ACP कैलाश बोहरा पुलिस सेवा से बर्खास्त, सरकार ने स्पेशल केस मानते हुए संविधान के अनुच्छेद-311 का किया इस्तेमाल, रिश्वत में अस्मत मांगते हुए पकड़ा गया था

जयपुर 


पहले सुबह थमाया था निलम्बन आदेश, फिर विधानसभा में कर दी बर्खास्तगी की घोषणा, पहली बार 24 घंटे में बड़ा एक्शन


भ्रष्टाचार के केस में राजस्थान में पहली बार सरकार ने एक बड़ा एक्शन लिया। उसने पहले तो रिश्वत में अस्मत मांगने वाले पुलिस अफसर को 15 मार्च की सुबह निलम्बन का आदेश थमाया और फिर विधानसभा में इस अफसर को नौकरी से ही बर्खास्त करने की घोषणा कर दी। इस अफसर की बर्खास्तगी के लिए सरकार ने राजस्थान में पहली बार संविधान के अनुच्छेद-311 में मिले अपने विशेष अधिकार का का इस्तेमाल किया। उल्लेखनीय है कि 14 मार्च को राजस्थान की राजधानी जयपुर में पुलिस की महिला अत्याचार यूनिट में उसके प्रभारी के तौर पर तैनात ACP कैलाश बोहरा को ACB ने एक दुष्कर्म पीड़िता से जांच करने के बदले रिश्वत में अस्मत मंगते हुए गिरफ्तार किया था।

बर्खास्त ACP कैलाश बोहरा

रिश्वत के बदले अस्मत मांगने वाले एसीपी कैलाश बोहरा को पुलिस सेवा से बर्खास्त  करने की घोषणा  सोमवार को संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने विधानसभा में की। उन्होंने कहा कि कैलाश बोहरा का प्रकरण रेयरेस्ट है। बोहरा को बर्खास्त करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। अब किसी भी वक्त बर्खास्तगी के आदेश निकल सकते हैं। धारीवाल ने बताया कि किसी को बर्खास्त करने से पहले प्रक्रिया अपनानी होती है। पहले उसे नोटिस दिया जाता है, लेकिन संविधान का अनुच्छेद-311 कहता है कि अगर कोई गंभीर मामला है तो उस प्रक्रिया को परे रखकर सीधे बर्खास्त किया जा सकता है। बताया गया कि राजस्थान में पहली बार 24 घंटे में दागी अफसर को सेवा से बर्खास्त करने का फैसला किया गया है। इससे पहले राजस्थान के गृह विभाग ने सोमवार सुबह ऑफिस खुलते ही ACP कैलाश बोहरा के  निलंबन आदेश जारी किए थे। आमतौर पर सरकार एसीबी ट्रैप हुए अफसरों को सस्पेंड करने में कई दिन  लगा देती है।

सरकार बताए कि दागी अफसरों को फील्ड पोस्टिंग क्यों दी?
इस बीच विधानसभा में दागी अफसरों को फील्ड पोस्टिंग देने के मामले को लेकर विधानसभा में कार्यवाही शुरू होने के साथ ही हंगामा हो गया नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने एसीपी कैलाश बोहरा के पीड़िता से रिश्वत के बदले अस्मत मांगने का मामला उठाया और  सरकार से दागी अफसरों को फील्ड पोस्टिंग नहीं देने की घोषणा करने को कहा। इस पर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हो गई। कुछ देर हंगामे के बाद मामला शांत हुआ। उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने स्थगन प्रस्ताव के जरिए मामला उठाते हुए कहा कि खाकी वर्दी शर्मसार हुई है। जयपुर कमिश्नरेट में महिलाओं को त्वरित न्याय दिलाने के लिए बनी यूनिट के प्रभारी ने ही महिला से रिश्वत से बदले अस्मत मांग ली। एक पीड़िता जिसने जुलाई में एफआईआर करवाई, एसीपी कैलाश बोहरा पांच माह तक पीड़िता से रिश्वत लेता रहा। संवेदनहीनता की हद देखिए पीड़िता की सैलरी 16 हजार रुपए महीना थी और वह हर माह 10 हजार रुपए रिश्वत दे रही थी।
जनता माफ नहीं करेगी : कटारिया
नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने कहा कि यह पक्ष-विपक्ष का मामला नहीं है। जिस तरह की घटना थाने में घटी है वह बहुत गंभीर है। यह घटना अगर बाहर होती तो बात अलग थी, लेकिन थाने के अंदर ही पीड़िता से अस्मत मांगने की घटना को हल्के में नहीं लिया जा सकता। सदन में चर्चा होने के बाद भी अगर एक्शन नहीं होगा तो जनता माफ नहीं करेगी।






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