जोधपुर
गैंगस्टर आनंदपाल का एनकाउंटर करने वाले एसपी सहित सात पुलिसकर्मियों के खिलाफ अब हत्या का केस चलेगा। गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की 24 जून, 2017 को चूरू जिले के मालासर गांव में पुलिस एनकाउंटर में मौत हो गई थी। विरोध प्रदर्शनों को देखते हुए राज्य सरकार की अनुशंसा पर केंद्र सरकार ने एनकाउंटर की जांच सीबीआई को सौंपी थी।बुधवार को अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीबीआई प्रकरण), जोधपुर महानगर ने सीबीआई की ओर से दायर क्लोजर रिपोर्ट को ख़ारिज कर दिया और आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ प्रसंज्ञान लेते हुए नियमित फौजदारी प्रकरण दर्ज करने का आदेश पारित किया। सीबीआई ने 31 अगस्त, 2019 को कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी।
आपको बता दें कि एनकाउंटर को लेकर आनंदपाल की पत्नी राज कंवर ने प्रोटेस्ट याचिका पेश की थी। प्रोटेस्ट याचिका पर प्रसंज्ञान आदेश पारित करते हुए पीठासीन अधिकारी युवराज सिंह ने चूरू के तत्कालीन एसपी बारहठ सहित कुचामन सिटी के तत्कालीन वृत्त अधिकारी विद्या प्रकाश, पुलिस निरीक्षक सूर्यवीर सिंह, हेड कांस्टेबल कैलाश चंद्र, कांस्टेबल सोहन सिंह, धर्मपाल एवं धर्मवीर के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 147, 148, 302, 326, 325, 324 सहपठित धारा 149 के तहत अपराध का प्रसंज्ञान लिया।
कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि आत्मसमर्पण कर चुके व पकड़े जा चुके व्यक्ति की गोली मारकर हत्या करना पदीय कर्तव्य के तहत किया गया कृत्य नहीं माना जा सकता। यह सही है कि आनंदपाल सिंह इनामी बदमाश था। उस पर विभिन्न आपराधिक प्रकरण दर्ज थे एवं हस्तगत प्रकरण में आक्षेपित घटना के वक्त पकड़े जाने से पूर्व उसने पुलिस बल पर फायर भी किया था, लेकिन इसके बाद पकड़े जाने के उपरांत उसकी हत्या को उचित नहीं माना जा सकता। आदेश के अनुसार हस्तगत प्रकरण में अभियोजन स्वीकृति की आवश्यकता दर्शित नहीं होती है।
कोर्ट ने अपने प्रसंज्ञान आदेश के निष्कर्ष में कहा कि सीबीआई की ओर से पेश क्लोजर रिपोर्ट में घटना की तात्विक वस्तुस्थिति के संदर्भ में वर्णित तथ्यों, पत्रावली पर उपलब्ध विभिन्न जांच रिपोर्टों, जांच के दौरान गवाहों के बयानों में पारस्परिक विरोधाभास सहित परिवादी पक्ष की ओर से पेश साक्ष्य से यह तथ्य प्रथमदृष्ट्या दर्शित होता है कि घटना के वक्त आनंदपाल सिंह ने आत्मसमर्पण कर दिया था तथा उसे पुलिस बल ने जीवित पकड़ लिया था। तत्पश्चात् उसके साथ मारपीट कर नजदीकी रेंज से उसे गोली मारी गई थी।
उल्लेखनीय है कि 3 सितंबर 2015 को अजमेर जेल से डीडवाना में पेशी के बाद वापस ले जाते समय आनंदपाल पुलिस पर हमला कर फरार हो गया था। उसका भाई फिल्मी स्टाइल में अपने साथियों के साथ आया और पुलिस पर हमला कर आनंदपाल को छुड़ा ले गया था। इसके बाद उसकी पुलिस से नागौर में दो बार मुठभेड़ भी हुई, लेकिन दोनों बार वह पुलिस पर फायरिंग कर भाग गया।आनंदपाल पर गंभीर अपराध के 24 मुकदमें दर्ज थे और पुलिस ने उस पर इनाम घोषित कर रखा था।
पुलिस पर हमला कर फरार होने के बाद आनंदपाल सिंह और उसका भाई अपने साथियों के साथ पुलिस से बचता रहा। इसी बीच 2017 में एसओजी ने हरियाणा के सिरसा से आनंदपाल सिंह के भाई विक्की और दोस्त देवेंद्र सिंह उर्फ गट्टू को गिरफ्तार किया था। इसके बाद एसओजी को आनंदपाल के चूरू के मालासर में छिपे होने की जानकारी मिली थी। पुलिस ने मालासर पहुंचकर उसके घर को घेर लिया और एनकाउंटर में आनंदपाल मारा गया।
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