उद्धव का इस्तीफ़ा, अरमानों पर फिरा पानी, सुप्रीम कोर्ट बोला- फैसला तो सदन में ही होगा

मुम्बई 

महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। इसके बाद उद्धव ठाकरे ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने फेसबुक लाइव में ही अपना त्यागपत्र दे दिया है। उन्होंने कहा है कि उन्हें सीएम कुर्सी खोने का कोई डर नहीं है। इससे पहले बुधवार देर रात तक चली सुनवाई के बाद सुप्रीम अदालत ने साफ़ कर दिया  कि उद्धव ठाकरे को कल ही यानी बुधवार को फ्लोर टेस्ट का सामना करना होगा। 

उद्धव ठाकरे ने विधान परिषद से भी इस्तीफा देने की घोषणा कर दी। वह कल विधानसभा में होने वाले फ्लोर टेस्ट में नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा कि मैं नहीं चाहता कि कल शिवसैनिकों का खून बहे और वे सड़क पर उतरें। इसलिए मैं कुर्सी छोड़ रहा हूं।

इस बीच सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि विधायकों की अयोग्यता का मामला लंबित होने से फ्लोर टेस्ट नहीं रुक सकता। सुप्रीम अदालत ने राज्यपाल के फैसले को बरकरार रखा लेकिन कहा कि यह फैसला नहीं है। लेकिन अदालत ने कल बहुमत परीक्षण की इजाजत दे दी है। यानी 30 जून को महाराष्ट्र में विशेष सत्र के दौरान उद्धव सरकार को फ्लोर टेस्ट देना होगा। इसके साथ ही सीएम उद्धव ठाकरे को तगड़ा झटका लगा है। हालांकि इससे पहले सीएम उद्धव ने कैबिनेट बैठक में मंत्रियों से ढाई साल तक सहयोग करने के लिए धन्यवाद कहा। सूत्रों से जानकारी मिली है कि फ्लोर टेस्ट से पहले वो अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारी राय है कि इन मसलों का सही समाधान विधानसभा का सदन ही हो सकता है। अदालत ने बोम्मई केस का हवाला देते हुए कहा कि बहुमत का फैसला तो सदन में ही हो सकता है।

इससे पहले सुनवाई के दौरान एकनाथ शिंदे गुट के वकील नीरज किशन कौल ने कहा कि जब डिप्टी स्पीकर पर ही सवाल है तो फिर वह कैसे सदस्यों की योग्यता पर फैसला ले सकते हैं। उन्होंने कहा कि फ्लोर टेस्ट में देरी नहीं होनी चाहिए। ऐसा होता है तो फिर हॉर्स ट्रेडिंग को बढ़ावा मिल सकता है।

कौल ने कहा कि राज्यपाल के फैसले में कुछ भी गलत नहीं है। विधायकों की अयोग्यता का मामला अलग है और फ्लोर टेस्ट कराने का मसला अलग है। उन्होंने महाविकास अघाड़ी को चुनौती देते हुए कहा कि यदि आपके पास संख्या है तो फ्लोर टेस्ट में आप जीत हासिल कर लेंगे। कौल ने कहा कि अल्पमत की सरकार सत्ता में बने रहने की कोशिश कर रही है। यदि उसके पास बहुमत है तो साबित करना ही चाहिए।

वहीं शिवसेना का पक्ष रखते हुए अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि फ्लोर टेस्ट से पहले तो विधायकों की अयोग्यता को लेकर फैसला होना चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह फैसला तो हम करेंगे कि जिन विधायकों को अयोग्यता का नोटिस दिया गया है, वह वैध है या फिर नहीं। शिवसेना के चीफ व्हिप सुनील प्रभु के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि राज्यपाल से कल शाम को ही देवेंद्र फडणवीस ने मुलाकात की थी और आज हमें नोटिस भेज दिया गया। यह आदेश ऐसे समय में दिया गया है, जब एनसीपी के दो सदस्य कोरोना संक्रमित हैं और कांग्रेस का एक विधायक देश से ही बाहर हैं। ऐसे में कल फ्लोर टेस्ट कैसे हो सकता है। सिंघवी ने इस दौरान शिवराज और हरीश रावत केस का भी हवाला दिया।

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