू की। पहाड़िया 1957, 67, 71 व 80 में चार बार सांसद और 1980, 1985, 1999 और 2003 में विधायक रहे। वे इंदिरा गांधी कैबिनेट में मंत्री भी रहे। उनके पास वित्त, उद्योग, श्रम, कृषि जैसे विभाग रहे। वे 1989 से 90 तक एक साल के लिए बिहार और 2009 से 2014 तक हरियाणा के राज्यपाल भी रहे। पहाड़िया राजस्थान के एक मात्र दलित मुख्यमंत्री रहे हैं
ये भी पढ़ें
- Dausa: दौसा में बोरवेल में गिरा 5 साल का मासूम, 150 फीट पर अटका
- जयपुर में रेवेन्यू बोर्ड की स्थायी बेंच गठित करने के संबंध में फैसला ले सरकार | राजस्थान हाईकोर्ट का निर्देश
- डिस्कॉम JEN ने ट्रांसफॉर्मर बदलने के एवज में मांगे 50 हजार, ACB ने दलाल सहित रंगे हाथ दबोचा
- Rising Rajasthan Summit: पीएम मोदी ने बताया निवेश के लिए राजस्थान क्यों है अहम | अदाणी, अनिल अग्रवाल, बिड़ला, आनंद महिंद्रा, टाटा पॉवर राजस्थान में करेंगे बड़ा निवेश, मोदी के सामने किया ऐलान | निवेश धरातल पर उतरे तो बदल जाएगी प्रदेश की तकदीर
- कॉलेज की प्रिंसिपल सस्पेंड, भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई
- राइजिंग राजस्थान समिट में वीआईपी मूवमेंट, जयपुर में रहा जगह-जगह जाम के हालात, हजारों लोग रहे परेशान | 11दिसंबर तक चलेगी समिट, तब तक ऐसे रहेगी ट्रैफिक व्यवस्था
- आर.डी. गर्ल्स कॉलेज में द्वितीय आत्म सुरक्षा प्रशिक्षण शुरू
- IAS Transfer 2024: MP में 15 IAS के तबादले, यहां देखें पूरी देखें लिस्ट
- देश का पहला हाइपरलूप ट्रैक तैयार; मिनटों में पूरी होगी घंटों की दूरी | दौड़ेगी राकेट जैसी रफ्तार वाली ट्रेन | जानें खासियत
- PNB के मैनेजर को झांसा में लिया और 6 लाख 65 हजार रुपए खाते में करवा लिए RTGS
बेबाकी ने ही शिखर तक पहुंचाया और बेबाकी ने पद से हटाया
पहाड़िया का भरतपुर के भुसावर में एक दलित परिवार में जन्म हुआ। पहाड़िया हमेशा अपनी बेबाकी के लिए चर्चित रहे। बेबाकी ने ही उनको शिखर तक पहुंचाया। 1957 मेें वे जब वे राजस्थान के दिग्गज नेता रहे मा. आदित्येन्द्र के साथ तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से मिलने ले गए, उस वक्त पहाड़िया की उम्र केवल 25 साल थी। पंडित नेहरू ने पहाड़िया से देश प्रदेश के हालात के बारे में पूछा तो वे बिना झिझके बोले कि बाकी तो सब ठीक है लेकिन दलितों को रिप्रजेंटेशन नहीं मिल रहा। पंडित नेहरू इस बेबाकी से बहुत प्रभावित हुए और उनको चुनाव लड़ने को कहा। 1957 में जो देश के दूसरा आम चुनावमें पहाड़िया सवाईमाधोपुर से सांसद का चुनाव जीते। जगन्नाथ पहाड़िया संजय गांधी के बहुत करीब थे। संजय गांधी ने ही मुख्यमंत्री बनवाया । 1980 में पहाड़िया केवल 13 महीने मुख्यमंत्री रहे थे। जयपुर में लेखकों के एक सम्मेलन में पहाड़िया ने महादेवी वर्मा की कविताओं के बारे में कहा था कि महादेवी वर्मा की कविताएं मेरे कभी समझ नहीं आईं कि वे क्या कहना चाहती हैं। उनकी कविताएं आम लोगों के सिर के ऊपर से निकल जाती हैं, मुझे भी कुछ समझ में नहीं आतीं। साहित्य आम आदमी को समझ आए ऐसा होना चाहिए। महादेवी वर्मा ने इंदिरा गांधी से शिकायत की थी और उसके बाद पहाड़िया को सीएम पद छोड़ना पड़ा था।