पाकिस्तान पर भारत का एक और प्रहार, चलाया ‘जलास्त्र’ | अब ऐसे रोका जाएगा अफगानिस्तान से मिलने वाला पानी | पाकिस्तान में खलबली

नई दिल्ली 

भारत (India) ने पाकिस्तान (Pakistan) के खिलाफ एक और सटीक प्रहार की तैयारी कर ली है। अफगानिस्तान (Afghanistan) की काबुल नदी (Kabul river) पर बनने वाला ‘शहतूत बांध’ (Shatoot Dam) इस बार भारत का वह ‘जलास्त्र’ है, जिसने पाकिस्तान की नींदें उड़ा दी हैं। 236 मिलियन डॉलर की भारतीय मदद से बनने वाला यह बांध अफगानिस्तान की राजधानी काबुल के 20 लाख से ज्यादा लोगों को तो साफ पानी देगा, लेकिन पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा (Khyber Pakhtunkhwa) के लिए जल संकट की उलटी गिनती भी शुरू कर देगा।

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ये नदी हिंदू कुश पहाड़ों से निकलती है और पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में दाखिल होती है भारत की मदद से इस बांध के बनते ही पाकिस्तान के सामने सबसे बड़ा और सीधा खतरा होगा अपने खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के लिए पानी की जरूरतों को पूरा करना इसलिए पाकिस्तान में खबलबली मची हुई हैये परियोजना पाकिस्तान में पानी की किल्लत को और भी बढ़ा सकती हैदोनों देशों के बीच इसे लेकर समझौता तो फरवरी 2021 में हुआ था, लेकिन काबुल में हुए सत्ता बदल ने इसपर ब्रेक लगा दिया था पहलगाम आतंकी हमले के बाद हुए भारतीय राजनयिक टीम के काबुल दौरे ने इस परियोजना की सुगबुगाहट को एक बार फिर हवा दे दी

आपको बताते चलें कि भारत और अफगानिस्तान के विदेश मंत्रियों डॉ. एस. जयशंकर और अमीर मुत्ताकी के बीच 15 मई को हुई बातचीत ने पाकिस्तान की फिक्र को कई गुना बढ़ा दिया है। जानकारों का कहना है कि ये महज विकास परियोजना नहीं, बल्कि पाकिस्तान की जल निर्भरता को कूटनीतिक हथियार की तरह साधने की रणनीति है। पहलगाम आतंकी हमले (Pahalgam attacks) के बाद भारत ने सिंधु जल समझौता ठंडे बस्ते में डाल दिया है, और अब शहतूत बांध के सहारे पाकिस्तान की जल नसें दबाने की तैयारी में है।

तालिबान शासित अफगानिस्तान ने हाल ही में कुनार नदी पर बड़े जलविद्युत प्रोजेक्ट की भी घोषणा कर दी है। कुनार नदी पाकिस्तान में प्रवेश करने से पहले काबुल नदी में मिलती है। इस परियोजना ने पाकिस्तान की चिंता दोगुनी कर दी है, क्योंकि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच किसी भी नदी जलसंधि का न होना इस्लामाबाद को असहाय बना रहा है।

भारत और अफगानिस्तान 9 साझा नदी बेसिन से जुड़े हुए हैं, जो पाकिस्तान की जल सुरक्षा की रीढ़ हैं। इनमें काबुल, कुनार, गोमल, कुर्रम और सिंधु जैसी नदियां शामिल हैं। भारत का यह कूटनीतिक मास्टरस्ट्रोक पाकिस्तान के लिए कृषि, बिजली और पेयजल संकट का ताजा मोर्चा खोलने जा रहा है।

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TTP को लेकर पहले से ही तल्ख रिश्ते, शरणार्थियों की वापसी की नीति और सीमा व्यापार में पाकिस्तान की अड़ंगेबाजी ने अफगानिस्तान से उसके संबंधों को लगातार बिगाड़ा है। अब भारत की इस बांध परियोजना में भागीदारी पाकिस्तान को राजनयिक, भौगोलिक और जलसुरक्षा तीनों स्तर पर अलग-थलग करने का संकेत दे रही है।

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